Adani Group: गौतम अडानी के समूह ने सोमवार को अपनी पोर्टफोलियो कंपनियों की फाइनेंशियल और क्रेडिट स्टेटमेंट जारी की है। इसमें ग्रुप के मजबूत मुनाफे और नकदी प्रवाह को दिखाया गया है। कंपनी ने कहा कि इससे बाहरी कर्ज पर निर्भरता के बिना विकास को बनाए रख सकते हैं। कहा जा सकता है कि वक्त के साथ कंपनी की कर्ज पर निर्भरता कम देखी गई है। ये रिपोर्ट ऐसे समय में सामने आई है जब कंपनी के संस्थापक गौतम अडानी और दो अन्य अधिकारियों के खिलाफ अमेरिकी अदालत में कई आरोप लगे हैं।
अब इसकी कुल संपत्ति निर्माण में इक्विटी का हिस्सा लगभग दो-तिहाई है, जो पांच साल पहले की तुलना में बिल्कुल अलग है। पिछले 6 महीनों में समूह ने करीब 75,227 करोड़ रुपये का निवेश किया। वहीं, कुल कर्ज में सिर्फ 16,882 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी दर्ज की गई। इस डेटा के साथ-साथ कंपनी ने एक नोट भी शेयर किया गया।
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नोट में लिखा गया ‘अडानी पोर्टफोलियो कंपनियों के पास कम से कम 12 महीनों के लिए सभी लोन सर्विस रिक्वायरमेंट पूरा करने के लिए कंपनी सक्षम है। 30 सितंबर, 2024 तक, अडानी पोर्टफोलियो कंपनियों के पास 53,024 करोड़ रुपये की नकदी थी, जो इसके कुल बकाया कर्ज का 21 प्रतिशत के करीब थी। उन्होंने कहा कि यह रकम अगले 28 महीनों की लोन सर्विस रिक्वायरमेंट को पूरा करने के लिए काफी है।
पिछले दिनों, समूह ने अगले 10 सालों में पोर्टफोलियो कंपनियों में 8 लाख करोड़ रुपये (100 बिलियन अमरीकी डालर) से ज्यादा निवेश करने की योजना का ऐलान किया। नकद मुनाफा पिछले 12 महीनों में 58,908 करोड़ रुपये रहा और पिछले पांच साल के दौरान 30 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई। इस आधार पर समूह अगले 10 सालों में अपने आंतरिक नकदी संचय (internal cash accumulation) से केवल 5.9 लाख करोड़ रुपये का निवेश करने में सक्षम होगा।
कंपनी के मुताबिक, पिछले 12 महीनों में EBITDA (ब्याज, कर और मूल्यह्रास से पहले की आय) काफी स्टेबल है। यह बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए सही है, जो 17 प्रतिशत बढ़कर 83,440 करोड़ रुपये हो गई। मौजूदा एनुअल कैश फ्लो से ही 3 साल में पूरा कर्ज चुकाया जा सकता है।
सकल संपत्ति (Gross Assets) या निवेश में केवल 16,882 करोड़ रुपये की कुल कर्ज की बढ़ोतरी के मुकाबले 75,227 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है। प्रोपर्टी बेस बढ़कर अब 5.5 लाख करोड़ रुपये हो गया है। इसमें कहा गया है कि समूह की कंपनियों की रेटिंग में सुधार के कारण उधार लेने की औसत लागत 8.2 प्रतिशत है। आपको बता दें पिछले 5 साल में सबसे कम है।
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