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Stock Market Crash: क्या वाकई सरकार की यह ‘गलती’ है बाजार की बर्बादी का कारण?

Capital gains tax India: हेलियोस कैपिटल (Helios Capital) के फाउंडर और चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर (CIO) समीर अरोड़ा का कहना है कि विदेशी निवेशकों की बिकवाली के लिए सरकार का कैपिटल गेन टैक्स का फैसला जिम्मेदार है।

Author Edited By : Neeraj Updated: Mar 3, 2025 14:23

Stock Market News: शेयर बाजार बेहद बुरे दौर से गुजर रहा है। सेंसेक्स और निफ्टी भारी दबाव में हैं। निफ्टी गिरावट के मामले में 29 साल का रिकॉर्ड तोड़ चुका है। यहां से बाजार कहां जाएगा और पुरानी वाली तेजी कब तक देखने को मिलेगी? इन सवालों का फिलहाल किसी के पास कोई जवाब नहीं है। अब मार्केट के इस हाल का विश्लेषण शुरू हो गया है। एक्सपर्ट्स अपने-अपने हिसाब से बाजार की बर्बादी के कारण तलाश रहे हैं।

कैपिटल गेन टैक्स का फैसला गलत

हेलियोस कैपिटल (Helios Capital) के संस्थापक और चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर (CIO) समीर अरोड़ा ने बाजार के हाल लिए सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। बिजनेस स्टैण्डर्ड के एक कार्यकम में बोलते हुए अरोड़ा ने कैपिटल गेन टैक्स को सरकार की सबसे बड़ी गलती करार दिया है। उनका कहना है कि इससे विदेशी निवेशकों के मनोबल कमजोर हुआ है और वह लगातार बिकवाली कर रहे हैं।

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ये हैं बड़े विदेशी निवेशक

समीर अरोड़ा के अनुसार, सरकार ने जो सबसे बड़ी गलती की है, वह कैपिटल गेन टैक्स है, खासकर विदेशी निवेशकों पर। यह 100% गलत है। उन्होंने आगे कहा कि दुनिया और भारत के सबसे बड़े निवेशक विदेशी सॉवरेन फंड्स, पेंशन फंड्स, यूनिवर्सिटीज और हाई नेट वर्थ इंडिविजुअल्स (HNIs) हैं। उनके लाभ पर टैक्स लगाना, खासकर जब उन्हें अपने देश में टैक्स छूट नहीं मिलती और उन्हें विदेशी मुद्रा (फॉरेक्स) से जुड़े जोखिमों का सामना करना पड़ता है, सरकार की सबसे बड़ी गलती है।

लगातार कर रहे बिकवाली

अरोड़ा के कहने का मतलब है कि 2024-25 के बजट में हुई कैपिटल टैक्स गेन की घोषणा ने विदेशी निवेशकों को भारतीय बाजार से जाने को मजबूर किया है। विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) लगातार पांच महीनों से भारतीय शेयर बेच रहे हैं और पिछले दो महीनों में उनकी बिकवाली 1 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच चुकी है। बता दें कि इस बार के बजट में उम्मीद थी कि वित्त मंत्री इस मुद्दे पर कुछ राहत दे सकती हैं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

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क्या और कितना है टैक्स?

किसी भी पूंजी या संपत्ति को बेचकर हुए मुनाफे में लगने वाला टैक्स कैपिटल गेन टैक्स है। इसमें स्टॉक्स, म्यूचुअल फंड और रियल एस्टेट भी शामिल हैं। लंबे समय तक मिली छूट के बाद 2018 में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स फिर से शुरू किया गया था। उस वर्ष, सरकार ने स्टॉक और इक्विटी म्यूचुअल फंड की बिक्री से 1 लाख रुपये से अधिक के रिटर्न पर 10% कर लगाया था। पिछले बजट में शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म दोनों कैपिटल गेन पर टैक्स में इजाफा किया गया। शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) पर टैक्स को 15% से 20% किया गया। लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन के मामले में इसे 10% से बढ़ाकर 12.5% किया गया और 1 लाख छूट के दायरे को बढ़ाकर 1.25 लाख कर दिया गया।

चीन में क्या हैं हाल?

कई दूसरे देशों की तुलना में भारत में कैपिटल गेन टैक्स काफी ज्यादा है, वहीं कुछ के मुकाबले कम भी है। उदाहरण के तौर पर, चीन में 20% और ब्राजील में 22.5% टैक्स लगता है। जबकि सिंगापुर और UAE में कोई टैक्स नहीं है, इस वजह से यहां के मार्केट निवेशकों को अधिक आकर्षित करते हैं। बजट से पहले मार्केट एक्सपर्ट्स ने कहा था कि कैपिटल गेन टैक्स में कमी की सूरत में घरेलू निवेशक ज्यादा पैसा इन्वेस्ट करने के लिए आकर्षित होंगे, जिससे विदेशी निवेशकों की बिकवाली से खाली हुई जगह को कुछ हद तक भरने में मदद मिलेगी। विदेशी फंड फ्लो भी बढ़ सकता है, क्योंकि FIIs के लिए भारतीय मार्केट अधिक आकर्षक हो जाएगा।

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केवल 1 कारण ही जिम्मेदारी नहीं

इसमें कोई शक नहीं है कि कैपिटल गेन टैक्स शेयर बाजार में निवेश करने वालों के लिए चिंता का विषय रहा है। लेकिन बाजार के हाल के लिए केवल इसी को जिम्मेदार ठहराना भी पूरी तरह से सही नहीं कहा जा सकता। 2024 के आखिरी कुछ महीनों से पहले बाजार उड़ान पर था। विदेशी निवेशक मार्केट में पैसा लगा रहे थे। बाजार की तस्वीर बदलने के कई कारण हैं, इसमें डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरती सेहत, ज्यादा वैल्यूएशन, डोनाल्ड ट्रंप की नीतियां और अमेरिका के बेहतर होते आर्थिक हालात।

ट्रंप की नीतियों ने किया प्रभावित

यूएस प्रेसिडेंट का चुनाव जीतने के बाद डोनाल्ड ट्रंप के बयानों ने बाजार को प्रभावित किया। इसके बाद उनकी ताजपोशी से ट्रेड वॉर की आशंका को जब बल मिला, तो मार्केट और कमजोर हो गया। इस दौरान, डॉलर मजबूत होता गया और हमारा रुपया लगातार कमजोर। ट्रंप के आने से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को लेकर निवेशकों का भरोसा मजबूत हुआ। भारत जैसे उभरते बाजारों में पैसा लगाने वाले यूएस इन्वेस्टर्स अपने देश में निवेश करने को प्रेरित हुए।

अर्थव्यवस्था की सुस्ती भी जिम्मेदार

भारतीय मार्केट के महंगे वैल्यूएशन को लेकर पहले से ही सवाल उठते रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय हालातों ने इन सवालों की तीव्रता को बढ़ाने वाला काम किया। भारतीय अर्थव्यवस्था की सुस्ती, कंपनियों के कमजोर तिमाही नतीजों का भी विदेशी निवेशकों को भारत से दूर करने में योगदान है। लिहाजा, ऐसे तमाम कारण हैं, जिनके चलते FIIs हमारे बाजार में पैसा लगाने में खास दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। वह आशंकित हैं कि भविष्य में उनका रिटर्न प्रभावित हो सकता है।

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Edited By

Neeraj

First published on: Mar 03, 2025 02:23 PM

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