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Today Guru Purnima: यदि गुरु न हो, तो किसकी पूजा करनी चाहिए?

Today Guru Purnima: भारत में गुरु का स्थान भगवान के भी ऊपर रखा गया है। गुरु को तीनों देवों ब्रह्मा विष्णु और महेश के बराबर का दर्जा दिया गया है। हमारे शास्त्रों मे कहा गया है कि गुरु ही हमें भगवान को पाने का रास्ता दिखाते हैं। आज यानी की 3 जुलाई को महापर्व आषाढ़ […]

Edited By : Gyanendra Sharma | Updated: Jul 3, 2023 12:43
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Guru Purnima

Today Guru Purnima: भारत में गुरु का स्थान भगवान के भी ऊपर रखा गया है। गुरु को तीनों देवों ब्रह्मा विष्णु और महेश के बराबर का दर्जा दिया गया है। हमारे शास्त्रों मे कहा गया है कि गुरु ही हमें भगवान को पाने का रास्ता दिखाते हैं। आज यानी की 3 जुलाई को महापर्व आषाढ़ पूर्णिमा (गुरु पूर्णिमा) है। देश भर में इस अवसर पर गंगा घाटों पर स्नान करने को लेकर श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी है।

क्यों मनाई जाती है गुरु पूर्णिमा

बताया जाता है कि आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन महाभारत के रचयिता महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था। जिसके कारण आज के दिन को गुरु पूर्णिमा व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। वेद व्यास जी ने वेदों का संपादन किया, महाभारत, श्रीमद् भागवद् गीता, 18 पुराणों की रचना की थी। वेद व्यास की जयंती पर ही गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है। गुरु पूर्णिमा पर गंगा स्नान का भी काफी महत्व है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, गुरु अपने उपदेशों से शिष्य के अज्ञान को दूर करता है। गुरु ही अपने शिष्यों का कल्याण करते हैं।

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भारत में हर दिन स्नान करने की परंपरा है। हर दिन गुरु को पूजा जाता है। लेकिन गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु की पूजा का विशेश महत्व है। आज के दिन आप अपने गुरु को भेंट दे सकते हैं। गुरु की चरण वंदन कर उन्हें तिलक लगाएं।

यदि गुरु न हो, तो किसकी पूजा करनी चाहिए?

यदि आपके जीवन में कोई गुरु नहीं हैं, तो आप अपने इष्टदेव का पूजन कर सकते हैं। आप चाहें तो शिव जी, विष्णु जी, गणेश जी, सूर्य देव, देवी दुर्गा, हनुमान जी, श्रीकृष्ण को गुरु मानकर इनकी पूजा कर सकते हैं। अपने माता-पिता, घर के अन्य बड़े लोगों को गुरु मानकर उनकी पूजा की सकते हैं। किसी भी अपने से श्रेष्ठ व्यक्ति को अपना गुरु मानकर उनकी पूजा करनी चाहिए।

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क्या हैं गुरु से जुड़ी मान्यताएं

मानयता है कि जिस व्यक्ति के जीवन में कोई गुरु नहीं होते उनकी पूजा भगवान भी स्वीकार नहीं करते। गुरुहीन व्यक्ति द्वारा किए गए श्राद्ध कर्म, तर्पण आदि पितर देवता स्वीकार नहीं करते हैं। इसलिए किसी योग्य व्यक्ति को गुरु बनाकर उनसे गुरु दीक्षा लेनी चाहिए। इस बात का खास ध्यान रखें कि आज के दिन अपने गुरु के पास खाली हाथ न जाएं। उनके लिए कोई भेंट जरुर लेकर जांए। आज के दिन लोग गंगा घाटों पर स्नान कर अपने गुरु की पूजा अर्चना करते हैं। उसके बाद दिन दुखियों को दान भी देते हैं।

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Written By

Gyanendra Sharma

First published on: Jul 03, 2023 12:43 PM

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