Kaalchakra News24 Today, Pandit Suresh Pandey: ज्योतिष में सूर्य और शनि देव को विशेष स्थान प्राप्त है। ये दोनों ग्रह एक निश्चित अवधि के बाद राशि और नक्षत्र परिवर्तन करते हैं, जिसका समय-समय पर 12 राशियों के ऊपर गहरा प्रभाव पड़ता है। ग्रह गोचर के अलावा सूर्य और शनि की युति का भी सभी राशियों के ऊपर असर देखने को मिलता है। जहां कुछ लोगों के लिए सूर्य-शनि की युति शुभ रहती है, तो कुछ राशियों के जातकों के ऊपर इसका नकारात्मक प्रभाव भी पड़ता है।
आज के कालचक्र में पंडित सुरेश पांडेय आपको बताने जा रहे हैं कि किन-किन परिस्थितियों में सूर्य-शनि की युति का शुभ और अशुभ प्रभाव लोगों के ऊपर पड़ता है।
कब शुभ रहती है सूर्य-शनि की युति?
- जब कुंडली में सूर्य-शनि एक साथ होते हैं लेकिन सूर्य बलशाली हो, तो ऐसा व्यक्ति आत्मविश्वास से परिपूर्ण रहता है। ऐसे व्यक्ति में नेतृत्व करने की बेहतरीन क्षमता होती है, जो बड़े संस्थान को चलाने में सक्षम होते हैं।
- सूर्य-शनि की युति में अगर शनि ज्यादा बलशाली हो, तो व्यक्ति जमीन से जुड़ा रहता है। अपने लक्ष्य और जिम्मेदारियों को कड़ी मेहनत से पूरा करता है। ऐसे लोग अनुशान में रहते हुए हर काम करते हैं।
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कब अशुभ रहती है सूर्य-शनि की युति?
- कुंडली में सूर्य और शनि साथ में विराजमान होते हैं, तो पिता और बच्चों में लगाव बढ़ता है। लेकिन इनके बीच विचारों का मतभेद हमेशा रहेगा। अंहकार के कारण टकराव की स्थिति भी बनती है। ऐसे बच्चे करियर में अपने पिता के विपरीत चुनाव करते हैं। पिता से प्यार होता है, परन्तु बच्चे उनको ये बात बता नहीं पाते हैं।
- जिनकी कुंडली में सूर्य-शनि एक साथ अशुभ स्थिति में विराजमान होते हैं, वो अपने पिता के साथ एक ही घर में रहते हैं। ऐसे लोगों को जीवन में तरक्की मिलने में परेशानी होती है और हर काम में परेशानियां आती हैं। आर्थिक मामलों में पैतृक सहयोग नहीं मिलता है। पिता का स्वास्थ्य भी प्रभावित रहता है या पिता से दूर रहना पड़ सकता है।
- जब नीच का सूर्य शनि के साथ युति करता है, तो ऐसे लोगों के आत्मविश्वास में बहुत कमी आती है। इसके अलावा कुंडली में सूर्य-शनि की युति, किसी भी व्यक्ति को अहंकारी बनाती है।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।