PM Oath Ceremony: खबर है कि नरेंद्र मोदी की तीसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में ताजपोशी 9 जून को हो सकती है। राजनीतिक हलकों में 8 जून, शनिवार के दिन शपथ लेने की हवा गर्म थी। लेकिन अब यह शनिवार की बजाय रविवार 9 जून को पुनर्वसु नक्षत्र में करने की खबर सामने आ रही है। आइए एक नजर डालते हैं, 9 जून, 2024 के सनातन हिन्दू पंचांग पर…
9 जून 2024 के पंचाग में छिपा है रहस्य
9 जून, 2024 का पंचाग | |
तिथि | तृतीया (विक्रमी संवत् 2081) |
पक्ष | शुक्ल पक्ष |
नक्षत्र | पुनर्वसु |
योग | पुष्य |
करण | गर (03:44 PM तक), वणिज |
वार | रविवार |
माह | ज्येष्ठ |
विशेष | महाराणा प्रताप जयंती, सर्वार्थ सिद्ध योग, रवि योग |
श्रेष्ठ माह ज्येष्ठ का पुनर्वसु नक्षत्र
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि अधिकांश शुभ कार्यों के लिए उपयुक्त है। वहीं पुनर्वसु नक्षत्र एक चर अर्थात गतिशील नक्षत्र है, जो शुभ मुहूर्त में स्वीकृत नक्षत्र है। अदिति को इस नक्षत्र का स्वामी माना गया है। जहां तक योग और करण की बात है, तो वृद्धि योग और गर करण राजकीय राजकाज की शुरुआत के लिए बहुत शुभ माना गया है। साथ ही, 9 जून को रविवार यानी सूर्य के स्वामित्व का दिन है, जो नेतृत्व, शासन, सत्ता, दृष्टि और आत्मविश्वास के स्वामी ग्रह हैं। बता दें कि मोदी जी कुंडली में सूर्य की स्थिति उनके राजयोग का सबसे बड़ा कारण है।
पुनर्वसु नक्षत्र ही क्यों?
मोदी जी भगवान श्रीराम के अनन्य उपासक हैं। भगवान श्रीराम का जन्म नवमी तिथि को पुनर्वसु नक्षत्र में हुआ था, जिसके लिए लिए देवता भी तरसते हैं। इस नक्षत्र में शुभ काम करने का मतलब होता है, काम में चिर-स्थायित्व और प्रतिष्ठा की प्राप्ति। इसलिए पुनर्वसु नक्षत्र को बहुत ही शुभ माना गया है। पुनर्वसु नक्षत्र में शपथ ग्रहण होने से सरकार में स्थायित्व रहेगा और बेहतर कामकाज होगा।
9 जून को है महाराणा प्रताप जयंती
जून की 9 तारीख इसलिए भी भी विशेष है कि इस दिन महान सेनानी महाराणा प्रताप की जयंती पड़ रही है। मध्य प्रदेश में इसी तारीख को छत्रसाल जयंती भी मनाई जाती है। साथ ही, ज्योतिषीय रूप से 9 जून को सर्वार्थ सिद्ध योग और रवि योग का विशेष संयोग भी बन रहा है।
क्या कहता है अंक ज्योतिष?
अंक ज्योतिष के आचार्यों के अनुसार, 9 अंक साहस, शक्ति और ऊर्जा के कारक, ग्रहों के सेनापति मंगल का प्रतिनिधित्व करता है। कहा जा रहा है, जब नई सरकार में सूर्य और मंगल का संयोग रहेगा, तो देश-दुनिया पर भारत के नेतृत्व का डंका एक बार बजेगा, जैसा कि पिछले 10 सालों में होता आया है।
बता दें, चतुर्थी, नवमी, अमावस्या और पूर्णिमा की तिथि को कोरोनेशन यानी ताजपोशी के लिए शुभ नहीं माना गया है। वहीं रोहिणी, पुष्य, अनुराधा, ज्येष्ठा, मृगशिरा, श्रवण, उत्तराषाढ़ा, रेवती, उत्तराभाद्रपद और अश्विनी नक्षत्र को राजकीय समारोह, नए शासन और योजना की शुरुआत और सत्ता में शपथ लेने के लिए शुभ माना जाता है।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित हैं और केवल जानकारी के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।