Bhumi Pujan Vastu Tips in Hindi: वास्तु शास्त्र में भवन निर्माण को लेकर खास नियम बताए गए हैं। भवन निर्माण से पहले नींव में चांदी का नाग और कलश को डाला जाता है। यह परंपरा पौराणिक है। अक्सर आपने भी देखा होगा कि जब भी किसी भवन निर्माण के लिए नींव डाली जाती है तो उसमें चांदी के नाग-नागिन का जोड़ा और कलश डाला जाता है, लेकिन अगर आप इसको लेकर अंजान हैं तो अभी जान लीजिए।
नींव में क्यों डालते हैं कलश और नाग-नागिन
मकान बनाते समय नींव में नाग-नागिन का जोड़ा और कलश डालने की परंपरा बहुत पुरानी है। इसके पीछे खास धार्मिक मान्यता है। कहा जाता है कि पृथ्वी शेषनाग के फण पर टिकी हुई है। मकान की नींव में सोने-चांदी या पीतल से बना नाग-नागिन का जोड़ा इसलिए डाला जाता है क्योंकि जिस प्रकार नाग देवता मजबूती के साथ धरती को धारण किए हुए हैं, उसी तरह मकान मजबूती के साथ खड़ा रहे। साथ ही बुरी शक्तियों से रक्षा हो सके। इसका उल्लेख भागवत पुराण में भी मिलता है।
भूमि पूजन के लिए सही दिशा
वास्तु शास्त्र के अनुसार, भूमि हमेशा सही दिशा में ही किया जाना चाहिए। ज्योतिष और वास्तु शास्त्र के मुताबिक, भूमि पूजन हमेशा पूरब-उत्तर दिशा (ईशान कोण) में किया जाना चाहिए। दरअसल यह दिशा भूमि पूजन के लिए उचित और सबसे अच्छी मानी गई है। भूमि पूजन करने वाले का मुंह पूरब की ओर होना चाहिए। जबकि जो पूजा कराए (पंडित) उसका मुंह उत्तर की ओर होना चाहिए।
नींव कितना गहरा रखें?
वास्तु नियम के मुताबिक, सामान्य तौर पर नींव के लिए 5 फीट का गड्ढा खोदना उचित है। इस बात को ध्यान में रखकर ही भूमि पूजन के लिए नींव खोदना चाहिए।
भूमि पूजन में और किन बातों का रखें ख्याल
भूमि पूजन में सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा का विधान है। इनकी पूजा से किस प्रकार की कोई बाधा नहीं आती। साथ ही कलश की पूजा भी की जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि कलश को ब्रह्मांड का प्रतीक माना जाता है। कलश में आम का पल्लव (पांच पत्ते वाले), सिक्के, सुपारी रखे जाते हैं।
यह भी पढ़ें: 2024 में 5 राशियां बनेंगी धनवान! शनि देव रहेंगे मेहरबान
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है।News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।