Moon Time Chandra Puja Vidhi And Astrology Tips: 1 नवंबर यानी आज देशभर में करवा चौथ मनाया जा रहा है। सुहागन महिलाएं अपने जीवनसाथी की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती है। करवा चौथ के व्रत में प्रदोष काल में मां गौरी, श्री गणेश और भगवान शिव की पूजा करते हैं। फिर रात में चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करते हैं। कई बार खराब मौसम के कारण चांद दिखाई नहीं देता है। यदि आज करवा चौथ की रात चांद न दिखे तो आप क्या करेंगी? कैसे अर्घ्य देकर व्रत का पारण करेंगी? परेशान न हों, काशी के ज्योतिषाचार्य से जानते हैं कि चांद दिखाई न देने पर करवा चौथ का अर्घ्य कैसे दिया जाएगा। क्योंकि इस व्रत में चांद को देखकर ही व्रत का पारण किया जाता जाता है।
करवा चौथ 2023: चांद निकलने का समय
आज देश की राजधानी नई दिल्ली में करवा चौथ के दिन चांद रात में 08 बजकर 15 मिनट पर निकलेगा। चंद्रोदय के समय में कुछ परिवर्तन भी हो सकता है।
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करवा चौथ 2023: चांद न दिखने पर ऐसे दे अर्घ्य
आज करवा चौथ पर आपके शहर में चांद दिखाई न दे तो आप ज्योतिष की जानकारी पर चंद्रोदय के समय पर चांदी के सिक्के या फिर चांदी की गोल प्लेट को चंद्रमा का प्रतिरुप मानकर अर्घ्य दे सकती हैं। इसके बाद की सारी विधि हर साल की तरह ही होगी। इसके अलावा दूसरा उपाय है। यह हैं, कि आप शिव जी के मस्तक पर विराजमान चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपने व्रत को पूरा कर सकती हैं। क्योकि भगवान शिव ने अपने मस्तक पर चंद्रमा को धारण किया है। इसलिए उनको चंद्रशेखर भी कहा जाता है।
ज्योतिषशास्त्र में नवग्रहों के शुभ धातुओं के बारे में बताया गया है। चंद्रमा की प्रिय धातु चांदी है। चंद्रमा मन का कारक है। चंद्रमा के प्रबल होने से सुख-समृद्धि और आयु में वृद्धि होती है। बता दे कि कुंडली में जिनका चंद्रमा खराब होता है, उनको चांदी का चंद्रमा बनाकर गले में पहननी चाहिए।
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चंद्रमा को देखकर ही क्यों करते हैं, व्रत का पारण
ज्योतिषाचार्य के अनुसार शास्त्रों में बताया गया है, कि करवा चौथ के दिन चंद्रमा को देखकर पारण करने का विधान नहीं है, लेकिन धार्मिक मान्यता यह है कि चंद्रमा की पूजा से सुख-समृद्धि आती है, और पति आयु बढ़ती है क्योंकि चंद्रमा को भगवान शिव की कृपा से नया जीवनदान मिलने के साथ उनकी आयु में भी वृद्धि हुई थी। चंद्रमा को उनके ससुर दक्ष प्रजापति ने श्राप दिया था, जिसके कारण वे क्षय रोग से ग्रसित हो गए थे और दिन प्रति दिन अपनी चमक खोते जा रहे थे।
भगवान शिव ने गणेश जी के मस्तक को त्रिशूल से काट दिया था, और वह मस्तक चंद्रलोक में जाकर गिरा था। फिर गणेश जी के गज का मुख लगाया गया। शिवजी ने गणेश जी को वरदान दिया था, कि हर पूजा में सबसे पहले आपकों ही पूजा जाएगा। मान्यता है, कि गणेश जी का सिर चंद्र लोक में है और गणेश जी प्रथम पूज्य भी हैं, इस वजह से करवा चौथ पर गणेश और चंद्रमा की पूजा करते हैं।
डिस्क्लेमर:यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।