Enemy Planets of Shani: ज्योतिष शास्त्र में शनि को क्रूर ग्रह बताया गया है। इसकी दो मुख्य वजह हैं, पहला कि वे कर्म के अनुसार शुभ-अशुभ फल देने में कंजूसी नहीं करते हैं। दूसरा यह कि केवल उनके पास साढ़ेसाती और ढैय्या या पनौती जैसे दंड अस्त्र हैं, जिससे लोगों के जीवन में उथल-पुथल मच जाती है। यही कारण है कि वैदिक ज्योतिष में शनि एक महत्वपूर्ण और शक्तिशाली ग्रह माने गए हैं। यहां चर्चा इस बात को लेकर हो रही है कि शनिदेव किस ग्रह को अपना शत्रु मानते हैं, क्यों मानते हैं और शत्रु ग्रहों के संग उनके योग-संयोग और दृष्टि का राशियों पर क्या असर होता है?
बता दें कि ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की मित्रता और शत्रुता का बहुत महत्व है। मान्यता है कि ग्रहों के आपसी संबंध व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव डालते हैं। फलित ज्योतिष में ग्रहों की दोस्ती और दुश्मनी का विशेष ध्यान रखना पड़ता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, शनि ग्रह को तीन ग्रहों को अपना परम शत्रु मानता है। ये हैं: सूर्य, चंद्रमा और मंगल।
सूर्य (Sun)
यूं तो सूर्य को शनि का पिता माना जाता है, लेकिन सूर्य और शनि के बीच सदैव से तनावपूर्ण संबंध रहे हैं। इसकी वजह यह कि सूर्यदेव, शनि की मां छाया को अपनी अर्धांगिनी नहीं मानते हैं और शनि को को सूर्य से कभी पुत्र जैसा प्रेम, आशीर्वाद और सम्मान नहीं मिला। इस कारण शनि, सूर्य को अपना शत्रु मानते हैं। शनि की दृष्टि से सूर्य भी भयभीत रहते हैं और पिता होते हुए भी उनसे शत्रुता का भाव रखते हैं। कुंडली में सूर्य और शनि के योग से पिता-पुत्र में संबंध खराब हो जाते हैं। जब भी सूर्य और शनि की युति, योग या संयोग बनते हैं, तो देखा गया है देश-दुनिया पर तबाही जैसा असर होता है।
चंद्रमा (Moon)
एक पौराणिक कथा के अनुसार, देवी तारा देवगुरु बृहस्पति की पत्नी थीं, जिसकी सुंदरता पर चंद्रमा आसक्त हो गए। चंद्रमा ने छल से तारा के साथ समागम करके बुध ग्रह को जन्म दिया। कहते हैं, इसलिए चंद्रमा के गलत आचरण के कारण शनिदेव उनसे शत्रुता का भाव रखते हैं। दूसरी बात यह कि चंद्रमा जितने चंचल और भावुक है, शनि उतने ही धीमे और उदासी भरे हैं। स्वभाव की भिन्नता भी शत्रुता का एक कारण हैं। बता दें कि जब शनि और चंद्रमा की युति होती है, तो ‘विष योग’ नामक बेहद घातक और मारक योग बनता है, जिसमें व्यक्ति दर-दर की ठोकरें खाता है और पागल तक हो सकता है।
मंगल (Mars)
वैदिक ज्योतिष में मंगल भी एक क्रूर ग्रह हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, मंगल ने एक षडयंत्र के तहत सूर्यलोक पर राज करने के लिए उनकी पुत्री यमी को अपने वश कर लिया था। साथ ही, एक समय मंगलदेव ने शनि की पत्नी दामिनी पर भी अपना प्रभाव बढ़ाकर शनिदेव के वैवाहिक जीवन में उथल-पुथल मचाना चाहा था। इसलिए मंगल के षडयंत्रकारी प्रवृत्ति के कारण शनि उनसे शत्रुता रखते हैं। शनि और मंगल की युति से द्वंद्व योग और उनकी दृष्टि से विध्वंस योग का निर्माण होता है, जिसके असर से झगड़े, फसाद, लड़ाइयां, आगजनी आदि घटनाएं होती हैं। शनि और मंगल की युति को तेल और आग का संबंध बताया गया है।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।