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क्या है टैरिफ वॉर की बड़ी वजह? SBI की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

SBI की रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि यह सिर्फ सीमा शुल्क या ट्रेड ड्यूटी का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह दो अलग आर्थिक सोचों का टकराव है। अमेरिका एक उपभोक्ता केंद्रित मॉडल पर चलता है जबकि चीन एक निवेश और उत्पादन आधारित मॉडल को अपनाता है।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Shalini Singh Updated: Jul 11, 2025 16:28
Tariff War

SBI फंड्स मैनेजमेंट की हाल ही में जारी एक रिपोर्ट ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में चल रहे टैरिफ वॉर यानी व्यापार युद्धों की जड़ों को उजागर किया है। यह केवल दो देशों के बीच का झगड़ा नहीं, बल्कि ग्लोबल ट्रेड असंतुलन की एक बड़ी और गहराई से जुड़ी समस्या है, जो आने वाले वर्षों में वैश्विक अर्थव्यवस्था को व्यापक रूप से प्रभावित कर सकती है।

अमेरिका और चीन: दो अलग सोच वाली अर्थव्यवस्थाएं

रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध का मुख्य कारण दोनों देशों की आर्थिक संरचना में भारी अंतर है। चीन अपने देश में उत्पादन और निवेश पर ज़ोर देता है, जबकि अमेरिका उपभोग यानी खर्च करने में सबसे आगे है। यही फर्क वैश्विक व्यापार प्रवाह में बड़ा असंतुलन पैदा करता है।

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चीन अपने GDP का करीब 42% निवेश में लगाता है और केवल 40% खर्च करता है। इसके उलट, अमेरिका केवल 22% निवेश करता है लेकिन 68% खर्च करता है। इसका असर यह हुआ है कि चीन को व्यापार में भारी लाभ हो रहा है, जबकि अमेरिका को भारी घाटा।

क्या है भारत की स्थिती?

भारत की स्थिति इन दोनों के बीच में है। भारत GDP का 33% निवेश करता है और 62% उपभोग करता है। भारत का व्यापार घाटा करीब 275 अरब डॉलर है, जबकि अमेरिका का घाटा 1,202 अरब डॉलर और चीन का अधिशेष 992 अरब डॉलर के आसपास है।

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बचत और कर्ज: दो विपरीत मॉडल

SBI की रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि अमेरिका की बचत दर मात्र 18% है, जबकि चीन की 43% और भारत की 33% है। यानी अमेरिका जितना कम बचाता है, उतना ही ज़्यादा खर्च करता है। नतीजा यह है कि अमेरिका पर 27.6 ट्रिलियन डॉलर का बाहरी कर्ज है, जबकि चीन का सिर्फ 2.4 ट्रिलियन और भारत का 0.7 ट्रिलियन डॉलर का ही कर्ज है।

टैरिफ लगाकर समाधान की कोशिश

इस असंतुलन से निपटने के लिए अमेरिका टैरिफ (आयात शुल्क) जैसे उपाय अपना रहा है। टैरिफ लगाने का मकसद चीन से आयात को महँगा बनाना और घरेलू उद्योग को बढ़ावा देना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह सिर्फ एक अस्थायी व्यापार विवाद नहीं है, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक बड़ा और स्थायी बदलाव है। अमेरिकी प्रशासन, खासकर ट्रंप सरकार, चीन पर निर्भरता कम करने की दिशा में कई कदम उठा चुकी है।

First published on: Jul 11, 2025 04:27 PM

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