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DeepSeek से घबराने की जरूरत नहीं, नंदन नीलेकणि ने AI पर दिया बड़ा बयान

इंफोसिस के को फाउंडर नंदन नीलेकणि का कहना है कि भारत बहुत तेजी से तरक्की कर रहा है। बीते कुछ सालों में भारत के डिजिटल बुनियादी ढांचे में वृद्धि हुई, जिससे भारत और अधिक परिष्कृत हो गया है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के लोग AI को तेजी से अपना रहे हैं।

Author Edited By : Neeraj Updated: Apr 12, 2025 15:19

इंफोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलेकणि का कहना है कि भारत ने कई छोटे पैमाने के एआई मॉडल विकसित किए हैं और अब उसे चीन के डीपसीक पर चिंता करने के बजाए इसे आगे बढ़ाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें इस तकनीक को तेजी से अपनाया जाएगा। नीलेकणि ने कहा कि हमें इस बात पर चिंता नहीं करनी चाहिए कि किसी ने कोई एआई मॉडल बनाया है। भारत ने भारतीय AI मिशन की स्थापना की है और उसके पास छोटे मॉडल हैं। लिहाजा अब बातचीत इसे आगे बढ़ाने के बारे में होनी चाहिए।

हम तेजी से अपना रहे AI

नंदन नीलेकणि ने यह भी कहा कि भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) को दुनिया के मुकाबले लोगों द्वारा तेजी से अपनाया जा सकता है, क्योंकि पिछले 15 वर्षों में देश ने तकनीकी रूप से काफी प्रगति की है। कार्नेगी ग्लोबल टेक्नोलॉजी समिट 2025 में बोलते हुए नीलेकणि ने कहा कि भारत में एआई को तेजी से अपनाए जाने के कारण, प्रौद्योगिकी में विकास भी काफी तेजी से होगा।

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तेजी से तरक्की कर रहा देश

नीलेकणि ने आगे कहा, ‘भारत बहुत तेजी से तरक्की कर रहा है। जब स्मार्टफोन की शुरुआत हुई थी, तो फोन का शुरुआती इस्तेमाल संचार और मनोरंजन के लिए होता था और इस पर पश्चिमी देशों का दबदबा था। 2015-16 के आसपास, आधार, यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) और इसी तरह के अन्य साधनों के आने से भारत के डिजिटल बुनियादी ढांचे में वृद्धि हुई, जिससे भारत और अधिक परिष्कृत हो गया’।

मोबाइल का बढ़ेगा उपयोग

उन्होंने कहा कि डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर को तेजी से अपनाने के अलावा, संतुलन वैश्विक प्रौद्योगिकी कंपनियों से घरेलू प्रौद्योगिकी कंपनियों की ओर स्थानांतरित हो गया है, जिन्हें उद्यम पूंजी द्वारा वित्तपोषित किया गया है। जैसे-जैसे भारत में स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं की संख्या 900 मिलियन तक बढ़ रही है, ये डिवाइस ‘रीइमेजिंग वर्क’ का आधार बनेंगी, जहां लोग फोन पर नौकरी खोजेंगे, फोन पर अपनी साख और लाभ प्राप्त करेंगे।

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भारत बनेगा राजधानी

इंफोसिस के सह-संस्थापक ने कहा कि फोन की बढ़ती पहुंच के साथ, डिवाइस के लिए प्राथमिक भाषा हिंदी और अंग्रेजी से हर प्रमुख भारतीय भाषा में बदल जाएगी, जिससे तकनीक और अधिक सुलभ हो जाएगी। मोबाइल फोन के लिए इंटरफेस टाइपिंग और टच से वॉयस और वीडियो तक जाएगा। उन्होंने कहा कि जेनरेटिव एआई और एआई की तर्क क्षमता के कारण, आप स्थिर से गतिशील प्रासंगिक जानकारी तक पहुंच जाएंगे जो आपकी जरूरत के समय आपकी उंगलियों पर होगी। ये चीजें भारत को दुनिया की एआई यूज केस राजधानी बना देंगी।

First published on: Apr 12, 2025 03:19 PM

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