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किसानों के लिए अच्छी खबर, इस खरीफ सीजन में बढ़ सकता है मुनाफा

Motilal Oswal Report: मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि इस खरीफ सीजन में फार्म प्रॉफिटेबिलिटी अधिक रह सकती है। अलग-अलग राज्यों के किसानों से बातचीत के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की गई है।

Author Edited By : News24 हिंदी Updated: Dec 12, 2024 15:28

Good News For Farmers: देश की कृषि अर्थव्यवस्था और किसानों के लिए अच्छी खबर है। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड की रिपोर्ट में बताया गया है कि 2024-25 खरीफ सीजन में कृषि क्षेत्र के मुनाफे में वृद्धि की उम्मीद है। रिपोर्ट में इसका कारण बताते हुए कहा गया है कि मुख्य रूप से अधिक उत्पादन और कम इनपुट कॉस्ट के चलते खरीफ सीजन में किसान पहले के मुकाबले कुछ ज्यादा प्रॉफिट कमा पाएंगे।

बेहतर रहेगी प्रॉफिटेबिलिटी

रिपोर्ट में इस बात को भी दर्शाया गया है कि कुछ फसलों की घटती कीमतों (मुख्य खाद्यान्न और तिलहन की कीमतों में साल-दर-साल 3.2 प्रतिशत की गिरावट आई है) ने उच्च उत्पादन से मिलने वाले लाभों को आंशिक रूप से कम कर दिया है। रिपोर्ट में देश के अलग-अलग हिस्सों के जिक्र करते हुए बताया गया है कि उत्तरी राज्यों में प्रॉफिटेबिलिटी दक्षिणी की तुलना में अपेक्षाकृत बेहतर होने की उम्मीद है। जबकि पूर्वी और पश्चिमी बेल्ट में मिलेजुले परिणाम देखने को मिल सकते हैं।

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ये राज्य हैं सबसे आगे

यह रिपोर्ट खरीफ सीजन के दौरान फसल की स्थिति, पैदावार और फार्म प्रॉफिटेबिलिटी के बारे में जमीनी आकलन के लिए देशभर के विभिन्न किसान उत्पादक संगठनों (FPO) और किसानों के साथ बातचीत पर आधारित है। रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के उत्तरी क्षेत्र में साल-दर-साल अधिक फसल पैदावार देखी गई है, क्योंकि अधिक बारिश ने धान के उत्पादन को बढ़ावा दिया है। वहीं, दक्षिणी क्षेत्र और गुजरात मुख्य रूप से पिछड़े रहे क्योंकि भारी बारिश के कारण यहां आई बाढ़ ने फसलों को नुकसान पहुंचाया। उत्तरी क्षेत्र के प्रमुख राज्यों में बिहार, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान शामिल हैं।

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इनमें कमी की आशंका

रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार के पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार, खाद्यान्न और तिलहन (जो कि वर्ष 2024 में कुल रकबे का 84 प्रतिशत से अधिक था) का कुल उत्पादन क्रमशः 6 प्रतिशत और 7 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है। हालांकि, गन्ना और कपास जैसी अन्य प्रमुख फसलों के उत्पादन में क्रमशः 3% और 8% प्रतिशत की गिरावट का अनुमान है।

इस चिंता को भी दर्शाया

रिपोर्ट के अनुसार, फसलों की कीमतों में गिरावट (मुख्य खाद्यान्न और तिलहन) ने उच्च उत्पादन के लाभों को आंशिक रूप से कम किया है। साथ ही रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि नियंत्रित महंगाई दर आदि हाई बेस इफ़ेक्ट के कारण खरीफ सीजन के दौरान खेती की लागत में मामूली रूप से 1.3 प्रतिशत कमी आई है। मोतीलाल ओसवाल को उम्मीद है कि खरीफ सीजन 2024-25 के लिए पैन इंडिया आधार पर कुल फार्म प्रॉफिटेबिलिटी कुछ अधिक रहेगी।

First published on: Dec 12, 2024 03:28 PM

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