Bharat Ek Soch: वक्त किसी का इंतजार नहीं करता…वक्त किसी के लिए नहीं रुकता, हमेशा अपनी रफ्तार से आगे बढ़ता रहता है। साल 2024 का कैलेंडर पलटने में अब ज्यादा वक्त नहीं बचा है…हम 2025 की दहलीज पर खड़े हैं। बीत रहे साल में विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में कई बदलाव देखने को मिले। दिनों-दिन होते नए-नए बदलाव लोगों की जिंदगी को आसान बनाने में लगे हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि तेज रफ्तार वाली जिंदगी और शहरीकरण की आंधी में हम खोते जा रहे हैं? हम जिस लाइफस्टाइल को अपनाते जा रहे हैं, वह हमारे लिए फायदे का सौदा है या नुकसान का? हमारी बदलती जीवनशैली हर साल कितने लोगों को गंभीर रूप से बीमार बना रही है? सालभर में कैंसर के साढ़े 15 लाख नए मरीज जुड़ रहे हैं।
If you have #mpox symptoms, contact your health-care provider.https://t.co/1yxmcJ4Jn2 pic.twitter.com/T2o80bkYqg
— World Health Organization (WHO) Western Pacific (@WHOWPRO) December 30, 2024
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20 से 30 साल की बीच के उम्र वाले नौजवान Heart Disease की चपेट में आ रहे हैं। दुनिया में सबसे अधिक डायबिटीज और ब्लड प्रेशर के मरीजों का घर भारत बना हुआ है। वायु प्रदूषण की वजह से हर साल भारत में 21 लाख लोग मरते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर हमारे देश में बीमारों की संख्या सुरसा के मुंह की तरह क्यों बढ़ रही है? आज की तारीख में देश की आधी आबादी का शरीर बीमारियों का गोदाम बना हुआ है। शहरों में रहने वाले 25 से 30 साल के युवाओं को भी जिंदगी सामान्य तरीके से चलाने के लिए दवाइयों की जरूरत पड़ रही है। ऐसी गंभीर बीमारियां तेजी से लोगों की जिंदगी के दिन कम कर रही हैं और अकाल मौत की वजह भी बन रही हैं।
Diagnosed with hypertension? Here’s how you can control it. pic.twitter.com/CM4GBxCBLM
— World Health Organization South-East Asia (@WHOSEARO) December 29, 2024
ऐसे में आज आपको बताने की कोशिश कर रहे हैं कि हमारे देश के ज्यादातर लोग किन बीमारियों की चपेट में तेजी से आ रहे हैं और इसकी वजह क्या है? ज्यादातर बीमारियों को लाइफस्टाइल से जुड़ी क्यों बताया जा रहा है? क्या सिर्फ एलोपैथी से ही बीमारियों का जड़ से इलाज किया जा सकता है? एलोपैथी और आयुर्वेद के डॉक्टरों में देवरानी-जेठानी जैसी लड़ाई क्यों छिड़ी रहती है? क्या एलोपैथी, आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी, योग और प्राकृतिक चिकित्सा मिलकर लोगों के लिए बेहतर इलाज का रास्ता निकाल सकते हैं? आइए आपकी सेहत से जुड़े ऐसे ही गंभीर सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश करते हैं…
Trachoma-Free India 🇮🇳🙌
In a significant public health achievement, India has been officially declared free from trachoma by the World Health Organization (@WHO)
This milestone comes after years of dedicated efforts by the government to protect the vision of millions,… pic.twitter.com/pgQh700z4e
— PIB India (@PIB_India) October 13, 2024
नवजोत सिद्धू के दावे से छिड़ी नई बहस
कुछ हफ्ते पहले की बात है। पूर्व क्रिकेटर और पॉलिटिशियन नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि उनकी पत्नी नवजोत कौर स्टेज-4 के कैंसर से जूझ रही थीं। डॉक्टरों ने नवजोत कौर के जिंदा बचने की संभावना 5 फीसदी बताई थी। ऐसे में उन्होंने अपनी पत्नी को हल्दी, नीम, नींबू देना शुरू किया। शुगर, कार्बोहाइड्रेट का परहेज कराया और इंटरमिटेंट फास्टिंग की मदद से उन्होंने 40 दिन में कैंसर को मात दे दी। सिद्धू के दावे पर एलोपैथी जगत के कई दिग्गज डॉक्टरों ने सवाल उठाए। कहा गया कि सिद्धू के दावों के पीछे कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।
हो सकता है कि सिद्धू की पत्नी के साथ कोई चमत्कार हुआ हो और वह कैंसर को मात देने में कामयाब रही हों। यह भी संभव है कि अस्पताल में पहले से चल रहे इलाज से ही नवजोत कौर ठीक हुई हों, लेकिन क्या किसी इंसानी शरीर में हल्दी, नीम और नींबू के फायदे को मेडिकल साइंस को खारिज कर देगा? क्या यह प्राकृतिक चीजें शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाने में मददगार नहीं होतीं? आखिर एलोपैथी, आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली के बीच इतना झगड़ा क्यों? यह समझने से पहले यह समझना जरूरी है कि हमारे देश में कैंसर के मरीज लगातार किस रफ्तार से और क्यों बढ़ रहे हैं?
