Ram Katha Shri Ram Vibhishan Sushen Valid Interesting Story : राम सिया राम…की कड़ी में हम लोग रामचरित मानस के राम, लक्ष्मण और सीता जी समेत कई पात्रों के बारे में चर्चा कर रहे हैं। वहीं भगवान श्रीराम के लंका में विभीषण के अलावा भी कई ऐसे व्यक्ति थे जोकि धर्म की मर्यादा को अच्छे से समझते थे और समय आने पर उन्होंने भगवान श्रीराम का समर्थन किया और भरपूर साथ दिया। तो आइए जानते हैं एक ऐसे ही पात्र के बारे में जोकि लंका में निवास करता था, परंतु विपत्ति के समय में उसने भी श्रीराम की मदद की थी।
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मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के संपूर्ण जीवन का श्रीरामचरित मानस में विस्तार से वर्णन मिलता है। माता सीता के हरण के बाद भगवान श्रीराम ने लंका पर चढ़ाई कर दी। इस दौरान लंका के राजा रावण का भाई विभीषण भगवान रावण और लंका को त्याग कर भगवान श्रीराम की शरण में आ गया। उसने लंका विजय में भगवान श्रीराम के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
वहीं ऐसा भी वर्णन मिलता है कि रावण के दूसरे भाई महाबलशाली कुंभकरण ने भी रावण को युद्ध छोड़कर श्रीराम की शरण में जाने की सलाह दी थी। परंतु रावण ने उसकी सलाह नहीं मानी थी और कुंभकरण को भी रणचंडी की भेंट चढ़ा दिया गया। कहा जाता है कि एक बार संग्राम के दौरान रावण के पुत्र मेघनाद ने लक्ष्मण पर वीरघातनी शक्ति का प्रयोग किया।
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इस शक्ति के लगने से लक्ष्मण जी मूर्छित हो गए। कहा जाता है कि लक्ष्मण जी इस शक्ति के प्रभाव से अपनी बिलकुल अचेत हो गए। संकट के इस समय में जब भगवान श्रीराम असहज हुए तो विभीषण की सलाह पर लंका के राजवैध सुषेण को लक्ष्मण जी की चिकित्सा के लिए बुलाया गया। इस विषम परिस्थिति में सुषेण वैध ने अपने जीवन की चिंता किए बिना भगवान श्रीराम का साथ दिया और लक्ष्मण का उपचार किया। जब लक्ष्मण जी स्वस्थ हो गए उसके बाद ही सुषेण वैध को लंका वापस भेजा गया।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धर्मग्रंथों पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है।News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।