Jagannath Rath Yatra 2023: भारत के पवित्र शहर तथा वैष्णव तीर्थस्थल पुरी में हर साल आयोजित होने वाली जगन्नाथ रथ यात्रा सदियों पुरानी परंपरा है। यह भगवान विष्णु के ही अवतार भगवान जगन्नाथ, तथा उनके भाई-बहन, भगवान बलराम और देवी सुभद्रा के साथ रथ विहार करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान जगन्नाथ अपने भक्तों को आशीर्वाद देने और उनसे बातचीत करने के लिए अपने गर्भगृह से बाहर आते हैं।
बनाए जाते हैं तीन अति भव्य रथ
रथ यात्रा के सबसे मनोरम पहलुओं में से एक विस्तृत रूप से सजाए गए रथ हैं। इन रथों को कुशल कारीगरों द्वारा सावधानीपूर्वक निर्मित किया जाता है। ये देखने में विशाल तथा अत्यन्त सुंदर होते हैं। प्रत्येक रथ पर देवता विराजमान होते हैं। भगवान जगन्नाथ के रथ को नंदीघोष कहा जाता है, भगवान बलभद्र के रथ का नाम तलध्वज तथा देवी सुभद्रा के रथ को दर्पदलन के नाम से जाना जाता है।
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गुंडिचा मंदिर तक जाती है रथयात्रा
रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra 2023) का गंतव्य गुंडिचा मंदिर होता है जो मुख्य जगन्नाथ मंदिर से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस मंदिर का अत्यधिक महत्व है क्योंकि इसे भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा का मायका माना जाता है। देवता नौ दिनों तक गुंडिचा मंदिर में रहते हैं। इस दौरान भक्त आशीर्वाद लेने और प्रार्थना करने के लिए मंदिर में आते हैं।
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9 दिन बाद होती है वापसी यात्रा
गुंडिचा मंदिर में नौ दिनों के दिव्य प्रवास के बाद, देवता बहुदा यात्रा के रूप में जाने वाली भव्य परिणति में जगन्नाथ मंदिर वापस जाते हैं। रथयात्राओं में भक्तजन अथाह जोश और उत्साह के साथ रथों को खींचते हैं। यह पूरी तीर्थ यात्रा ही अपने आप में एक विहंगम दृश्य होता है जो देखते ही भक्त श्रद्धालुओं का मन मोह लेता है।
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