How To Keep Safe Shares In Demat Account : अगर आप शेयर मार्केट में निवेश करते हैं तो सावधान होने की जरूरत है। जालसाजों की नजर अब लोगों के शेयरों पर पड़ गई है। बैंक अकाउंट में सेंध की तरह ये अब डीमैट अकाउंट में भी सेंध लगा रहे हैं और अकाउंट से शेयर उड़ा रहे हैं। हाल में महाराष्ट्र में ऐसा ही एक मामला सामने आया है। एक हैकर ने एक शख्स का डीमैट अकाउंट हैक कर एक करोड़ 26 लाख रुपये के शेयर चुराकर बेच दिए। ऐसे में अब आपको अपने बैंक अकाउंट के साथ डीमैट अकाउंट को भी सेफ रखना जरूरी हो गया है।
क्या डीमैट अकाउंट में सेंध लग सकती है?
जब डीमैट अकाउंट खोला जाता है तो इसे काफी सुरक्षित माना जाता है। लेकिन अब जिस तरह इसमें से शेयर चोरी के मामले सामने आए हैं, उससे एक सवाल खड़ा होता है क्या डीमैट अकाउंट में सेंध लगाई जा सकती है? इसका जवाब है हां। हालांकि यह इतना भी आसान नहीं है। लेकिन हैकर डीमैट अकाउंट में सेंध लगाकर न केवल शेयर चोरी कर सकते हैं बल्कि यूजर्स का डेटा भी चुराकर उसे बेच सकते हैं।
ये हैं डीमैट में सेंध के 5 कारण और बचाव
1. ब्रोकर फर्म के कारण
डीमैट अकाउंट में सेंध का सबसे बड़ा कारण ब्रोकर फर्म भी है। दरअसल, शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करने के लिए हमें किसी न किसी ब्रोकर फर्म का चुनाव करना होता है जिसके माध्यम से डीमैट अकाउंट खोला जाता है। इसमें HDFC Securities, Motilal Oswal, Sharekhan, Upstox, Zerodha, Groww आदि प्रमुख हैं। जिस ब्रोकर कंपनी के माध्यम से आपने डीमैट अकाउंट खुलवाया है, अगर उसके सर्वर को हैक कर लिया जाए तो संभव है कि आपका डीमैट अकाउंट भी हैक हो जाए। एक्सपर्ट कहते हैं कि ब्रोकर फर्म चुनते समय सावधानी रखें। हमेशा टॉप लेवल की ब्रोकर फर्म को महत्व दें।
2. ब्रोकर के नाम से फोन करना
कई बार ऐसा भी होता है कि कोई शख्स ब्रोकर कंपनी के अधिकारी के नाम से कॉल करता है। ये कॉल वेब आधारित कॉलिंग ऐप से की जाती हैं। हैकर इस कॉल को वेरिफिकेशन के नाम पर करते हैं और यूजर्स की डिटेल्स ले लेते हैं। बाद में वह OTP भी हासिल कर लेते हैं और फिर अकाउंट पर कंट्रोल कर लिया जाता है। ऐसे में किसी भी शख्स का फोन आए और वह खुद को ब्रोकर कंपनी का अधिकारी बताए तो उसकी बात पर विश्वास न करें। उसका फोन काटकर कंपनी के ऑफिशियल नंबर पर कॉल करें।
3. ई-मेल या मैसेज पर लिंक भेजकर
हैकर यूजर के फोन पर मैसेज या ई-मेल के जरिए पासवर्ड रीसेट का लिंक भेजते हैं। यह लिंक ऐसा होता है जैसे ब्रोकर की तरफ से आया हो। असल में यह लिंक एक जाल होता है। काफी यूजर इस लिंक को सही मान लेते हैं और इस पर क्लिक करके पासवर्ड रीसेट कर देते हैं। इससे यूजर की जानकारी हैकर के पास पहुंच जाती है। इसलिए किसी भी प्रकार के लिंक पर क्लिक न करें और अगर करें तो देखें कि क्या वह लिंक वास्तव में ब्रोकर की तरफ से आया है। इसके बारे में ब्रोकर फर्म को कॉल करके पूछ लें।
4. IPO दिलाने के नाम पर
शेयर मार्केट के एक्सपर्ट नरेश कुमार बताते हैं कि आज के समय काफी लोग IPO में निवेश कर रहे हैं। ऐसे में जो शख्स IPO बुक करता है, हैकर्स के पास जानकारी चली जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि इनके पास ऐसे निवेशकों का डेटा होता है और ब्रोकर के साथ कुछ इंटरनल लिंक भी हो सकते हैं। बाद में ये हैकर इन निवेशकों को कॉल करते कहते हैं कि आपको यह IPO 100 फीसदी दिला देंगे। इसके लिए आपकी एक सहमति चाहिए। वह एक लिंक देते हैं या OTP आता है। परमिशन देने के बाद डीमैट अकाउंट का एक्सेस हैकर्स के पास चला जाता है। नरेश बताते हैं कि IPO दिलाना इस प्रकार से संभव ही नहीं है। यह सब कुछ कंपनी पर निर्भर करता है और इसकी एक प्रक्रिया होती है।
5. मुनाफे के नाम पर
काफी हैकर निवेशकों को कॉल करके मुनाफे का लालच देते हैं। जो भी निवेशक इनके जाल में फंस गया, उसके डीमैट अकाउंट का कंट्रोल अपने हाथ में ले लेते हैं और उसमें रखे शेयर उड़ा देते हैं। इसलिए एक्सपर्ट कहते हैं कि ऐसे मुनाफे के लालच में न आएं और किसी भी कॉल करने वाले शख्स को अपने अकाउंट से संबंधित कोई जानकारी न दें।
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