Hartalika Teej 2022: हरियाली तीज और कजरी तीज की तरह ही हरितालिका तीज का व्रत भी सुहागिन महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन महिलाएं अपने पति के स्वस्थ जीवन और लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। ये व्रत निर्जल रखा जाता है और भगवान शिव और मां पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। मुख्य तौर पर राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में इस व्रत को रखा जाता है। कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में इस तीज को गौरी हब्बा के नाम से जाना जाता है।
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हरितालिका तीज भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाते हैं। इस व्रत को हरितालिका तीज या तीजा भी कहते हैं। हरतालिका तीज को बेहद कठिन व्रत माना जाता है। इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा का विधान है। इस साल हरतालिका तीज 30 अगस्त 2020 को है। हरतालिका तीज के दिन महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए निर्जला व्रत रखकर महादेव और माता पार्वती की विधि विधान से पूजा करती हैं। मान्यता है कि इस व्रत को रखने और विधि-विधान से पूजा करने से दांपत्य जीवन सुखद होता है। पति-पत्नी के बीच अनबन दूर होती है।
हरितालिका तीज का शुभ मुहूर्त
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 29 अगस्त को दोपहर 03 बजकर 20 मिनट से प्रारंभ होगी। जो कि अगले दिन यानी 30 अगस्त को दोपहर 03 बजकर 33 मिनट तक रहेगी। हरतालिका तीज व्रत 30 अगस्त 2022 को रखा जाएगा। इस दिन सुबह 6 बजकर 30 मिनट से लेकर 8 बजकर 33 मिनट तक हरतालिका तीज की पूजा होगी। वहीं, शाम 6 बजकर 33 मिनट से रात 08 बजकर 51 मिनट तक प्रदोष काल रहेगा।
हरितालिका तीज की पूजा विधि
हरितालिका तीज पर भी भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि प्रदोष काल में हरितालिका तीज की पूजा करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। शाम के समय सुहागिन महिलाएं साफ-सुथरे, सुंदर कपड़े पहनें और 16 श्रृंगार करें। उसके बाद गीली मिट्टी से भगवान शिव, मां पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा बनाएं। भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करके उनको वस्त्र अर्पित करें। मां पार्वती को श्रृंगार सामग्री चढाएं। हरितालिका व्रत की कथा सुनें। पूरे विधि-विधान से भगवान की आरती उतारें फिर अगली सुबह स्नान करके मां पार्वती की पूजा करें। मां को सिंदूर अर्पित करके हल्वे का भोग लगाएं। इस विधि से पूजन करने के बाद अपना व्रत खोलें।
हरतालिका तीज व्रत के नियम
- हरतालिका तीज व्रत में जल ग्रहण नहीं किया जाता है। अगले दिन सुबह पूजा के बाद जल पीकर व्रत खोलने का विधान है।
- हरतालिका तीज व्रत एक बार शुरू करने पर फिर इसे छोड़ा नहीं जाता है। हर साल इस व्रत को पूरे विधि-विधान से करना चाहिए।
- हरतालिका तीज व्रत के दिन रात्रि जागरण किया जाता है। रात भर जागकर भजन-कीर्तन करना चाहिए।
- हरतालिका तीज व्रत का श्रद्धा पूर्वक पालन करना चाहिए।
- तृतीया तिथि में पूजा गोधली और प्रदोष काल में की जाती है। चतुर्थी तिथि में पूजा मान्य नहीं, चतुर्थी तिथि में व्रत पारण किया जाता है।
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