एक ‘कातिल’, जिसे खौफनाक तरीके से मिली मौत, जान लेने के इस तरीके पर UN क्यों उठा रहा सवाल?
नाइट्रोजन गैस से मौत की सजा
UN human rights organization expressed concern over death penalty by nitrogen gas in America: दुनिया में पहली बार किसी शख्स को नाइट्रोजन सुंघाकर मौत की सजा दी गई है। इसे लेकर विवाद शुरू हो गया है। मानवाधिकार कार्यकर्ता और संगठन इसे क्रूर तरीका बताकर विरोध कर रहे हैं। अमेरिका में केनेथ स्मिथ नाम के शख्स को मौत की नींद सुलाने के लिए नाइट्रोजन का इस्तेमाल किया गया। उसकी उम्र 58 साल थी। अमेरिका के अलबामा में उसे 25 जनवरी 2024 को ऐसे सजा दी गई। कहा जा रहा है कि इस वजह से छटपटाते हुए उसकी मौत हुई। सजा के दौरान मौजूद लोगों का कहना है कि उसकी मौत बहुत देर तक तड़पने के बाद हुई। वे इस तरीके को बहुत भयावह बता रहे हैं।
केनेथ स्मिथ को मौत की सजा एक पादरी की पत्नी की गोली मारकर हत्या करने के अपराध में सुनाई गई थी। उसने 1988 में यह अपराध किया था। इस सजा से मृत्युदंड के तरीकों पर फिर से बहस शुरू हो गई है। सबसे अलग इस मृत्युदंड के तरीके पर वहां मौजूद शख्स ने बताया कि वह पानी के बिना मछली की तरह तड़प रहा था। उसने बताया कि जेल प्रशासन ने कहा था कि मौत के इस तरीके में दर्द नहीं होगा, यह प्रक्रिया जल्द खत्म और ज्यादा आसान होगी। लेकिन हमने जो देखा वह डराने वाला था।
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यूएन संगठन ने जताई चिंता
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार संगठन इसे निर्दयी तरीका बताकर इसकी आलोचना कर रहे हैं। व्हाइट हाउस ने भी मौत देने के लिए अपनाए जाने वाले इस तरीके पर चिंता जाहिर की है। वहीं अलबामा के अटॉर्नी जनरल इस फैसले का बचाव कर रहे हैं और आगे भी ऐसे तरीके अपनाए जाने की बात कह रहे हैं। यूएन के मानवाधिकार संगठन के प्रमुख वोल्कर टर्क ने इस तरीके पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि यह अमानवीय बताया।
इस तरीके को बताया गलत
वहीं संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की प्रवक्ता रविना शमदासानी इस सदी में मौत की सजा दी ही नहीं जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह तरीका गलत है। शामदासानी ने जिनेवा में एक नियमित संयुक्त राष्ट्र ब्रीफिंग में कहा, वह छटपटा रहा था और स्पष्ट रूप से पीड़ित था।
बताया था अमानवीय तरीका
स्मिथ को मौत की सजा से कुछ दिन पहले भी संयुक्त राष्ट्र संगठन ने इसके लिए चेतावनी जारी की थी। यूएन ने कहा था कि नाइट्रोजन हाइपोक्सिया की मदद से मृत्युदंड देना अमानवीय है। यूरोपीय संघ और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने इसपर खेद व्यक्त किया है। जिनेवा स्थित संयुक्त राष्ट्र अधिकार कार्यालय ने मौत की सजा को जीवन के अधिकार का उल्लंघन बताया है और कहा है कि इससे अपराध रूकता नहीं है।
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