Know that #methanol poisoning symptoms can be delayed.
Early symptoms include:
🔴Drowsiness
🔴Loss of balance
🔴Poor judgement
🔴HeadacheAfter 12-24 hours, symptoms get more severe and can include:
❗Vomiting
❗Abdominal pain
❗Vertigo
❗Breathing difficulty
❗Blurred vision… pic.twitter.com/cICevl2qZu— World Health Organization (WHO) Western Pacific (@WHOWPRO) December 26, 2024
एक करोड़ से ज्यादा लोगों को हार्ट ट्रांसप्लांट की जरूरत
भारत देश में कैंसर के मरीज हर साल ढाई फीसदी की रफ्तार से बढ़ रहे हैं। 2025 तक भारत में कैंसर मरीजों की संख्या 3 करोड़ के आप-पास पहुंचने का अनुमान लगाया गया है, जिसमें 5 साल से कम उम्र के बच्चे भी शामिल हैं। जरा सोचिए…जिस रफ्तार से कैंसर के मरीज बढ़ रहे हैं, उसमें देश में मौजूद इलाज की प्रणालियों के बीच टकराव की जरूरत है या फिर आपस में मिलकर मरीजों के बेहतर उपचार की जरूरत है। पिछले कुछ वर्षों में ऐसी ख़बरें भी जरूर सुनी, देखी या पढ़ी होंगी कि जिम में वर्कआउट करते किसी शख्स की हार्टअटैक से मौत हो गई?
बिल्कुल फिट दिखने वाले शख्स की बाइक चलाते हुए हार्ट अटैक से मौत हो गई? साल 2024 में कई बॉलीवुड सेलिब्रिटीज की मौत हार्ट अटैक से हुई। इसमें फैशन डिजाइनर रोहित बल, मॉडल और एक्टर विकास सेठी, ऋतुराज सिंह, कविता चौधरी का नाम शामिल है। देश में हार्ट के मरीजों की संख्या को लेकर अलग-अलग आंकड़े दिए जाते हैं। कोई दिल के मरीजों की संख्या 5 करोड़ बताता है तो कोई उससे अधिक, लेकिन दिल के एक करोड़ से अधिक मरीज ऐसे हैं, जिन्हें हार्ट ट्रांसप्लांट की जरूरत है।
You can protect yourself from seasonal flu. Here’s how! pic.twitter.com/DK7miaRiaE
— World Health Organization South-East Asia (@WHOSEARO) December 22, 2024
देश में 18.80 करोड़ हाई ब्लड प्रेशर के मरीज
डॉ. नरेश त्रेहान देश के जाने-माने डॉक्टर हैं। वे भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं कि किसी भी बीमारी का इलाज ज्यादा महंगा होगा, जबकि उसकी रोकथाम बहुत सस्ती होगी। लाइफस्टाइल और खान-पान में बदलाव करके कई बीमारियों को बिना किसी इलाज या दवा के दूर रखा जा सकता है। हार्ट अटैक ने साल 2022 में 32 हजार से अधिक लोगों की जान ली। कुछ ऐसे भी होंगे, जो हार्ट अटैक से मरने वाले मरीजों के आंकड़े में नहीं जुड़ पाए हों।
इसी तरह लाइफस्टाइल और खानपान ने हमारे शरीर को एक और गंभीर बीमारी का घर बना दिया है और वह है ब्लड प्रेशर। दुनिया में हर 3 में से एक व्यक्ति बीपी का मरीज है। बीपी के हर 2 में से एक मरीज को पता नहीं है कि उसे इस तरह की कोई बीमारी भी है। भारत में हाई बीपी के मरीजों की संख्या 18 करोड़ 80 लाख है। पिछले 30 वर्षों में बीपी के मरीजों की संख्या डबल हो चुकी है। देश के बहुत ही जाने-माने डॉक्टर अक्सर अपनी स्पीच में दलील देते हैं कि हमारे शरीर का तंत्र कैसे काम करता है?
👉 Do not buy alcoholic drinks that are:
❌ sold in unlabelled containers
❌ unusually cheap
❌ from informal settings not licensed to sell alcohol, such as market stalls👉 Do not accept free alcoholic drinks.
