Amavasya Ke Upay: हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष में कुल 12 अमावस्याएं आती हैं। इन सभी को अलग-अलग नाम दिया गया है तथा सभी का अलग-अलग महत्व बताया गया है। मार्गशीर्ष माह की अमावस्या तिथि इस बार 23 नवंबर (बुधवार) को आएगी। इस दिन अमावस्या के साथ ही कई शुभ योग भी बन रहे हैं जो इसके महत्व को बढ़ा देंगे।
विद्वान ज्योतिषियों के अनुसार मार्गशीर्ष अमावस्या को किए गए धार्मिक कार्यों का अत्यधिक शुभ फल मिलता है। इस दिन हिंदू धर्मावलंबी पवित्र नदियों तथा सरोवरों में स्नान करते हैं। अपने पितरों के लिए धार्मिक कर्मकांड करते हैं और उनका आशीर्वाद लेते हैं। जानिए मार्गशीर्ष अमावस्या के शुभ मुहूर्त और उपायों के बारे में
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मार्गशीर्ष अमावस्या पर बन रहे हैं ये शुभ योग (Margashirsha Amavasya Puja Muhurat)
पंचांग के अनुसार इस दिन सर्वार्थ सिद्धी योग, अमृत सिद्धी योग और शोभन योग जैसे शुभ मुहूर्त बन रहे हैं। इस दिन अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11.29 बजे से 12.11 बजे तक रहेगा परन्तु बुधवार को अभिजीत मुहूर्त में कार्य करना शुभ नहीं माना गया है। राहुकाल दोपहर 12.06 बजे से 13.24 बजे तक रहेगा। अमृत काल दोपहर 13.14 से 14.43 बजे तक रहेगा।
मार्गशीर्ष अमावस्या पर ये हैं दिन के चौघड़िया
सुबह 6.52 बजे से 9.29 बजे तक क्रमशः लाभ और अमृत के चौघड़िया रहेंगे। सुबह 10.47 बजे से 12.05 बजे तक शुभ का चौघड़िया रहेगा। इसके बाद दोपहर 2.42 बजे से शाम 5.18 बजे तक क्रमशः चर और लाभ के चौघड़िया रहेंगे। इस समय सभी धार्मिक कार्य किए जा सकते हैं।
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मार्गशीर्ष माह की अमावस्या पर करें ये उपाय (Margashirsha Amavasya Ke Upay)
- इस दिन पवित्र नदियों व सरोवरों में स्नान करने का विशेष महत्व बताया गया है। स्नान के बाद पितरों को तर्पण देना चाहिए। इसके साथ ही घर के पूर्वजों की अतृप्त आत्माओं के लिए पूजा-पाठ व श्राद्ध करना चाहिए। मंदिर में पितरों के नाम पर दीपदान भी करें। पितरों के निमित्त गरीबों को भोजन भी कराएं। इससे घर का पितृ दोष दूर होता है और उनके आशीर्वाद से घर-परिवार की तरक्की होती है।
- यदि आप आर्थिक तरक्की करना चाहते हैं तो इसके लिए भी अमावस्या का उपाय बताया गया है। इसमें अमावस्या की शाम को घर के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में गाय के घी का दीपक जलाएं। दीपक में थोड़ा सा केसर भी रखें। इस दीपक में बत्ती रूई के बजाय लाल रंग के धागे से बनाएं। मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन चींटियों के बिल पर शक्कर मिला आटा डालें। इस एक उपाय मात्र से व्यक्ति के पाप नष्ट होते हैं और घर के सभी भंडार भर जाते हैं।
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- ज्योतिष शास्त्र में अमावस्या के दिन पीपल तथा बरगद के वृक्ष की पूजा का विधान बताया गया है। इसके लिए सुबह सूर्योदय के समय पीपल की जड़ में दूध और जल चढ़ाएं। इसके बाद वहां पर पांच तरह की मिठाई रख कर फूल, चावल, हल्दी, कुंकुम से पूजा करें। पूजा के बाद वृक्ष की 11 बार परिक्रमा कर अपनी इच्छा पूर्ण होने का आशीर्वाद मांगे। जिस वृक्ष की सुबह पूजा की है, उसी वृक्ष में शाम को पांच देसी घी के दीपक जलाएं। इससे कालसर्पदोष तथा पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। जन्मकुंडली में अशुभ फल दे रहे ग्रह भी शांत होते हैं और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।