ज्योतिष के अनुसार अगर आप अपनी कुंडली या राशि के अनुसार इष्ट देव की पूजा करते हैं तो आपकी सभी मनोकामनाएं तुरंत पूरी हो जाती हैं। हालांकि इसका अर्थ ये नहीं है कि आप किसी और भगवान की पूजा नहीं कर सकते हैं। सनातन धर्म के अनुसार ईश्वर एक ही है वह उसके स्वरूप अलग-अलग हैं। कोई भगवान को शिव तो कोई विष्णु तो कोई दुर्गा स्वरूप में पूजता है, लेकिन सभी का मूल एक ही है।
हिंदू धर्म में कई सारे देवी-देवताओं का जिक्र आता है। वहीं, व्यक्ति अपनी पसंद के अनुसार भी भगवानों का पूजन करता है। हालांकि ज्योतिष के अनुसार आपकी कुंडली और राशि आपको इष्ट देव को भी बताती है। अगर आप अपनी कुंडली या राशि के अनुसार इष्ट देव को जानकर उनका पूजन करते हैं तो आपकी मनोकामनाएं तुरंत पूरी होने लगती हैं। आइए जानते हैं कि इष्ट देव की पहचान कैसे करें।
राशि के अनुसार जानिए इष्ट देव
आप अपनी राशि के अनुसार भी इष्ट देव का चयन कर सकते हैं। जब व्यक्ति का जन्म होता है उस समय चंद्रमा जिस राशि में होता है वह चंद्र राशि और जन्मकुंडली के पहले भाव यानी घर में मौजूद राशि को लग्न राशि माना जाता है। आप अपनी लग्न या चंद्र राशि के अनुसार इष्ट देव चुन सकते हैं।
मेष और वृश्चिक राशि
इन दोनों राशि के स्वामी मंगल हैं और इनको हनुमान जी, रामजी या शिवजी का पूजन करना चाहिए।
वृषभ और तुला राशि
इन दोनों राशि के स्वामी शुक्र हैं। इनको श्रीकृष्ण, लक्ष्मी जी या राधा-कृष्ण का पूजन करना चाहिए।
मिथुन और कन्या राशि
मिथुन और कन्या राशि के स्वामी बुध ग्रह हैं और इन राशि वालों गणेश जी या दुर्गामाता की पूजा करनी चाहिए।
कर्क राशि
कर्क राशि के स्वामी चंद्रमा हैं और इन राशि वालों को शिव या पार्वती जी का पूजन करना चाहिए।
सिंह राशि
इस राशि के स्वामी सूर्य देव हैं। इनको विष्णु जी या सूर्य देव की पूजा करनी चाहिए।
धनु और मीन राशि
इनके स्वामी बृहस्पति देव हैं और इनको विष्णु जी व लक्ष्मी जी का पूजा करनी चाहिए।
मकर और कुंभ राशि
मकर और कुंभ राशि वालों को शनिदेवस हनुमान जी और शिवजी का पूजन करना चाहिए।
राशि | स्वामी ग्रह | पारंपरिक रूप से माने गए इष्ट देव |
---|---|---|
मेष (Aries) | मंगल | हनुमान जी, कार्तिकेय |
वृषभ (Taurus) | शुक्र | श्रीकृष्ण, लक्ष्मी जी |
मिथुन (Gemini) | बुध | गणेश जी, दुर्गा माता |
कर्क (Cancer) | चंद्र | शिव जी, पार्वती जी |
सिंह (Leo) | सूर्य | विष्णु जी, सूर्य देव |
कन्या (Virgo) | बुध | गणेश जी, दुर्गा जी |
तुला (Libra) | शुक्र | लक्ष्मी जी, राधा-कृष्ण |
वृश्चिक (Scorpio) | मंगल | हनुमान जी, शिव जी |
धनु (Sagittarius) | गुरु | विष्णु जी, सरस्वती माता |
मकर (Capricorn) | शनि | शनि देव, हनुमान जी |
कुंभ (Aquarius) | शनि | शिव जी, शनि देव |
मीन (Pisces) | गुरु | विष्णु जी, लक्ष्मी जी |
देखें लग्न कुंडली का पांचवां भाव
कुंडली का पांचवां भाव भक्ति, संस्कार और उपासना का भी माना गया है। 5वें भाव में जो भी नंबर लिखा है। उस नंबर की राशि के जो भी स्वामी हैं। इसके अलावा वे कहां विराजमान हैं और उनपर किसकी दृष्टि है, इससे भी आप इष्ट देव जान सकते हैं। जैसे पंचम भाव के स्वामी शुक्र हैं तो व्यक्ति की इष्ट लक्ष्मी माता या राधा रानी होंगी।
नवमांश कुंडली
डी9 चार्ट यानी नवमांश कुंडली में पंचम भाव या धर्म त्रिकोण के ग्रहों की स्थिति से जाना जाता है कि आपकी आध्यात्मिक ऊर्जा किन देवताओं से जुड़ी है।
आत्मकारक ग्रह
यह जैमिनी ज्योतिष में बताया गया है। आपकी कुंडली में सूर्य को छोड़कर जो ग्रह सबसे ज्यादा डिग्री पर होता है वह आत्माकारक ग्रह होता है। यह किसी भी भाव में मौजूद हो सकता है। इस ग्रह के देवता ही आपके इष्ट देव होते हैं।
राशियों के नाम व नंबर
1 – मेष (Aries)
2 – वृषभ (Taurus)
3 – मिथुन (Gemini)
4 – कर्क (Cancer)
5 – सिंह (Leo)
6 – कन्या (Virgo)
7 – तुला (Libra)
8 – वृश्चिक (Scorpio)
9 – धनु (Sagittarius)
10 – मकर (Capricorn)
11 – कुंभ (Aquarius)
12 – मीन (Pisces)
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्रों पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।
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