Dharma Karma: बहुत से साधक ऐसे भी होते हैं जो लंबे समय तक साधना तथा मंत्र जाप करते हैं परन्तु उन्हें सफलता नहीं मिलती है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। शास्त्रों के अनुसार जब तक व्यक्ति का प्रारब्ध पूरी तरह समाप्त नहीं होता है वह आध्यात्म के क्षेत्र में आगे नहीं बढ़ सकता है। इसी वजह से गुरु अपने शिष्यों को कई ऐसे मंत्र अनुष्ठान करवाते हैं जो शिष्य के संचित कर्मों का नाश करते हैं। इनमें गायत्री मंत्र अथवा महामृत्युंजय मंत्र का सवा करोड़ जप, राम नाम का 13 करोड़ जप आदि अनुष्ठान प्रमुख हैं।
इसी प्रकार एक मंत्र शैवागमों में भी दिया गया है जो साधक के सभी कर्मों का नाश कर उसे साधना के पथ पर आगे बढ़ने का मार्ग बनाता है। इसे तन्त्र मन्त्र यन्त्र शिरोमणी मंत्र कहा जाता है। यह निम्न प्रकार है
ओम नमो परब्रहम परमात्मने नम: उत्पत्तिस्थिति प्रलयंकराये ब्रहम हरिहराये त्रिगुणात्मने सर्व कौतुकानी दर्शय दर्शय दत्तात्रेयाय नम: मनोकामना सिद्धिं कुरू कुरू स्वाहा !
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ज्योतिषी मोहर सिंह लालपुरिया के अनुसार यह मंत्र भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु, भगवान शिव एवं तंत्र के आदिदेव दत्तात्रेय को समर्पित है। यह मंत्र सात्विक माना गया है और इसे करने के पहले केवल मात्र गुरु की आज्ञा तथा मार्गदर्शन लेना पर्याप्त है। मंत्र अनुष्ठान के लिए किसी विशेष प्रकार के विधि-विधान की आवश्यकता नहीं है।
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मंत्र जप से मिलते हैं ये लाभ (Dharma Karma)
तन्त्र मन्त्र यन्त्र शिरोमणी मंत्र को शास्त्रों में अत्यन्त गोपनीय बताया गया है। इसके अनुष्ठान से व्यक्ति में प्रचुर प्राण ऊर्जा उत्पन्न होने लगती है, जिसके प्रभाव से वह कठोर साधनाओं को भी सहजता से पूरा कर लेता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति में अपरिमित शक्ति आ जाती है। यदि अन्य मंत्रों के जप से पूर्व इस मंत्र का 108 बार जप कर लिया जाए तो वे मंत्र भी तुरंत ही जागृत होकर अपना चमत्कार दिखाने लगते हैं। यही कारण है कि अलग-अलग पंथों के गुरु तथा मार्गदर्शक अपने शिष्यों को इस मंत्र की साधना करवाते हैं।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।