Manas Gayatri Mantra: भारतीय आध्यात्म शास्त्र में गायत्री मंत्र की अत्यधिक महिमा बताई गई है। इस एक मंत्र के प्रयोग से व्यक्ति अपने जीवन में जो कुछ चाहें, आसानी से पा सकता है। यद्यपि इस मंत्र के अनुष्ठान के लिए बहुत से नियम भी बताए गए हैं। उदाहरण के लिए बिना गुरु से प्राप्त किए इस मंत्र का जप नहीं करना चाहिए। वह ब्रह्मचर्य धारण करने वाला हो, गुरु परंपरा में दीक्षित हो तथा उसके मन, मस्तिष्क और शरीर में गायत्री मंत्र के जप से उत्पन्न होने वाली प्रचंड ऊर्जा को धारण करने की सामर्थ्य हों।
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इस स्थिति में आप मानस गायत्री मंत्र का जप कर सकते हैं। हम सभी जानते हैं कि गोस्वामी तुलसीदात कृत श्रीरामचरितमानस में बहुत से मंत्रों को चौपाई रुप कविता में पिरोया गया है। मानस गायत्री मंत्र भी ऐसा ही एक मंत्र है। इसका जप संसार का प्रत्येक व्यक्ति कर सकता है। इसके अनुष्ठान भी किए जा सकते हैं और इस मंत्र के प्रयोग से सभी संकटों से मुक्ति भी पाई जा सकती है। मानस गायत्री मंत्र निम्न प्रकार है
यह है मानस गायत्री मंत्र
जनकसुता जग जननि जानकी । अतिसय प्रिय करुना निधान की।
ताके जुग पद कमल मनावउँ । जासु कृपाँ निरमल मति पावउँ॥
अर्थात् राजा जनक की पुत्री, जगत की माता और करुणा निधान श्री रामचन्द्रजी की प्रियतमा श्री जानकीजी के दोनों चरण कमलों को मैं मनाता हूं, जिनकी कृपा से निर्मल बुद्धि पाऊं।
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ऐसे करें इस मंत्र का अनुष्ठान (Manas Gayatri Mantra)
वैसे तो इस मंत्र रूपी चौपाई का जप कभी भी किया जा सकता है। उठते-बैठते, चलते-फिरते इस मंत्र का जप करने से व्यक्ति का कल्याण होता है। परन्तु यदि नियमपूर्वक संकल्प लेकर मानस गायत्री के 51 हजार या सवा लाख जप का अनुष्ठान किया जाए तो व्यक्ति असंभव को भी संभव कर सकता है। अनुष्ठान करने के लिए किसी विद्वान आचार्य का मार्गदर्शन लिया जा सकता है।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।