Ram Katha Shri Ram Lakshaman Interesting Story : राम सिया राम…की कड़ी में हर रोज कोई ना कोई रोचक किस्सा और कहानी आप लोगों के साथ शेयर किया जा रहा है। वहीं आज हम आप लोगों को एक ऐसे ही रोचक किस्से के बारे में बताएंगे, जिसके बारे में शायद ही आपने कुछ सुना होगा। 14 वर्षों के वनवास के दौरान भगवान श्रीराम, माता जानकी जी और श्रीराम के छोटे भाई वन को चले जाते हैं।
परंतु 14 वर्ष की इस लंबी अवधि में लक्ष्मण जी ना तो एक भी दिन सोए और ना ही उन्होंने कभी भोजन ग्रहण किया। कहा जाता है कि वनवास काल के दौरान जब माता शबरी ने प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण को खाने के लिए बेर दिए तो लक्ष्मण जी ने उन बेरों को भी ग्रहण नहीं किया और अपनी शक्ति से हिमालय की ओर फेंक दिया था। तो आइए जानते हैं कि क्या श्रीराम के भाई लक्ष्मण जी ने 14 वर्षों तक वास्तव में भोजन ग्रहण नहीं किया।
ये भी पढ़ें : विभीषण के अलावा लंका के एक खास व्यक्ति ने भी की थी श्रीराम की मदद
गुरु वशिष्ठ ने खोला राज
वनवास से वापस आने के बाद गुरु वशिष्ठ ने भगवान श्रीराम को बताया कि 14 सालों से आपके अनुज लक्ष्मण ने भोजन नहीं किया है तो श्रीराम को इस बात पर विश्वास ही नहीं हुआ। उन्होंने गुरु वशिष्ठ से कहा कि गुरुवर मैं तो प्रतिदिन भोजन के समय लक्ष्मण को खाने के लिए भोजन देता था। साथ ही मैंने आज तक लक्ष्मण को दिया गया भोजन कहीं आसपास पड़ा हुआ भी नहीं देखा।
इसके बाद लक्ष्मण जी प्रभु श्रीराम को बताते हैं कि भैया जब आप मुझे खाने के लिए भोजन देते थे तो मैं उस भोजन को अपनी शक्तियों के बल से अयोध्या भेज देता था। इसीलिए मैं 14 वर्षों तक भोजन नहीं किया। इसके बाद लक्ष्मण जी भगवान श्रीराम को एक स्नान पर ले गए। जहां उन्होंने 14 वर्षों का भोजन छिपा रखा था।
इसके बाद जब भगवान श्रीराम से भोजन के पात्रों को गिना तो 14 वर्षों के हिसाब से चार पात्र कम निकले। तब अपने अनुज लक्ष्मण से भगवान श्रीराम कहते हैं कि लक्ष्मण मेरे भाई इसमें चार पात्र कम हैं। क्या आपने वनवास के दौरान चार दिन भोजन किया। क्योंकि इसमें चार पात्र कम हैं।
ये भी पढ़ें : केवट ने क्यों धोए थे श्रीराम के पैर?
14 साल में चार दिन नहीं बना भोजन
तब लक्ष्मण जी कहते हैं कि भैया इन चार दिनों हमारी कुटिया में भोजन बना ही नहीं था। क्योंकि जिस दिन हमने वनवास के लिए प्रस्थान किया था उस दिन आपने भी कुछ नहीं खाया था। इसके पश्चात जब हमारे पिता राजा दशरथ की मृत्यु हुई तब भी हमारे यहां भोजन नहीं बना और जब माता जानकी जी का अपहरण करके लंका का राजा रावण ले गया, उस दिन भी हमारी कुटिया में भोजन नहीं बना था। साथ ही जिस दिन मुझे मेघनाद ने शक्तिबाण मारा था। उस दिन भी हमने भोजन नहीं किया।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धर्मग्रंथों पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है।News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।