👉 Do not drink homemade or illegal alcoholic beverages.Know the… pic.twitter.com/xi8ld5FNO3
— World Health Organization (WHO) Western Pacific (@WHOWPRO) December 26, 2024
आज इंसान के सामने हैं कई नई चुनौतियां
आदिम युग में जब कोई शख्स जंगल में जाता था और शेर उसके सामने आता तो उसे तनाव होता? उसके शरीर में ऑटोमेटिक ऊर्जा पैदा होती और वह शेर से बचने के लिए भागने लगता? पेड़ पर चढ़ जाता, किसी तरह अपनी जान बचाने की कोशिश करता। उसका तनाव यानी टेंशन का समय कुछ देर का होता, लेकिन आज हालात बदल चुके हैं। किसी भी इंसान के सामने शेर के रूप में नई तरह की चुनौतियां हैं। वह चुनौती उसका बॉस हो सकता है…काम का प्रेशर हो सकता है…दफ्तर का माहौल हो सकता है…साथ काम करने वाले सहयोगी हो सकते हैं…पत्नी हो सकती है…घरेलू दिक्कतें हो सकती हैं।
ऐसे में इंसान के सामने टेंशन लगातार बनी रहती है, जिसका इलाज वह गोलियों में खोजता है, लेकिन गोली शरीर के भीतर जाने से कुछ देर के लिए बीपी का मीटर तो नीचे हो जाता है, लेकिन टेंशन ज्यों की त्यों बनी रहती है। ऐसे में इंसान के शरीर से बीपी कम या खत्म करने के लिए सिर्फ गोली काफी नहीं है। इसके लिए कई मोर्चों पर एक साथ काम करना होगा?
A report by the World Health Organization found that vaccination could prevent half a million #AMR-related deaths each year. It is critical to take full advantage of the benefits immunisation can bring in the fight against AMR https://t.co/EHYe4nE3Bh pic.twitter.com/FmUUWuO6qJ
— VaccinesEurope (@VaccinesEurope) December 30, 2024
बीपी के अलावा डायबिटीज की चपेट में लोग
बदलते लाइफ स्टाइल ने हमारे समाज के एक बड़े वर्ग को बीपी का मरीज बना दिया है? बीपी की एक वजह ज्यादा नमक खाने की आदत में भी देखा जा रहा है। WHO के मुताबिक, हर आदमी को रोजाना 5 ग्राम से भी कम नमक खाना चाहिए। वहीं भारत में हर शख्स रोजाना 8 ग्राम से अधिक नमक भोजन में इस्तेमाल करता है, यानी जरूरत से ज्यादा नमक का इस्तेमाल भी देश की बड़ी आबादी को हाई ब्लड प्रेशर की चपेट में ले रहा है, लेकिन सिर्फ एलोपैथी दवा से बीपी को जड़ से खत्म नहीं किया जा सकता। बीपी के इलाज में एलोपैथिक दवाइयों के साथ-साथ आयुर्वेद में बताए गए परहेज और योग अधिक असरदार साबित हो सकते हैं। इसी तरह भारत में हर 100 में से 11 लोग डायबिटीज की चपेट में हैं। 15 लोग Prediabetes हैं। देश में जिस रफ्तार से डायबिटीज मरीजों की संख्या बढ़ रही है, उसमें भारत को दुनिया की Diabetic Capital कहा जाने लगा है।
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डायबिटीज का कारगर इलाज पैदल चलना
आयुर्वेद में डायबिटीज का इलाज 400 कोस पैदल भ्रमण को बताया गया है। पैदल चलने से नाड़ियों और मांसपेशियों की अच्छी एक्सरसाइज होती है। शरीर के भीतर खराब कोलेस्ट्रॉल कम करने का कारगर उपचार भी पैदल चलने में देखा जाता रहा है। क्या कोई डॉक्टर इस बात से इनकार करेगा कि पैदल चलना सेहत के लिए अच्छा नहीं है। डायबिटीज और हाई बीपी को मदर ऑफ ऑल डिजीज भी कहा जाता है।
अगर यह दोनों बीमारियां किसी इंसान को जकड़ लें तो इनका Combo Attack तेजी से उसकी किडनी, लीवर, हार्ट समेत दूसरे अंगों को बेकार करना शुरू कर देता हैं, लेकिन एक सच यह भी है कि एलोपैथी में जहां पहले बीमारी की पहचान और उसके बाद इलाज की बात होती है। वहीं आयुर्वेद ऐसा रास्ता दिखाता है, जिससे शरीर में बीमारी को घर बनाने के लिए जगह न मिल सके।
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एलोपैथी और आयुर्वेद को मिलकर काम करना होगा
शायद यही वजह है कि कोरोना महामारी के दौर में सबसे अधिक मौत उन देशों में हुईं, जिनकी दुनिया में पहचान बेहतर मेडिकल फैसिलिटी, बेहतर अस्पताल नेटवर्क, बेहतर डॉक्टर और नर्सों के लिए थी, जो World Health Organization के पैमाने पर हर तरह खरा उतर रहे थे। शायद वहां उन रास्तों को मॉडर्न मेडिकल साइंस के नाम पर खारिज कर दिया गया, जो इंसान के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।
उन पारंपरिक तौर-तरीकों को अवैज्ञानिक कहते हुए खारिज कर दिया गया, जिसकी बदौलत हजारों साल से इंसानी सभ्यता खुद को चिरंजीवी बनाए हुई थी। अपने शरीर के भीतर बीमारियों से लड़ने वाला कवच तैयार करती थी। ऐसे में दुनिया के बेहतरीन डॉक्टरों का एक वर्ग मानता है कि लोगों की अच्छी सेहत और निरोग शरीर के लिए West of Best और Best of East दोनों को साथ मिलकर काम करना होगा। एक दूसरे की इलाज पद्धति को खारिज करना नहीं।