H-1B Visa New Fee: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H1-B वीजा की फीस एक लाख डॉलर क्यों बढ़ाई? इसे लेकर भी व्हाइट हाउस की ओर से स्पष्टीकरण दिया गया है. व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलिना लेविट ने एक फैक्ट शीट जारी की है, जिसमें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के H1-B वीजा के नए आवेदनों पर 100000 अमेरिकी डॉलर की फीस लगाने के फैसले को सही बताया गया और कहा गया कि अमेरिका में बढ़ती बेरोजगारी को कम करने के लिए ट्रंप सरकार ने फीस बढ़ाई है.
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व्हाइट हाउस ने बताए बेरोजगारी के आंकड़े
प्रेस सेक्रेटरी कैरोलिना लेविट ने बताया कि अमेरिका के कामगारों को कम वेतन वाले विदेशी कामगारों से बदलने के लिए H1-B वीजा की फीस बढ़ाई गई है. क्योंकि H1-B वीजा वाले IT कर्मियों की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2003 में 32 प्रतिशत से बढ़कर 65 प्रतिशत से ज्यादा हो गई है, जो H1-B वीजा के दुरुपयोग और अमेरिकी नागरिकों में बढ़ती बेरोजगारी का संकेत है. अमेरिका में 6.1 प्रतिशत कंप्यूटर साइंस ग्रेजुएट बेरोजगार हैं और 7.5 प्रतिशत कंप्यूटर इंजीनियरिंग ग्रेजुएट बेरोजगार हैं.
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विदेशी STEM कामगारों की संख्या भी बढ़ी
कैरोलिना लेविट के अनुसार, अमेरिका में विदेशी विज्ञान (Science), प्रौद्योगिकी (Technology), इंजीनियरिंग (Engineering), और गणित (Mathematics) के कामगारों की संख्या साल 2000 से साल 2019 के बीच दोगुनी से भी ज्यादा हो गई है, जबकि साल 2000 से अब तक अमेरिका में कुल STEM रोजगार में सिर्फ 44.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. अमेरिकी कंपनियां अमेरिका के प्रोफेशनल्स की बजाय दूसरे देशों के H-1B वीजा धारकों को नियुक्त कर रही हैं, जिससे अमेरिकी प्रोफेशनल्स आक्रोशित हैं.
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H-1B वीजा धारकों के लिए की गई छंटनी
व्हाइट हाउस की फैक्ट शीट के अनुसार, साल 2025 में अमेरिका की एक कंपनी को 5189 H-1B वीजा धारक कर्मियों की मंजूरी सरकार से मिली थी और कंपनी ने उनके लिए 16000 अमेरिकी कर्मचारियों की छंटनी कर दी. एक कंपनी को 1698 H-1B वीजा धारक कर्मचारियों की मंजूरी मिली थी और उसी कंपनी ने 2400 अमेरिकी कर्मचारियों की छंटनी कर दी. एक कंपनी को साल 2022 से अब तक 25075 H-1B वीजा धारक कर्मियों की मंजूरी मिल चुकी है और कंपनी 27000 अमेरिकी कर्मचारियों की छंटनी कर चुकी है. यह स्थिति अमेरिका के लिए सही नहीं है, इसलिए राष्ट्रपति ट्रंप ने वीजा फीस बढ़ाई.