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IT नौकरियों पर संकट, 2025 में नए ग्रैजुएट्स के लिए बुरा समय आने वाला?

चार साल की पढ़ाई, लंबी रातों तक कोडिंग, अच्छे नंबरों की खुशी लेकिन नौकरी? 2025 में IT सेक्टर में एंट्री-लेवल जॉब्स तेजी से कम हो रही हैं। सिर्फ डिग्री काफी नहीं असली प्रोजेक्ट्स बनाकर अपनी काबिलियत दिखानी होगी। क्या आप तैयार हैं इस बदलते दौर के लिए?

Author Edited By : Ashutosh Ojha Updated: Mar 22, 2025 19:25
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चार साल की मेहनत, दिन-रात की पढ़ाई, अच्छे नंबरों की खुशी लेकिन जब नौकरी की बारी आए तो दरवाजे बंद मिलें। यही हकीकत 2025 में कई IT ग्रेजुएट्स के लिए हो सकती है। मुंबई के उद्यमी उदित गोयंका ने चेतावनी दी है कि IT सेक्टर में एंट्री-लेवल नौकरियां तेजी से कम हो रही हैं। सिर्फ डिग्री लेना काफी नहीं बल्कि असली प्रोजेक्ट्स बनाकर अपनी काबिलियत साबित करनी होगी। क्या आपका सपना सिर्फ डिग्री तक सीमित रहेगा या आप अपनी मेहनत से एक अलग पहचान बनाएंगे? अब समय है खुद को बदलने का क्योंकि भविष्य इंतजार नहीं करता।

IT सेक्टर में नौकरी पाना होगा कठिन

मुंबई के स्टार्टअप TinyCheque के फाउंडर और CEO उदित गोयनका ने IT सेक्टर में नौकरियों को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि 2025 में नए IT डेवलपर्स के लिए नौकरी पाना मुश्किल हो सकता है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए उन्होंने नए ग्रेजुएट्स को सिर्फ डिग्री पर भरोसा न करने की सलाह दी। उन्होंने कहा “अगर आप अभी कॉलेज से निकले हैं तो अपने खुद के प्रोजेक्ट्स बनाएं और उन्हें ओपन-सोर्स में डालें। इससे आप अपनी स्किल्स दिखा सकते हैं और नौकरी पाने के मौके बढ़ सकते हैं।”

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इंटरनेट पर छिड़ी बहस

गोयनका के इस बयान के बाद इंटरनेट पर बड़ी बहस छिड़ गई। कई लोगों ने सहमति जताते हुए कहा कि IT सेक्टर तेजी से बदल रहा है और सिर्फ डिग्री लेने से नौकरी की गारंटी नहीं मिलती। एक यूजर ने लिखा “सिर्फ मार्क्स पर भरोसा मत करो, कोड लिखो, प्रोजेक्ट डिप्लॉय करो, नहीं तो बेरोजगार रहोगे।” वहीं कुछ लोगों ने सवाल उठाए कि क्या टॉप कॉलेजों और हाई मार्क्स वाले स्टूडेंट्स के लिए अब भी अच्छे पैकेज की गारंटी नहीं रही?

ऑटोमेशन का असर अन्य सेक्टर्स पर भी

इस चर्चा में ऑटोमेशन और अन्य सेक्टर्स पर उसके प्रभाव को लेकर भी बातें हुईं। एक यूजर ने अमेरिका में सेल्फ-ड्राइविंग कारों का उदाहरण देते हुए कहा कि कई भारतीय, पाकिस्तानी और अफ्रीकी अप्रवासी वहां उबर ड्राइवर के रूप में काम करते हैं। लेकिन अब Waymo जैसी कंपनियां ड्राइवरलेस कारें बढ़ा रही हैं, जिससे उनकी नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है। इसी तरह IT सेक्टर में भी सिर्फ डिग्री वाले नहीं बल्कि असली प्रोजेक्ट्स पर काम करने वाले लोग ही आगे बढ़ पाएंगे।

AI से व्हाइट-कॉलर नौकरियों पर संकट

यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब भारत में व्हाइट-कॉलर नौकरियों को लेकर भी चिंता बढ़ रही है। Atomberg के फाउंडर अरिंदम पॉल ने हाल ही में कहा कि “आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के कारण 40-50% व्हाइट-कॉलर नौकरियां खत्म हो सकती हैं,” जिससे भारत के मध्यम वर्ग और उपभोक्ता अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर पड़ सकता है। ऐसे में नए ग्रेजुएट्स को अब सिर्फ पढ़ाई पर नहीं बल्कि असली अनुभव और प्रोजेक्ट्स पर ध्यान देना होगा ताकि वे भविष्य के लिए तैयार रह सकें।

क्या होती है व्हाइट-कॉलर जॉब्स

व्हाइट-कॉलर नौकरी वह होती है, जिसमें लोग ऑफिस में बैठकर दिमाग से जुड़ा काम करते हैं। इसमें शारीरिक मेहनत कम होती है और कंप्यूटर, कागजात, ईमेल या फोन का ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। ऐसी नौकरियां आमतौर पर बैंक, IT कंपनी, स्कूल, अस्पताल, सरकारी दफ्तर या बड़ी कंपनियों में होती हैं। उदाहरण के लिए, टीचर, मैनेजर, इंजीनियर, अकाउंटेंट, डॉक्टर या सॉफ्टवेयर डेवलपर व्हाइट-कॉलर जॉब में आते हैं। इस तरह की नौकरियों में कर्मचारी अच्छे कपड़े पहनकर जैसे शर्ट, पैंट और टाई लगाकर काम करते हैं इसलिए इसे “व्हाइट-कॉलर” कहा जाता है। ये नौकरियां आमतौर पर अच्छी सैलरी देती हैं और काम का माहौल साफ-सुथरा होता है लेकिन इनमें मानसिक दबाव भी होता है क्योंकि लोगों को समय पर काम पूरा करना पड़ता है और बड़ी जिम्मेदारियां निभानी पड़ती हैं।

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Edited By

Ashutosh Ojha

First published on: Mar 22, 2025 12:30 PM

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