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Chhath Puja 2023: सबसे पहले किसने की थी सूर्य देव की पूजा? जानें कौन कर सकता है छठ व्रत

Chhath Puja 2023: छठ पूजा के दौरान मुख्य रूप से सूर्य देव की उपासना की जाती है। आइए जानते हैं कि सबसे पहले किसने सूर्य देव की उपासना की थी और छठ पूजा का व्रत कौन-कौन कर सकता है।

Author Edited By : Dipesh Thakur Updated: Nov 17, 2023 13:13
Chhath Puja 2023
Chhath Puja 2023

Chhath Puja 2023: लोक आस्था के सबसे बड़े पर्व का आरंभ आज नहाय-खाय के साथ हो रहा है। पंचांग के अनुसार, इस बार छठ पूजा का नहाय-खाय 17 अक्टूबर 2023 को यानी आज है। इसके अलावा छठ पूजा का दूसरा दिन 18 नवंबर 2023 को है। इस दिन खरना पूजा की जाएगी। इसके बाद 19 नवंबर, रविवार को अर्घ्य का पहला दिन है। यानी इस दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इसके बाद 20 नवंबर 2023 को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही चार दिवसीय छठ महापर्व का समापन हो जाएगा। आइए जानते हैं सबसे पहले सूर्य देव की पूजा किसने की थी और इस व्रत को कौन-कौन कर सकता है।

सूर्य देव की पूजा सबसे पहले किसने की?

पुराणों में एक और कथा मिलती है कि राजा प्रियव्रत को कोई संतान नहीं थी, तब महर्षि कश्यप ने पुत्रेष्टि यज्ञ कराकर उनकी पत्नी मालिनी को यज्ञाहुति के लिए बनाई गई खीर दी। जिसके प्रभाव से उन्हें पुत्र हुआ। हालांकि राज को पुत्र हुया था वह मृत था। प्रियव्रत पुत्र को लेकर श्मशान गए और पुत्र वियोग में प्राण त्यागने लगे। उसी वक्त ब्रह्माजी की मानस कन्या देवसेना प्रकट हुईं और कहा कि सृष्टि की मूल प्रकृति के छठे अंश से उत्पन्न होने के कारण मैं षष्ठी कहलाती हूं। हे! राजन आप मेरी पूजा करें और लोगों को भी पूजा के प्रति प्रेरित करें। राजा ने देवी षष्ठी का व्रत किया और उनका पुत्र जीवित हो उठा। यह पूजा कार्तिक शुक्ल षष्ठी को हुई थी। यह एक ऐसा पर्व है जिसमें जाति-धर्म आड़े नहीं आता। बहुत सारे मुस्लिम भी छठ उसी सादगी, आस्था, श्रद्धा, विश्वास और शुचिता के साथ करते हैं। जितनी शुचिता और श्रद्धा से हिंदू इस व्रत को करते हैं। पौराणिक मान्यता है कि सबसे पहले सूर्य देव की पूजा देव माता अदिति ने की थी।

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किस-किन ने रखा था सूर्य षष्ठी का व्रत

पैराणिक धर्म ग्रंथों के मुताबिक, अदिति, सूर्य, राम, कुंती, कर्ण और द्रौपदी ने छठ पूजा का व्रत किया था। सूर्योपासना का यह व्रत वैदिक और पौराणिक काल से चला आ रहा है। भारत में छठ सूर्योपासना के लिए प्रसिद्ध पर्व है। सूर्य षष्ठी व्रत होने के कारण इसे छठ कहा गया है। यह पर्व साल में दो बार मनाया जाता है। पहली बार चैत्र में और दूसरी बार कार्तिक मास में। चैत्र शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाए जाने वाले छठ पर्व को चैती छठ व कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाए जाने वाले पर्व को कार्तिकी छठ कहा जाता है। पारिवारिक सुख-समृद्धि और मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए यह व्रत किया जाता जाता है। स्त्री और पुरुष समान रूप से इस पर्व को करते हैं।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

First published on: Nov 17, 2023 01:13 PM

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