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Rahu-Ketu: कुंडली का सबसे खतरनाक ग्रह है राहु-केतु, जानें कैसे हुइ इनकी उत्पत्ति

Chandra Grahan 2023: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली का सबसे खतरनाक ग्रह राहु-केतु को माना गया है। लेकिन क्या आप राहु-केतु के बारे में जानते हैं। अगर नहीं तो आइए विस्तार से जानते हैं।

Edited By : Raghvendra Tiwari | Updated: Oct 24, 2023 13:05
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Rahu Ketu
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Rahu Ketu: हर कोई व्यक्ति अपने जीवन में सफलता प्राप्त करना चाहता है। इसके लिए वह दिन रात मेहनत भी करता है। व्यक्ति के जीवन में नवग्रह अहम भूमिका निभाते हैं। लेकिन नवग्रह में ऐसे दो ग्रह है, जो किसी जातक की कुंडली में प्रवेश करते हैं, तो अशुभ फल देने लगते हैं। वो दोनों ग्रह राहु और केतु हैं, जिन्हें पापी ग्रह भी कहा जाता है। इन दोनों ग्रहों के अशुभ फल देने वाले ग्रह भी कहा जाता है। लेकिन क्या आपको पता है आखिरकार राहु-केतु कौन है। आइए इन दोनों ग्रहों के बारे में विस्तार से जानते हैं।

राहु-केतु कैसे हुई उत्पत्ति

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के समय जब स्वरभानु नाम का दैत्य अमृत पान करने के लिए देवताओं के बीच में बैठ गया था, उस समय सूर्य और चंद्र मोहिनी रूप धारण कर सभी देवताओं को अमृत पिला रहे थे, तभी भगवान विष्णु ने स्वरभानु नामक दैत्य की पोल खोल दी। जैसे ही पोल खुली तुरंत भगवान श्री विष्णु ने सुदर्शन चक्र से स्वर भानु दैत्य का सिर धड़ से अलग कर दिया। स्वरभानु का सिर अलग और धड़ अलग हो गया। वहीं राक्षस राज स्वरभानु के सिर वाला हिस्सा राहु और धड़ का हिस्सा केतु कहलाया गया।

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स्कंद पुराण के अवन्ति खंड के अनुसार, कहा जाता है कि सूर्य और चंद्र को ग्रहण का दंश देने वाले राहु-केतु ग्रह उज्जैन में जन्मे थें। मान्यताओं के अनुसार, राहु और केतु एक सर्प माने जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, राहु का अधिदेवता काल और प्रति अधिदेवता सर्प हैं। साथ ही केतु का अधिदेवता चित्रगुप्त और प्रति के अधिदेवता ब्रह्माजी माने जाते हैं।

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ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार राहु-केतु को रहस्यवादी ग्रह माना गया है। मान्यता है कि जब कुंडली में राहु-केतु गलत स्थान पर होते हैं, तो जातक को जीवन में मृत्यु के समान कष्ट देते हैं। लेकिन जब ये ग्रह किसी जातक से प्रसन्न होते हैं, तो उसके जीवन में खुशहाली भर देते हैं। साथ ही उस जातक को जीते जी सर्व का सुख प्रदान करते हैं। शास्त्रों के अनुसार, जब जातक की कुंडली में राहु-केतु शुभ स्थान पर होते हैं, तो राजयोग बनता है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यदि किसी जातक की कुंडली में राहु-केतु खराब या अशुभ होते हैं, तो जातक 42 साल परेशान रहता है। साथ ही व्यक्ति को अपना जीवन नर्क के समान लगने लगता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, राहु-केतु को सर्प के रूप में माना गया है। जिसमें राहु को सर्प का सिर और केतु को पूछ बताया गया है। ऐसे में दोनों ग्रह जब कुंडली में प्रवेश करते हैं, तो कई तरह के दोष उत्पन्न होने लगते हैं, जिनमें पितृ दोष, कालसर्प दोष, अंगारक योग, गुरु चांडाल योग, ग्रहण योग और कपट योग शामिल है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

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Edited By

Raghvendra Tiwari

First published on: Oct 24, 2023 12:11 PM

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