Chanakya Niti: प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में सफलता प्राप्त करना चाहता है, इसके लिए वह जी तोड़ मेहनत भी करता है। कहा जाता है कि किसी व्यक्ति को सफलता ऐसे ही नहीं मिल जाती है बल्कि इसके लिए जीवन में कुछ चीजों का त्याग और अनुशासन बनाए रखना पड़ता है।
आचार्य चाणक्य अपनी नीति में कहते हैं, कि सफल होने के लिए सिर्फ अनुशासन ही जरूरी नहीं हैं बल्कि व्यक्ति को बुरी आदतों से दूर भी रहना पड़ता है। तो आज इस खबर में जानेंगे कि व्यक्ति को कौन सी बुरी आदत का त्याग करना पड़ता है। आइए विस्तार से जानते हैं।
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न अद्यकपरस्य कार्याप्ति:
चाणक्य अपनी नीत में कहते हैं कि व्यक्ति को नशे या किसी भी तरह की बुरी आदतों से दूर रहना चाहिए। साथ ही कभी इन चीजों में फंसना नहीं चाहिए। मान्यता है कि जो जातक इन सब चीजों में फंसा रहता है, वह किसी भी कार्य में सफल नहीं हो पाता है। साथ ही कार्य करने में उत्साह नहीं मिलता है। आचार्य चाणक्य कहते हैं, जो जातक नशा करता है, वह अपना आत्मविश्वास खो देता है, साथ ही उसके कार्यों में किसी भी प्रकार की कोई चमक नहीं होती है। नशा करने वाला व्यक्ति अपने कर्तव्य की ओर प्रेरित नहीं होता है साथ ही वैसे जातक हमेशा सुख में डूबा रहता है।
इन्द्रिया वशवर्ती चतुरंगवानपि विनश्यति
आचार्य चाणक्य का कहना है कि जो जातक अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण नहीं रख पाता है, उसका विनाश निश्चित हो जाता है। साथ ही चाणक्य अपने इस श्लोक के माध्यम से कहना चाहते हैं, कि मनुष्य को अपनी इंद्रियों को वश में रखना चाहिए। मान्यता है कि जिस जातक की इंद्रियां वश में रहती है, तो ऐसे जातक अपने किसी भी कार्य को पूर्ण कर लेते हैं। वहीं जिन जातकों की इंद्रियां वश में नहीं होती है, उसका नष्ट होने लगता है।
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