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केंद्र ने प्राइवेट अस्पतालों की कसी नकेल! जारी की नई गाइडलाइंस; अब अस्‍पतालों को पहले बताना होगा वेंट‍िलेटर का खर्च

प्राइवेट अस्‍पतालों में वेंट‍िलेटर की फीस को लेकर सख्‍त कदम उठाते हुए केंद्र सरकार ने प्राइवेट अस्‍पतालों के ल‍िए नई गाइडलाइन्‍स जारी की हैं. इसके अनुसार, अस्‍पतालों को पहले ही यह बताना होगा क‍ि वेंट‍िलेटर पर मरीज को रखने का खर्च क‍ितना आएगा.

Author Written By: Vandana Bharti Updated: Dec 22, 2025 11:21
अस्‍पतालों को अब अपनी वेबसाइट पर भी बताना होगा क‍ि वेंट‍िलेटर का खर्च क‍ितना आएगा.

अगर आपने कभी प्राइवेट अस्‍पतालों में इलाज कराया है तो ये जानते होंगे क‍ि प्राइवेट अस्‍पताल में हेल्‍थ केयर क‍ितना महंगा है. खासकर, ज‍िन मरीजों को वेंट‍िलेटर पर रखा जाता है, उनसे अस्‍पताल क‍िस ह‍िसाब से ब‍िल भरवाता है, इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता. ऐसे में केंद्र सरकार ने प्राइवेट अस्‍पतालों के ल‍िए नई गाइडलाइन्‍स जारी की हैं, ज‍िसमें उन्‍हें मरीज को वेंट‍िलेटर पर लेने से पहले उसके पर‍िवार को ये बताना होगा क‍ि इस पूरी प्रक्र‍िया में क‍ितना खर्च आएगा. डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ हेल्थ सर्विसेज की वेबसाइट पर जारी इस गाइडलाइन में प्राइवेट अस्पतालों से वेंटिलेटर के इस्तेमाल में पारदर्शिता रखने का न‍िर्देश द‍िया गया है.

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दरअसल, सरकार ये पक्का करना चाहती हैं कि इस जान बचाने वाले इलाज का इस्तेमाल नैतिक तरीके से हो और इसे फाइनेंशियल शोषण के हथियार के तौर पर इस्तेमाल न किया जाए.

क्‍या है नई गाइडलाइन ?

प्राइवेट अस्‍पतालों के ल‍िए जो नई गाइडलाइंस जारी की गई हैं, वो बायोएथिकल सिद्धांतों पर आधारित हैं. यानी इसमें ऑटोनॉमी (मरीज की पसंद और सोच-समझकर सहमति का सम्मान करना), बेनेफिसेंस (मरीज के सबसे अच्छे हित में काम करना), नॉन-मैलेफिसेंस (गैर-जरूरी या लंबे समय तक चलने वाले इलाज से नुकसान से बचना) और न्याय (वेंटिलेटर सपोर्ट तक निष्पक्ष और समान पहुंच सुनिश्चित करना) शामिल हैं.

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इन नियमों के आने से अब डॉक्टरों को मैकेनिकल वेंटिलेशन शुरू करने से पहले मरीज के देखभाल करने वालों से साफ तौर पर इसके ल‍िए सहमति लेनी होगी. डॉक्‍टरों को ये साफ करना होगा क‍ि वो मरीज को क्‍यों वेंट‍िलेटर पर डालना चाहते हैं, इसमें क‍ितना खर्च आएगा? साथ ही इसके पर‍िणाम, जोख‍िम और प्रक्र‍िया के बारे में भी जानकारी देनी होगी. इसके बाद मरीज के गार्ड‍ियन या अटेंडेंड अगर इसपर सहमत‍ि देते हैं, तभी प्रक्र‍िया आगे बढ़ेगी.

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यहां तक क‍ि अस्‍पताल को ये भी बताना होगा क‍ि वेंटिलेटर सपोर्ट और उससे जुड़ी ICU केयर पर रोजाना का खर्च क‍ितना है, ताक‍ि पर‍िवार आर्थ‍िक रूप से तैयार हो सके.

पारदर्श‍िता बढ़ाने के ल‍िए उठाया ये कदम:
कई प्राइवेट अस्‍पतालों में ये आम बात है क‍ि वेंट‍िलेटर के नाम पर वो मरीजों से मोटा पैसा वसूलते आ रहे हैं. ल‍िहाजा सरकार ने बढ़ी हुई बिलिंग और छिपे हुए खर्चों को रोकने के लिए, एक स्टैंडर्ड और पारदर्शी प्राइसिंग स्ट्रक्चर पेश किया है. इसके अनुसार प्राइवेट अस्‍पतालों को एक जैसा ही वेंटिलेटर चार्ज लागू करना होगा.

प्राइवेट अस्पतालों को वेंटिलेटर से जुड़े सभी खर्च, जैसे क‍ि मशीन चार्ज, आईसीयू चार्ज और इस्तेमाल होने वाली चीजें, सार्वजनिक रूप से द‍िखानी होंगी. बिलिंग काउंटर, आईसीयू के बाहर और अस्पताल की वेबसाइट पर ये सारी जानकारी दिखानी होगी. सरकार चाहती है क‍ि मरीज का परिवार इस बात से अवेयर रहे क‍ि इस पूरी प्रक्र‍िया में क‍ितना खर्च आने वाला है.

इलाज के दौरान अगर मरीज के पर‍िवार को ब‍िल‍िंग से कोई श‍िकायत है तो अस्‍पताल को न‍िश्‍च‍ित समय पर श‍िकायत का न‍िवारण करना होगा.

नए न‍ियमों के तहत वेंट‍िलेटर का खर्च तभी ब‍िल में ऐड क‍िया जाए, जब वास्‍तव में वेंट‍िलेटर का इस्‍तेमाल हो रहा हो.

First published on: Dec 22, 2025 11:18 AM

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