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Kalashtami Vrat 2024: कालाष्टमी व्रत के दिन काल भैरव की पूजा का है खास महत्व, जानिए शुभ मुहूर्त

Kalashtami Vrat 2024: माना जाता है कि जो लोग कालाष्टमी का व्रत रखते हैं, उनकी हर मनोकामना पूरी होती है। आइए व्रत का महत्व जानते हैं?

Edited By : Simran Singh | Updated: Jan 30, 2024 14:44
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Kalashtami Vrat date and time
Kalashtami Vrat

Kalashtami Vrat 2024: हिंदू धर्म में प्रत्येक तिथि, व्रत और त्योहार का बहुत महत्व है। हर एक तिथि किसी न किसी भगवान को समर्पित है, जिस दिन उनकी विशेष तौर पर पूजा अर्चना की जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का व्रत रखा जाता है। साथ ही काल भैरव की उपासना की जाती है।

माना जाता है कि जो लोग सच्चे मन से कालाष्टमी का व्रत रखते हैं, उनकी हर मनोकामना पूरी होती है। इसके अलावा उनकी कई परेशानियों का हल भी उन्हें मिल जाता हैं। आइए अब जानते हैं इस साल कालाष्टमी का व्रत (Kalashtami Vrat Date) कब रखा जाएगा और काल भैरव की पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त कब है।

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कालाष्टमी व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के मुताबिक, इस साल माघ मास की कृष्ण पक्ष की तिथि 2 फरवरी को है, जो शाम 04:03 तक रहेगी। इसके बाद अष्टमी तिथि आरंभ हो जाएगी, जो अगले दिन यानी 3 फरवरी को शाम 05:20 तक रहेगी। ऐसे में 2 फरवरी 2024, दिन शुक्रवार को कालाष्टमी का व्रत रखा जाएगा। वहीं कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का प्रारंभ 2 फरवरी के दिन शाम 04:02 पर होगा, जिसका समापन अगले दिन  3 फरवरी को साय काल 05:20 पर हो रहा है।

वहीं, 2 फरवरी को पूजा के लिए अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:13 से लेकर दोपहर 12:57 तक है। इसके अलावा कालाष्टमी व्रत का ब्रह्म मुहूर्त, इसी दिन प्रात: 05: 24 से लेकर सुबह 06:17 तक है। वहीं निशिता काल में पूजा का शुभ मुहूर्त कालाष्टमी व्रत के दिन देर रात 12:08 से लेकर रात 01:01 तक है।

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कालाष्टमी व्रत के दिन काल भैरव की पूजा का महत्व

हिंदू मान्यताओं के अनुसार कालाष्टमी व्रत के दिन भगवान महादेव के तीन रूपों में से काल भैरव स्वरूप की उपासना की जाती है। दरअसल, बाबा भैरव के तीन स्वरूप हैं- काल भैरव, रूरू भैरव और बटुक भैरव। इस दिन विशेष तौर पर तंत्र-मंत्र के देवता काल भैरव की पूजा-अर्चना की जाता है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माना जाता है कि जो लोग कालाष्टमी का व्रत रखते हैं, उनके ऊपर से अकाल मृत्यु का खतरा टल जाता है। साथ ही राहु और शनि के दुष्प्रभावों से भी मुक्ति मिलती है। इसके अलावा इस दिन काल भैरव को प्रसन्न कर विभिन्न सिद्धियों को भी हासिल किया जा सकता हैं।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

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Written By

Simran Singh

First published on: Jan 30, 2024 02:44 PM

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