झारखंड की रहने वाली सीमा कुमारी की कहानी एक छोटे से गांव से निकलकर दुनिया की सबसे प्रसिद्ध यूनिवर्सिटी हार्वर्ड तक पहुंचने की है। यह कहानी हिम्मत, मेहनत और सपनों को सच्चाई में बदलने की मिसाल है।
सीमा झारखंड के एक दूर-दराज गांव डहू में पैदा हुई थीं, जहां ज्यादातर लोग खेती पर निर्भर हैं और लड़कियों की पढ़ाई जल्दी ही रुक जाती है। उनके माता-पिता कभी स्कूल नहीं गए थे। उनके पिता एक धागा बनाने वाली फैक्ट्री में काम करते थे और सीमा 19 लोगों के साथ एक ही घर में रहती थीं।
नई शुरुआत: फुटबॉल और पढ़ाई
2012 में, जब सीमा सिर्फ 9 साल की थीं, तब गांव में “यूवा” (Yuwa) नाम की एक NGO आई। ये संस्था फुटबॉल के जरिए गांव की लड़कियों को मजबूत और आत्मनिर्भर बनाना चाहती थी। सीमा ने तुरंत इसमें हिस्सा लिया। फुटबॉल उनके लिए एक नई दुनिया का रास्ता बन गया।
साल 2015 में Yuwa ने गांव में एक स्कूल शुरू किया। पहले जहां सीमा 70 बच्चों की भीड़ में पढ़ती थीं, अब वो सिर्फ 6 बच्चों की क्लास में पढ़ने लगीं। इससे उन्हें अच्छे से पढ़ाई करने और आत्मविश्वास बढ़ाने का मौका मिला।
दुनिया को देखना शुरू किया
फुटबॉल के जरिए सीमा ने पहले देशभर में और फिर विदेशों में टूर्नामेंट खेलने जाना शुरू किया। उन्होंने 15 साल की उम्र में इंग्लिश सीखनी शुरू की। फिर वह अमेरिका के सिएटल गईं, कैम्ब्रिज और वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के समर स्कूल में भी हिस्सा लिया और विदेश में पढ़ाई का सपना देखा।
हार्वर्ड का सपना
सीमा को हार्वर्ड के बारे में तब पता चला जब अमेरिका से आई एक टीचर मैगी Yuwa स्कूल में पढ़ाने आईं। टीचर्स की मदद से सीमा ने दुनिया की टॉप यूनिवर्सिटी में अप्लाई किया। लेकिन उनके पास SAT जैसी टेस्ट देने के पैसे नहीं थे। 2021 में कोरोना के दौरान हार्वर्ड ने टेस्ट की जरूरत हटा दी – और यही मौका सीमा ने पकड़ लिया।
एक रात उन्हें एक ईमेल आया, जिसे वो कभी नहीं भूल सकतीं – उन्हें हार्वर्ड में पूरी स्कॉलरशिप के साथ एडमिशन मिल गया था। वो इतनी खुश थीं कि उन्होंने रात में सात बार उठकर मेल चेक किया।
आज की सीमा
अब सीमा हार्वर्ड में अपने आखिरी साल में हैं और इकोनॉमिक्स की पढ़ाई कर रही हैं। वो कई स्टूडेंट ग्रुप्स का हिस्सा हैं और उनका सपना है कि वो अपने गांव लौटकर एक ऐसा प्रोग्राम शुरू करें जिससे लड़कियां आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकें।
हार्वर्ड जाने से पहले ही सीमा ने कई समाजिक रुकावटों को तोड़ा – कम उम्र में शादी से मना किया, फुटबॉल कोचिंग देकर अपनी फीस भरी, और गांव के विरोध के बावजूद शॉर्ट्स पहनकर प्रैक्टिस की। आज सीमा हजारों ग्रामीण लड़कियों को दिखा रही हैं कि चाहे सपना कितना भी बड़ा क्यों न हो, वो सच हो सकता है।
कई मशहूर हस्तियां कर चुकी तारीफ
प्रियंका चोपड़ा और किरण मजूमदार शॉ जैसी हस्तियां भी उनकी तारीफ कर चुकी हैं। लेकिन सीमा के लिए असली सफलता तब होगी जब वह और लड़कियों को भी अपना भविष्य बदलने में मदद कर सकें – जैसे उन्होंने खुद किया।