Ratan Tata Birth Anniversary: रतन टाटा के चाहने वालों के लिए आज बड़ा दिन है। आज रतन टाटा का बर्थडे है, 28 दिसंबर 1937 को उनका जन्म हुआ था। भले ही अब वह हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके बारे में ऐसा बहुत कुछ है जिस पर बात करते-करते सदियां बीत सकती हैं। टाटा समूह को बुलंदियों पर पहुंचाने से लेकर समाज को बेहतर बनाने तक, उन्होंने देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
नमक से लेकर कार तक
Tata Group नमक से लेकर कार तक सबकुछ बनाता है। एयर इंडिया (Air India) के जरिए समूह एविएशन सेक्टर में भी बड़ा नाम है। टाटा समूह की इन सब उपलब्धियों में रतन टाटा का बहुत बड़ा हाथ रहा है। रतन टाटा को अपने शांत स्वभाव और बेजुबानों से प्यार के लिए पहचाना जाता है। शायद ही कभी किसी ने उन्हें गुस्सा होते देखा हो, लेकिन एक बार वह किसी की बात से बहुत नाराज हुए थे, इतना ही अगले साल कुछ सालों में बहुत कुछ बदल दिया।
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अच्छा नहीं था प्रदर्शन
बात 90 के दशक की है। रतन टाटा के नेतृत्व वाली टाटा मोटर्स की कारों को खास सफलता नहीं मिल रही थी। कंपनी ने 30 दिसंबर 1998 में भारत की पहली स्वदेशी कार इंडिका को मार्केट में उतारा, लेकिन शुरुआती दिनों में इस कार के सेल्स फिगर खास अच्छे नहीं रहे। इसके बाद रतन टाटा ने अपने पैसेंजर व्हीकल बिजनेस को बेचने का फैसला लिया। इसके लिए अमेरिकी कार कंपनी Ford Motors से बातचीत शुरू हुई।
गेम चेंजर मीटिंग
रतन टाटा और फोर्ड के चेयरमैन बिल फोर्ड के बीच एक मीटिंग हुई। इस बैठक में कुछ ऐसा हुआ कि टाटा बुरी तरह नाराज हो गए, लेकिन उन्होंने अपना गुस्सा सार्वजनिक नहीं किया। दरअसल, Bill Ford ने टाटा का मजाक उड़ाते हुए कहा था कि अगर आपको कुछ जानकारी नहीं है, तो फिर पैसेंजर कार बिजनेस शुरू ही क्यों किया? इतना ही नहीं उन्हें रतन टाटा से यह तक कह डाला कि अगर हम आपके इस बिजनेस को खरीदते हैं, तो ये आपके ऊपर अहसान होगा।
जुट गए मिशन में
बिल फोर्ड की यह बातें वाकई गुस्सा दिलाने वाली थीं। टाटा नाराज और आहत दोनों थे, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने अपने गुस्से का सार्वजनिक प्रदर्शन नहीं किया। कुछ साल बाद इस गुस्से का जो परिणाम सामने आया, वो बिल फोर्ड के होश उड़ाने वाला था। फोर्ड को कार बिजनेस बेचने का इरादा अब रतन टाटा ने छोड़ दिया और भारत के ऑटोमोबाइल सेक्टर में क्रांति लाने के लक्ष्य में जुट गए।
बदल गई पूरी तस्वीर
रतन टाटा ने अपना पूरा ध्यान टाटा मोटर्स को बुलंदियों पर पहुंचाने में लगा दिया। इस घटना के करीब नौ साल बाद टाटा मोटर्स वहां पहुंच गई, जहां रतन टाटा उसे देखना चाहते थे। दूसरी तरफ फोर्ड मोटर्स की हालत पतली हो गई थी। इस दौरान रतन टाटा ने फोर्ड के Jaguar और Land Rover ब्रांड को खरीदने का ऑफर दे डाला। एक बार फिर रतन टाटा और बिल फोर्ड की मीटिंग हुई, लेकिन तस्वीर पूरी तरह बदली हुई थी।
गुस्सा, जुनून और सफलता
Bill Ford के सुर पूरी तरह बदल गए थे। उन्होंने रतन टाटा को थैंक्यू बोलते हुए कहा कि आप जैगुआर-लैंड रोवर (JLR) को खरीदकर हमारे ऊपर उपकार कर रहे हैं। इस तरह रतन टाटा का गुस्सा, टाटा मोटर्स को नई ऊंचाई पर ले जाने के जुनून में बदला और आज यह ऑटो सेक्टर की दिग्गज कंपनियों में शुमार है। बता दें कि रतन टाटा का इस साल अक्टूबर में निधन हो गया था।