8th Pay Commission: हाल ही में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 8वें केंद्रीय वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दी, तो केंद्र सरकार के कर्मचारी और पेंशनधारक खुशी से झूम उठे। उन्हें पूरी उम्मीद है कि वेतन आयोग महंगाई से मुकाबले के लिए उनके वेतन में अच्छी खासी बढ़ोतरी की सिफारिश करेगा। 7वें वेतन आयोग का कार्यकाल 2026 में समाप्त होगा, जिसके बाद 8वें वेतन आयोग को लागू किया जाएगा।
सैलरी में हुई थी वृद्धि
7वें वेतन आयोग की सिफारिशों पर अमल से केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी में अच्छा खासा उछाल आया था। साथ ही पेंशनर्स के खाते में आने वाली रकम भी बढ़ गई थी। उल्लेखनीय है कि सरकार केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन के संबंध में सिफारिशें करने के लिए वेतन आयोगों का गठन करती है। वेतन आयोग का गठन हर 10 साल में किया जाता है। सातवां वेतन आयोग फरवरी 2014 में गठित किया गया था और उसकी सिफारिशें 2016 में लागू हुई थीं।
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इतना था फिटमेंट फैक्टर
8वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी ने 1 करोड़ से ज्यादा केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को राहत दी है, जिन्हें नए वेतन आयोग का लाभ मिलेगा। 7वें वेतन आयोग ने फिटमेंट फैक्टर को 2.57 पर रखा था, जिससे केंद्रीय कर्मचारियों के लिए न्यूनतम मूल वेतन 7,000 रुपये से बढ़कर 18,000 रुपये हो गया। इसके अलावा सरकार ने न्यूनतम पेंशन को भी बढ़ाकर 9,000 रुपये कर दिया।
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इसलिए ज्यादा की आस
नेशनल काउंसिल ऑफ जॉइंट कंसल्टेटिव मशीनरी (NC-JCM) के सचिव शिव गोपाल मिश्रा ने हाल ही में कहा कि नया वेतन आयोग कम से कम 2.86 के फिटमेंट फैक्टर की सिफारिश करेगा। इससे केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन में 186% की उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है। अगर केंद्र सरकार इस फिटमेंट फैक्टर को मंजूरी देती है, तो केंद्र सरकार के कर्मचारियों का न्यूनतम मूल वेतन 18,000 रुपये से बढ़कर 51,480 रुपये हो सकता है। साथ ही, इस फिटमेंट फैक्टर पर पेंशनभोगियों की पेंशन संभावित रूप से 9,000 रुपये से बढ़कर 25,740 रुपये हो जाएगी।
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ऐसे हुआ इजाफा
इसके अलावा, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संकेत दिया है कि सरकार 2026 से नए वेतन आयोग को लागू करेगी। वैष्णव ने कहा कि सरकार ने 8वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है ताकि सिफारिशें समय पर की जा सकें और 2026 से लागू की जा सकें। बता दें कि पहले वेतन आयोग के तहत सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों के लिए न्यूनतम मूल मासिक वेतन 10 रुपये से बढ़ाकर 30 रुपये कर दिया था, जबकि दूसरे वेतन आयोग के तहत इसे 80 रुपये कर दिया था। तीसरे वेतन आयोग के तहत सरकारी कर्मचारियों का न्यूनतम मूल मासिक वेतन 185 रुपये, चौथे वेतन आयोग के तहत 750 रुपये, पांचवें वेतन आयोग के तहत 2,550 रुपये, छठे वेतन आयोग के तहत 7,000 रुपये और सातवें वेतन आयोग के तहत 18,000 रुपये कर दिया गया था।
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