Best Time To Change Car Tyre: कार के टायर आपकी गाड़ी का सबसे अहम हिस्सा होते हैं, क्योंकि वही सड़क से सीधा संपर्क बनाए रखते हैं. अगर टायर पुराने या घिसे हुए हैं, तो सड़क पर पकड़ कम हो जाती है और ब्रेकिंग में दिक्कत आ सकती है, जिससे दुर्घटना का खतरा बढ़ता है. इसलिए समय-समय पर टायर की स्थिति जांचना और सही समय पर उन्हें बदलना बहुत जरूरी है. कई लोग इस बात को नजरअंदाज कर देते हैं कि टायर कितने साल या कितने किलोमीटर चलाने के बाद बदलने चाहिए.
कितने किलोमीटर चलाने के बाद बदलें टायर
आमतौर पर एक्सपर्ट्स का कहना है कि 40,000 से 50,000 किलोमीटर चलाने के बाद कार के टायर बदल देना चाहिए. हालांकि यह कोई तय नियम नहीं है, क्योंकि यह आपकी ड्राइविंग की आदत, सड़क की स्थिति और टायर की क्वालिटी पर भी निर्भर करता है. अगर आप रोजाना ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर या बहुत गर्म इलाकों में गाड़ी चलाते हैं, तो टायर जल्दी घिस सकते हैं. वहीं, अगर आपकी ड्राइविंग स्मूद है और सड़कें अच्छी हैं, तो टायर थोड़ा ज्यादा समय तक चल सकते हैं.
समय के हिसाब से टायर की उम्र
अगर आपकी कार बहुत कम चलती है, तब भी टायरों की एक तय उम्र होती है. आमतौर पर 5 से 6 साल के बाद टायरों का रबर सख्त हो जाता है और उनकी सड़क पर पकड़ कमजोर होने लगती है. ऐसे में, भले ही आपकी कार ने ज्यादा किलोमीटर तय न किए हों, लेकिन 5 साल पूरे होने के बाद टायर बदलवा लेना समझदारी होती है. यह आपकी और आपकी गाड़ी दोनों की सुरक्षा के लिए जरूरी है.
टायर बदलने के संकेत कैसे पहचानें
कई बार टायर खुद ही संकेत देने लगते हैं कि अब उन्हें बदलने का समय आ गया है. अगर टायर में दरारें, उभार (bulges) या कट दिखने लगें, तो तुरंत बदल दें. इसके अलावा, टायर की ट्रेड गहराई (जो सड़क पकड़ने में मदद करती है) अगर 2/32 इंच से कम रह गई है, तो इसका मतलब है कि टायर अब सुरक्षित नहीं है. टायर के साइडवॉल पर क्रैक दिखना भी इस बात का इशारा है कि रबर पुराना हो चुका है.
मौसम और ड्राइविंग आदतों का असर
टायर की उम्र पर मौसम और ड्राइविंग स्टाइल का बड़ा असर पड़ता है. बहुत ज्यादा ठंड या गर्मी वाले इलाकों में टायर जल्दी खराब हो सकते हैं. अगर आप बार-बार तेज गति से गाड़ी चलाते हैं या अचानक ब्रेक लगाते हैं, तो यह भी टायर के घिसने की रफ्तार बढ़ा देता है. दूसरी ओर, अगर आप हाईवे पर स्थिर स्पीड में ड्राइव करते हैं, तो टायर लंबे समय तक टिक सकते हैं.
नियमित जांच से बढ़ेगी सुरक्षा
टायरों की स्थिति की जांच महीने में कम से कम एक बार जरूर करनी चाहिए. एयर प्रेशर सही रखें, व्हील बैलेंसिंग और एलाइनमेंट कराते रहें. इससे टायर की लाइफ बढ़ती है और फ्यूल एफिशिएंसी भी बेहतर होती है. याद रखें, सुरक्षित ड्राइविंग की शुरुआत टायरों की सही देखभाल से ही होती है.
टायर बदलने का सही समय सिर्फ किलोमीटर पर नहीं बल्कि उम्र और उनकी हालत पर भी निर्भर करता है. 40–50 हजार किलोमीटर या 5–6 साल के बाद टायर बदल देना ही सेफ ऑप्शन है. अगर आप टायरों में किसी तरह की दरार, उभार या ट्रेड घिसते हुए देखें, तो उसे नजरअंदाज न करें. आखिरकार, सड़क पर आपकी सुरक्षा उन्हीं चार टायरों पर टिकी होती है.
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