Taiwan China Tension: चीन और ताइवान के बीच पिछले कई साल से विवाद चल रहा है। ड्रैगन कई बार अपने पड़ोसी की घेराबंदी कर चुका है। चीन पहले भी कई बार ताइवान को जंग की धमकी दे चुका है। अब ताइवान को अमेरिका ने अपने खास टैंकों ‘अब्राम’ की सप्लाई की है। बताया जा रहा है कि यूएस ने हथियारों की पहली खेप भेज दी है। ताइवान की सेना के पास पहले से ही 1 हजार ताइवान निर्मित सीएम 11 ब्रेव टाइगर और US निर्मित M60A3 टैंक हैं।
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अब्राम टैंकों की डिमांड ताइवान ने 5 साल पहले ही की थी। ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने भी पुष्टि की है। रक्षा मंत्रालय के अनुसार पहली खेप में 38 एडवांस अब्राम युद्धक टैंक यूएस ने भेजे हैं। ये टैंक ताइवान को ऐसे समय में मिले हैं, जब उसे ड्रैगन से जंग का खतरा है। मौजूदा समय में अमेरिका ताइवान की मदद कर रहा है। ताइवान भी अपनी सैन्य ताकत में लगातार इजाफा कर रहा है। अमेरिका ने पिछले काफी समय में ताइवान को हथियार मुहैया करवाए हैं। हालांकि चीन इसके विरोध में कई बार धमकी दे चुका है।
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द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि उसने 2019 में एडवांस्ड M1A2 टैंकों के लिए ऑर्डर दिया था। रविवार देर रात को 38 टैंकों का पहला बैच राजधानी ताइपे पहुंच गया है। 70 टैंक और आने हैं। कुल 108 टैंकों का ऑर्डर दिया गया था। ये ताइवान को पिछले 30 वर्षों में सौंपे जाने वाले पहले आधुनिक टैंक हैं।
🇹🇼🇺🇸Taiwan Boosts Military Might with Arrival of M1A2T Abrams Tanks |
Taiwan has received its first batch of 38 M1A2T Abrams tanks from the United States, marking its first new tank acquisition since 1994 when it received M60A3 tanks. This delivery is part of a larger order of… pic.twitter.com/wSqpTQo6N8
— NexDef (@nex_def) December 16, 2024
अब्राम की खासियतों के बारे में जानिए
अब्राम को दुनिया के बेहतरीन टैंकों में शुमार किया जाता है। अमेरिकी सेना इसका अधिक यूज करती है। इसका वजन 68 टन होता है। जंग में इस टैंक को ‘दुर्जेय’ कहा जाता है। इस टैंक में उन्नत कवच लगाया गया है। गतिशीलता अच्छी है, टैंक में 120 MM की स्मूथ बोर गन लगाई जाती है, जो किसी भी प्रकार के गोले दाग सकती है। यह बख्तरबंद व्हीकल्स को आसानी से भेद सकता है। इसे ऑपरेट करने के लिए चार लोग जरूरी होते हैं। इसमें कम्प्यूटरीकृत फायर कंट्रोल सिस्टम, थर्मल इमेजिंग और अन्य तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। माना जा रहा है कि अगले 2 साल में ताइवान को दूसरे टैंक भी मिल जाएंगे।