North Korea Missile Researcher Became South Korean MP : दुनिया में नॉर्थ कोरिया को एक तानाशाह देश के तौर पर जाना जाता है। वहां का शासक किम जोंग उन अपने मिसाइल परीक्षण और पश्चिम जगत के देशों को धमकाने को लेकर हमेशा चर्चा में बना रहता है। यूं तो नॉर्थ कोरिया की अधिकांश खबरें किम जोंग उन के इर्द-गिर्द ही घूमती हैं, लेकिन आज हम आपको एक ऐसी कहानी बताने जा रहे हैं, जिसमें नॉर्थ कोरिया का एक न्यूक्लियर वैज्ञानिक पड़ोसी मुल्क साउथ कोरिया में जाकर सांसद बन जाता है और अपने देश के लोगों की भलाई को लेकर योजनाएं बनाता है।
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मिसाइल मैन से संसद तक का सफर
नॉर्थ कोरिया का एक युवा न्यूक्लियर मिसाइल वैज्ञानिक, जो अपने द्वारा तैयार किए गए हथियारों के कारण पश्चिम देशों के लिए कई बार खतरा बना हो वो अब पड़ोसी देश की संसद में बैठता है। पार्क चुंग नॉन नाम के इस मिसाइल वैज्ञानिक को इस हफ्ते दक्षिण कोरिया में संसद सदस्य चुना गया है। जब लोग एक तानाशाह देश से निकलकर उदारवादी या लोकतांत्रिक देश में पहुंचते हैं तो उनकी आंखों में ढेरों सपने होते हैं। वो एक बेहतर जीवन जीने के सपने दखते हैं। समान अवसर पाने के ख्वाब संजोते हैं। क्या किसी देश में बाहर से आया कोई शरणार्थी सांसद या फिर एक दिन राष्ट्रपति बन सकता है? जी हां ऐसा बिल्कुल संभव है।
साउथ कोरिया में खाली हाथ आए
लेकिन एक तानाशाह देश नॉर्थ कोरिया में यह असामान्य बात है। एक मीडिया हाउस को दिए अपने इंटरव्यू में पार्क ने बताया कि जब वो साउथ कोरिया आए तो उनके पास कुछ नहीं था। न रहने को घर था, ना खाने को खाना और न कोई काम। लेकिन अब मैं एक सांसद बन गया हूं। पार्क कहते हैं कि यह हमारे देश के नागरिकों और उदारवादी लोकतंत्र की वजह से संभव हो पाया है। यह किसी चमत्कार से कम नहीं है। पार्क कहते हैं कि उन्होंने जीवन में कभी नहीं सोचा था कि वो राजनीति में आएंगे, लेकिन जब पीपल पावर पार्टी ने उनसे संपर्क किया तो उनको लगा कि राजनीति के माध्यम से ज्यादा लोगों की सेवा की जा सकती है। अब पार्क के पास भविष्य के लिए कुछ सुनहरी योजनाएं हैं, जिनको वो लॉ मेकर के रूप में लागू करना चाहते हैं।
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नार्थ कोरिया के लिए दो सीट रिजर्व
साउथ कोरिया की संसद में पहले से दो नॉर्थ कोरियन सदस्यों को लिए सीट रिजर्व हैं, लेकिन दोनों सीट आवश्यक और महत्वूर्ण प्रोफाइल वाले लोगों के लिए हैं। यूके में नॉर्थ कोरिया के पूर्व राजदूत गंगनम जिले का प्रतिनिधित्व करने वाले योंग-हो भी इनमें से एक हैं, जबकि अन्य एक सामाजिक कार्यकर्ता जी सिओंग हो हैं। जी सिओंग ने 1996 में अपनी युवा अवस्था में ही अपना एक हाथ और एक पैर खो दिया था। ये हादसा तब हुआ जब भूख से तड़पता जी सिओंग एक ट्रेन से कोयला चुराते समय ट्रेन और पटरी के बीच में आ गया और पहिये के नीचे आ गया। ये दोनों प्रतिनिधि अब अपने ही जैसे साथियों की मदद करने में जुटे हैं।
दोनों कोरियन देशों के बीच संबंध ठीक करना मकसद
पार्क कहते हैं कि उनके उद्देश्यों में से सबसे पहला उन लोगों की मदद करना है, जो नॉर्थ कोरिया से साउथ कोरिया में आते हैं। इसके साथ ही उनका फोकस दोनों कोरियन देशों के बीच संबंध ठीक करने पर भी है।