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Navratri Third Day: माता के तृतीय स्वरूप चंद्रघण्टा की ये है विशेषता

डॉ. रीना रवि मालपानी: आज नवरात्रि का तीसरा दिन है। नवरात्रि के नौ दिनों में माता के विभिन्न रूपों का स्मरण किया जाता है। उसी क्रम में नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघण्टा के स्मरण का विधान है। वैसे तो मां का प्रत्येक स्वरूप अनूठी शक्ति का वरदान है, परंतु यह स्वरूप राक्षसों का संहार […]

Edited By : Pankaj Mishra | Updated: Sep 29, 2022 12:06
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Maa Chandraghanta

डॉ. रीना रवि मालपानी: आज नवरात्रि का तीसरा दिन है। नवरात्रि के नौ दिनों में माता के विभिन्न रूपों का स्मरण किया जाता है। उसी क्रम में नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघण्टा के स्मरण का विधान है। वैसे तो मां का प्रत्येक स्वरूप अनूठी शक्ति का वरदान है, परंतु यह स्वरूप राक्षसों का संहार करने के लिए प्रसिद्ध है।

मां के 10 हस्त हैं जिनमें धनुष, त्रिशूल, तलवार, गदा इत्यादि सुशोभित होते है। मां की दश भुजाएं पांच कर्मइंद्रिय और पांच ज्ञानइंद्रिय की ओर संकेत करती है। यदि मनुष्य इंद्रियों के अधीन रहेगा तो मनोवांछित फल प्राप्त नहीं कर पाएगा। इसीलिए मां अपने उपासकों को जितेंद्रिय होने की भी प्रेरणा देती हैं।

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मां सिंह पर सवारी करती है। मां के प्रत्येक स्वरूप की छवि अनुपम, न्यारी, भव्य और शक्ति स्वरूपा है। मां के मस्तक पर अर्धचंद्र भी दिखाई देता है, इसलिए इन्हें चंद्रघण्टा कहा जाता है। मां चंद्रघण्टा का स्वरूप मन की चेतना को भी नियंत्रित करने में सहयोगी रहता है। घण्टे की विशेषता होती है कि उसमें ध्वनि कंपन उत्पन्न होता है जोकि सकारात्मक ऊर्जा का जनक है।

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मां चंद्रघण्टा का आह्वान भक्त के मन की नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित कर भक्तों को मन की प्रबलता देता है। यहां पर चन्द्र हमारे अस्थिर मनोभावों एवं विचारों को प्रदर्शित करता है। यदि मानव विचारों के मायाजाल में फंसा रहेगा तो जीवन में स्थिरता प्राप्त करना मुश्किल होगा।

मां चंद्रघण्टा हमें विचारों के बोझ से मुक्ति दिलाकर देवीय चेतना की अनुभूति कराती है। मां चंद्रघण्टा की कृपा अपने भक्तों को एकाग्रता प्रदान कर उनके कष्टों को त्वरित न्यून कर देती है। जिस प्रकार मां के स्वरूप में अदम्य साहस और ऊर्जा संचारित होती है वैसे ही साधक भी साहसी और निर्भय हो जाता है।

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शरीर और वाणी में अजीब सी कान्ति और सौम्यता दिखाई देती है। नवरात्रि प्रथम दिवस हमनें दृढ़ता, द्वितीय दिवस सद्चरित्रता और तृतीय दिवस हमें मन की एकाग्रता प्रदान करता है। ईश्वर सिर्फ और सिर्फ विश्वास एवं प्रेम से मिलते है। इसलिए पूर्व विश्वास से मां के प्रत्येक स्वरूप की सच्चे हृदय से आराधना कर जीवन में सुख, शांति, खुशहाली एवं शक्ति प्राप्त करें।

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HISTORY

Written By

Pankaj Mishra

Edited By

Manish Shukla

First published on: Sep 28, 2022 06:11 AM

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