---विज्ञापन---

बिजनेस

हेल्थ इंश्योरेंस लेने वालों की मौज, अब कंपनियां नहीं कर पाएंगी क्लेम रिजेक्ट

Health Insurance : इंश्योरेंस रेग्युलेटर संस्था इंश्योरेंस रेग्युलेटरी एंड डिवेलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) ने कस्टमर के हितों में हेल्थ इंश्योरेंस से जुड़े नियमों में बदलाव किया है। इन नियमों के बदलने से इंश्योरेंस कंपनियां बिना वजह क्लेम रिजेक्ट नहीं कर पाएंगी।

Author Edited By : Rajesh Bharti Updated: Apr 19, 2024 14:05
Health Insurance
हेल्थ इंश्योरेंस से जुड़े नियम बदल गए हैं

Health Insurance : मेडिकल इमरजेंसी किसी के साथ कब और कहां आ जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता। इलाज में जेब पर ज्यादा बोझ न पड़े, इसके लिए हेल्थ इंश्योरेंस काफी काम आता है। परेशानी तब होती है जब हेल्थ इंश्योरेंस देने वाली कंपनियां तरह-तरह के कारण बताकर क्लेम रिजेक्ट कर देती हैं। इन्हें रोकने के लिए IRDAI ने कुछ नियम बदले हैं। इन नियमों के बदलने से हेल्थ इंश्योरेंस लेने वाले कस्टमर को काफी फायदा होगा और कंपनियां बेवजह क्लेम रिजेक्ट नहीं कर पाएंगी। नए नियम 1 अप्रैल 2024 से लागू हो चुके हैं।

मोरेटोरियम पीरियड कम हुआ

हेल्थ इंश्योरेंस का मोरेटोरियम पीरियड 8 साल से घटाकर 5 साल कर दिया है। कंपनियां अब 5 साल इस आधार पर क्लेम रिजेक्ट नहीं कर सकेंगी कि मरीज ने डायबीटिज, हायपरटेंशन, ब्लड प्रेशर आदि के बारे में बताया नहीं था। दरअसल, जब कोई शख्स हेल्थ इंश्योरेंस लेता है तो कई बार उसे डायबिटीज, हायपरटेंशन, ब्लड प्रेशर आदि के बारे में पता नहीं होता। जब वह अस्पताल में भर्ती होता है तब उसे इसके बारे में पता चलता है। भर्ती चाहे वह किसी दूसरी बीमारी के कारण हुआ हो। अगर इंश्योरेंस लेने की अवधि 8 साल नहीं हुई है तो कंपनियां उस शख्स का इस आधार पर क्लेम रिजेक्ट कर देती थीं कि मरीज ने डायबिटीज, हायपरटेंशन, ब्लड प्रेशर आदि के बारे में जानकारी छिपाई थी। 8 साल के बाद ही डायबिटीज, हायपरटेंशन, ब्लड प्रेशर के कारण होने वाली बीमारियों को कवर किया जाता था। इसी को मोरेटोरियम पीरियड कहते हैं। इसे घटाकर अब 5 साल कर दिया गया है।

प्री-एग्जिस्टिंग बीमारियों का वेटिंग पीरियड हुआ कम

हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय इस चीज को बताना जरूरी होता है कि उस शख्स को पूर्व में क्या-क्या बीमारियां हुई हैं। अगर कोई सर्जरी हुई है तो उसके बारे में भी बताना होता है। इन बीमारियों को प्री-एग्जिस्टिंग बीमारियां (PED) कहते हैं। हेल्थ इंश्योरेंस लेने के बाद इन बीमारियों के इलाज का कवर शुरू में कुछ सालों तक नहीं मिलता है। इसे वेटिंग पीरियड कहते हैं। अभी तक यह वेटिंग पीरियड 4 सालों का होता था। इसे घटाकर 3 साल कर दिया गया है।

अधिकतम उम्र सीमा खत्म की

नए नियमों में किसी भी उम्र का शख्स हेल्थ इंश्योरेंस ले सकता है। अभी तक कंपनियां 65 साल से ज्यादा की उम्र वाले शख्स को हेल्थ इंश्योरेंस की सुविधा नहीं देती थीं। लेकिन अब 100 या इससे ज्यादा उम्र का शख्स भी हेल्थ इंश्योरेंस ले सकता है और कंपनियां इसके लिए मना नहीं कर सकतीं।

सभी को मिलेगा फायदा

पॉलिसीबाजार में हेल्थ इंश्योरेंस के बिजनेस हेड सिद्धार्थ सिंघल के मुताबिक IRDAI ने हेल्थ इंश्योरेंस के नियमों में जो बदलाव किया है, उसका लाभ सभी को मिलेगा। इन नियमों का फायदा वे कस्टमर भी उठा सकते हैं जिनके पास पहले से हेल्थ इंश्योरेंस है।

यह भी पढ़ें : 2 लाख रुपये के हेल्थ इंश्योरेंस पर 50 लाख का इलाज कराएं, जानें क्या है तरीका?

क्लेम रिजेक्ट तो यहां कराएं शिकायत

अगर आपको लगता है कि हेल्थ इंश्योरेंस देने वाली कंपनी ने किसी गलत कारण से मेडिकल क्लेम रिजेक्ट कर दिया है तो इसकी शिकायत यहां दर्ज कराएं:

  • सबसे पहले उस कंपनी के पास ईमेल के जरिए शिकायत दर्ज कराएं जिस कंपनी का हेल्थ इंश्योरेंस है। कंपनी की ई-मेल आईडी कंपनी की वेबसाइट पर दी होती है।
  • अगर बीमा कंपनी 15 दिनों में शिकायत का निवारण नहीं करती है तो IRDAI की वेबसाइट igms.irda.gov.in पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराएं।
  • इसके अतिरिक्त IRDAI की ओर से इंश्योरेंस ओम्बुड्समैन के पास भी बीमा कंपनी की शिकायत दर्ज करा सकते हैं। ओम्बुड्समैन के बारे में IRDAI की वेबसाइट पर जानकारी दी गई होती है।

First published on: Apr 19, 2024 02:05 PM

संबंधित खबरें