Reliance: हिंडनबर्ग रिसर्च की हालिया रिपोर्ट ने उद्योगपति गौतम अडानी की कंपनियों के शेयरों को नुकसान पहुंचाया है। यह पहली बार नहीं है जब किसी खबर ने उद्योगपति पर असर डाला है। इससे पहले ऐसी की एक अफवाह ने रिलायंस के संस्थापक धीरुभाई अंबानी को भी बर्बाद किया था।
मंदड़ियों के एक समूह ने रिलायंस को नुकसान पहुंचाने की योजना बनाई
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार रिलायंस ने साल 1977 में आईपीओ लाने का फैसला किया था। उस समय धीरूभाई अंबानी निजी सेक्टर में बड़ा नाम थे। अक्टूबर 1977 में रिलायंस की शेयर बाजार में लिस्टिंग के 1 साल के अंदर इसके शेयर का भाव ₹50 पर पहुंच गया। साल 1980 में यह ₹104 पर चला गया। बताते हैं साल 1982 में रिलायंस का शेयर जब ₹186 था तो मंदड़ियों के एक समूह ने रिलायंस को नुकसान पहुंचाने की योजना बनाई।
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धीरूभाई ने इस संकट के समय में अपने विदेशी पार्टनर्स की मदद ली
रिलायंस के विरोधी ग्रुप ने बाजार में अफवाह फैला दी कि रिलायंस का शेयर ₹120 पर आ गया है। जिसके बाद रिलायंस का भाव 8 फीसदी गिर गया। लेकिन धीरूभाई ने इस संकट के समय में अपने विदेशी पार्टनर्स की मदद ली। जैसे ही शॉर्ट सेलिंग शुरू हुई उन लोगों ने 150 रुपए में शेयर खरीदे। जब डिलिवरी सेटलमेंट की बारी आई तो धीरूभाई ने ऊंचे भाव पर शेयर दिए।
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