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हरियाणा, मणिपुर, तेलंगाना के सरकारी स्कूलों में क्यों घट रही बच्चों की संख्या?

Sarkari Schools: पिछले कुछ सालों में सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या कम हुई है। बच्चों के माता पिता उनको सरकारी स्कूलों के बजाय प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने पर जोर दे रहे हैं।

Edited By : Shabnaz | Updated: Nov 3, 2024 08:20
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government schools

Sarkari Schools: पढ़ाई में पैसा अड़चन न बने इसके लिए सरकारी स्कूलों का निर्माण किया गया। इसमें मोटी सैलरी देकर सरकारी टीचर रखे जाते हैं। लेकिन फिर भी कई राज्यों में इन स्कूलों में बच्चों की संख्या कम होती जा रही है। पिछले महीने एक वार्षिक मॉड्यूलर सर्वेक्षण (CAMS) 2022-23 जारी हुआ। जिसमें कहा गया कि कक्षा 1 से 5 तक, हरियाणा, मणिपुर, तेलंगाना और पुडुचेरी (केंद्र शासित प्रदेश) में सरकारी स्कूलों की तुलना में निजी स्कूलों में पढ़ने वाले ज्यादा बच्चे हैं।

किन राज्यों में घट रही संख्या?

नए सीएएमएस सर्वेक्षण के अनुसार, प्राइमरी क्लास में निजी (या गैर सहायता प्राप्त) स्कूलों में जिन बच्चों का नामांकन है उसका राष्ट्रीय औसत 23.4% है, जबकि सरकारी स्कूलों में यह 66.7% है। हरियाणा की बात करें तो यहां पर 45.6% बच्चे निजी स्कूलों में और 40.2% बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं। तेलंगाना में, 57.5% निजी स्कूलों में और 30.5% सरकारी स्कूलों में हैं। वहीं, मणिपुर में निजी प्राइमरी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का प्रतिशत सबसे ज्यादा 74% है, जबकि सरकारी स्कूलों में यह 21% है।

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पश्चिम बंगाल ऐसे राज्यों में शामिल है जहां पर बच्चे निजी स्कूलों के बजाय सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं। पश्चिम बंगाल में निजी स्कूलों में बच्चों का प्रतिशत सबसे कम (5%) है, इसके बाद त्रिपुरा (6.2%) और ओडिशा (6.3%) का नाम आता है।

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सरकारी स्कूलों में दाखिला क्यों नहीं?

प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन की मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) रुक्मिणी बनर्जी का कहना है कि निजी स्कूल नामांकन में बढ़ोतरी हाई इनकम और बढ़ती माता-पिता की आकांक्षाओं दोनों से प्रेरित है। उनका कहना है कि सरकारी स्कूल अक्सर क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़ाते हैं, निजी स्कूलों में आमतौर पर अंग्रेजी पर जोर दिया जाता है। हालांकि केवल यही कारण नहीं हो सकता है। इसके अलावा देश भर में कम लागत वाले या कम बजट वाले निजी स्कूलों का काफी प्रसार हुआ है।

शहर और गांव के सरकारी स्कूल

ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में सरकारी स्कूलों को लेकर अलग अलग डेटा है। जैसे शहरी क्षेत्रों में प्राइमरी स्कूल के अधिक बच्चे निजी स्कूलों में हैं। जिसमें प्राइमरी क्लास में 43.8% बच्चे निजी स्कूलों में जाते हैं, जबकि सरकारी स्कूलों में 36.5% बच्चे पढ़ते हैं।

राज्यों में, शहरी क्षेत्रों में, देश के कुल राज्यों का कम से कम आधा हिस्सा (आंध्र प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, मणिपुर, पंजाब, राजस्थान, तेलंगाना, तमिलनाडु, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश) और दो केंद्रशासित प्रदेशों (जम्मू और कश्मीर और पुदुचेरी) में सार्वजनिक स्कूलों की तुलना में अधिक बच्चे निजी स्कूलों में जाते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में मणिपुर और तेलंगाना को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में सरकारी स्कूलों में ज्यादा बच्चे जाते हैं।

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Shabnaz

First published on: Nov 03, 2024 08:20 AM

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