Shri Yantra: भारतीय शास्त्रों में श्रीयंत्र का मां लक्ष्मी का ही साकार रूप माना गया है। तंत्र-मंत्र में भी इसका अत्यधिक महत्व बताया गया है। जिस भी जगह या स्थान पर श्रीयंत्र को प्रतिष्ठित कर दिया जाता है, वहां पर स्वयं मां लक्ष्मी का वास हो जाता है। यही कारण है कि प्राचीन समय में श्रीयंत्र को मंदिरों में भगवान की प्रतिमा के निकट या नींव पूजन करते समय प्रथम पत्थर के पास स्थापित किया जाता था।
क्या होते हैं यंत्र
वास्तव में यंत्र ज्यामितीय रेखाओं और आकृतियों से बनी एक विशेष डिजाईन होती है। तांत्रिक अनुष्ठानों में यंत्र के द्वारा देवताओं का आह्वान सहजतापूर्वक किया जा सकता है। यंत्र के साथ जब मंत्र जप किया जाता है जो देवता को प्रकट होकर भक्त की इच्छा पूर्ण करनी पड़ती है। इसीलिए तंत्र-मंत्र से जुड़े अनुष्ठानों में देवी-देवताओं की प्रतिमा या चित्र से अधिक उनके यंत्र को महत्व दिया जाता है।
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क्या है श्रीयंत्र
श्रीयंत्र मां लक्ष्मी का साकार रूप है। इसके प्रयोग से न केवल धन की प्राप्ति होती है, वरन इस जगत में जितना भी ऐश्वर्य और सुख, सुविधाएं हैं, वे सभी इसकी पूजा करने मात्र से प्राप्त हो जाती हैं। श्रीयंत्र की पूजा करते समय भगवान विष्णु की पूजा भी अनिवार्य रूप से की जाती है। जिस प्रकार हम देवी-देवताओं की प्रतिमा या उनके चित्र की पूजा करते हैं, उसी प्रकार श्रीयंत्र की पूजा होती है।
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श्रीयंत्र की पूजा में रखें ये सावधानी (Shri Yantra Mantra Puja)
शास्त्रों में श्रीयंत्र की साधना को सात्विक साधना बताया गया है। अतः जो भी भक्त इसका अनुष्ठान करना चाहते हैं, उन्हें पूर्ण ब्रह्मचर्य तथा सात्विकता के साथ रहना चाहिए। ऐसा नहीं करने पर श्रीयंत्र का प्रभाव समाप्त हो जाता है अथवा उसी पूजा का यथोचित फल नहीं मिल पाता है।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।