Parsi New Year 2023: सभी धर्म में अपना अलग-अलग महत्व होता है। हिंदू धर्म में जिस तरह से नया साल चैत्र मास से शुरू होता है। ठीक वैसे ही पारसी समुदाय के कैलेंडर में 21 मार्च से पारसी का नया साल शुरू होता है। इस साल भी आज यानी 21 मार्च को देशभर में पारसी न्यू ईयर नवरोज मनाया जा रहा है।
जमशेदी नवरोज भी कहलाता है पारसी न्यू ईयर
आस्था का प्रतीक पारसी न्यू ईयर, नवरोज के नाम से भी जाना जाता है। इसको दो पारसी शब्द नव और रोज से मिलकर बनाया गया है। पारसी के मुताबिक इसका अर्थ नया दिन होता है। इसके अलावा पारसी न्यू ईयर को जमशेदी नवरोज भी कहा जाता है। नवरोज तो पारसी के दो शब्दों से बना है लेकिन जमशेदी महान फारसी राजा का नाम था, जिन्होंने पारसी कैलेंडर में सौर गणना की शुरुआत की थी।
क्या है नवरोज मनाने के कारण?
पिछले करीब 30 हजार सालों से पारसी समुदायों में नवरोज को मनाया जा रहा है। इस दिन को फारस के राजा जमशेद को याद करके मनाया जाता है। मान्यता है कि पारसी कैलेंडर की स्थापना योद्धा जमशेद द्वारा की गई थी और इसके साथ राजा ने इस दिन सिंहासन ग्रहण किया था। इसलिए पारसी समुदाय में हर साल इसे धूमधाम से मनाया जाता है। इस नए साल के समारोह को जमशेद-ए-नौरोज के तौर पर भी जाना जाता है।
भारत में नवरोज कब होता है?
नवरोज को साल में दो बार मनाया जाता है। इसको 16 अगस्त और 21 मार्च को मनाया जाता है। छमाही और वार्षिक के तौर पर इस त्योहार को मनाते हैं। पारसी समुदाय के लोग दुनियाभर में इस पर्व को पारसी पंचांग के पहले महीने के पहले दिन यानी 21 मार्च को मनाते हैं। पारसी लोग भारत में शहंशाही पंचांग को मानते हैं और 16 अगस्त को इस दिन को मनाते हैं।
नवरोज कैसे मनाते हैं?
पारसी समुदाय के लोग पारसी न्यू ईयर यानी नवरोज के मौके पर सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके तरह-तरह के व्यंजन बनाते हैं। अपने करीबियों और दोस्तों कों बांटते हैं। इतना ही नहीं, उन्हें गिफ्ट भी देकर इस दिन को सेलिब्रेट करते हैं। कहा जाता है पारसी समुदाय के लोग घर में राजा जमशेद की पूजा करते हैं। साथ ही अपने घर में खुशबू के लिए चंदन की लकड़ी का छोटा सा टुकड़ा भी रखते हैं।