रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तीन दिवसीय बैठक आज खत्म हो जाएगी। अब से कुछ देर में पता चल जाएगा कि आपकी EMI का बोझ कुछ कम होगा या नहीं। सुबह 10 बजे आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा बैठक में लिए गए फैसलों की घोषणा करेंगे। माना जा रहा है कि RBI इस बार भी रेपो रेट में कटौती कर सकता है। चलिए पांच पॉइंट्स में समझते हैं कि आपकी EMI घटने के कितने चांस हैं और RBI के फैसलों का आप पर क्या असर पड़ सकता है।
- रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती हो सकती है
- अगर RBI रेपो रेट में कटौती करता है, तो लोन सस्ते हो सकते हैं
- ट्रंप के टैरिफ की वजह से RBI पर कटौती का दबाव बढ़ गया है
- महंगाई के मोर्चे पर कोई बड़ी चिंता नहीं है, इसलिए कटौती संभव है
- रेपो रेट में कटौती से बैंकों की FD पर मिलने वाला ब्याज प्रभावित हो सकता है
क्या है अनुमान?
एक्सपर्ट्स का मानना है कि रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती हो सकती है, क्योंकि महंगाई के मोर्चे पर फिलहाल कोई बड़ी चिंता नजर नहीं आ रही है। विकास को प्रोत्साहित करने के लिए रिजर्व बैंक रेपो रेट पर कुछ अतिरिक्त राहत दे सकता है। रॉयटर्स के सर्वेक्षण के अनुसार, 90 प्रतिशत अर्थशास्त्रियों (60 में से 54) को उम्मीद है कि केंद्रीय बैंक अपनी बेंचमार्क रेपो रेट को 25 बेसिस पॉइंट्स घटाकर 6 प्रतिशत कर देगा।
महत्वपूर्ण होंगे फैसले
अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि ग्रोथ को समर्थन देने के लिए पिछली बार की तरह इस बार भी 25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती की जाएगी। डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ के चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती बढ़ गई है, इसके मद्देनजर भारत में विकास को प्रोत्साहित करने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है। बजाज ब्रोकिंग रिसर्च ने एक नोट में कहा गया है कि आरबीआई की बैठक मुद्रास्फीति में नरमी, बाहरी आर्थिक चुनौतियों और तरलता प्रबंधन में प्रस्तावित बदलावों की पृष्ठभूमि में हो रही है। वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच विकास और मूल्य स्थिरता को संतुलित करने में एमपीसी के फैसले महत्वपूर्ण होंगे।
कटौती का बढ़ा दबाव
अमेरिका ने भारतीय आयात पर 26 प्रतिशत टैरिफ लगाया है। इससे वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर में 20-40 बेसिस पॉइंट्स की कमी की आशंका है, जो संभवतः आरबीआई के 6.7 प्रतिशत के पूर्व अनुमान से घटकर लगभग 6.1 प्रतिशत हो जाएगी। बजाज ब्रोकिंग का कहना है कि इससे आरबीआई को आर्थिक तनाव से निपटने के लिए नीतिगत ब्याज दरों में और कटौती को मजबूर होना पड़ सकता है। वहीं, रेटिंग एजेंसी आईसीआरए को भी उम्मीद है कि एमपीसी तटस्थ रुख बनाए रखते हुए नीतिगत ब्याज दरों में 25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती करेगा।
इस साल कितनी कटौती?
अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि आरबीआई 2025 में कुल 75 बेसिस पॉइंट्स की तीन और ब्याज दर कटौतियां लागू कर सकता है। इन उपायों का उद्देश्य बढ़ते व्यापार तनाव के बीच आर्थिक विकास को समर्थन देना है। RBI MPC की अगली बैठक 4-6 जून को होगी। RBI मौद्रिक नीति की समीक्षा के लिए हर दो महीने के अंतराल में यह बैठक करता है। मौद्रिक नीति समिति (MPC) में कुल 6 सदस्य होते हैं, जिसमें से 3 आरबीआई के होते हैं, जबकि बाकी केंद्र द्वारा नियुक्त किए जाते हैं। तीन दिनों तक चलने वाली इस बैठक में रेपो रेट सहित कई मुद्दों पर चर्चा होती। तीसरे दिन ही सुबह बैठक के निर्णयों की जानकारी साझा की जाती है।
आप पर क्या होगा असर?
रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है। ऐसे में जब रेपो रेट में बढ़ोतरी होती है, तो बैंकों के लिए कर्ज महंगा हो जाता है और वो ग्राहकों के कर्ज को भी महंगा कर देते हैं। इसके उलट जब रेपो रेट में कटौती होती है, तो लोन सस्ते होने का रास्ता खुल जाता है और आपकी EMI का बोझ कुछ कम होने की संभावना बढ़ जाती है। लिहाजा, अगर RBI रेपो रेट में इस बार भी कटौती करता है, तो लोन सस्ते हो सकते हैं।