Mohammed Nizamuddin Death US: अमेरिका के कैलिफोर्निया में तेलंगाना के रहने वाले मोहम्मद निजामुद्दीन की गोली लगने से मौत हो गई. मिली जानकारी के अनुसार निजामुद्दीन की हत्या पुलिस द्वारा गोली चलाए जाने के कारण हुई है. बता दें कि ये घटना 3 सितंबर की है जब निजामुद्दीन की अपने रूममेट के साथ एसी को लेकर झगड़ा हुआ था. ये झगड़ा इतना ज्यादा बढ़ गया कि दोनों ने एक-दूसरे को मारने के लिए चाकू तक निकाल लिए. जिसके बाद उनके पड़ोसी ने कैलिफोर्निया की लोकल पुलिस को इस घटना के बारे में जानकारी दी.
जब पुलिस मौके पर पहुंची तो पुलिस ने दोनों लड़कों को अपने हाथ ऊपर करने की बात कही. इस दौरान एक लड़के ने अपने हाथों को ऊपर कर लिया लेकिन निजामुद्दीन ने ऐसा नहीं किया. इसी के चलते पुलिस ने उस पर गोलियां बरसा दीं.
जानकारी के अनुसार, निजामुद्दीन मोहम्मद ने कुछ दिन पहले ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर नसलीय भेदभाव और नौकरी में दिक्कत को लेकर एक लंबा पोस्ट लिखा था. जो लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है.
हम परिवार के संपर्क में हैं- विदेश मंत्रालय
मोहम्मद निजामुद्दीन की मौत पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘हम स्थानीय अधिकारियों और मृतक के परिवार के संपर्क में हैं.’
पुलिस ने चलाई चार गोलियां
रिपोर्ट के अनुसार कैलिफोर्निया की सांता क्लारा पुलिस ने निजामुद्दीन को चार गोलियां मारी. पुलिस द्वारा दिए गए बयान में कहा गया, 911 पर चाकूबाजी को लेकर एक फोन आया जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची तो एक व्यक्ति के हाथ में चाकू था और उसका रूममेट नीचे गिरा पड़ा था और उसे काफी चोट भी लगी थी. पुलिस ने कहा कि जब उसने हमारी बात नहीं मानी तो गोलियां चलाई.
नसलीय भेदभाव का सामना कर रहे थे निजामुद्दीन?
निजामुद्दीन मोहम्मद ने कुछ हफ्ते पहले अपनी सोशल मीडिया प्रोफाइल पर एक पोस्ट किया. जिसमें उन्होंने उनके साथ हो रहे भेदभाव का भी जिक्र किया था. उन्होंने लिखा, मैं नस्लीय भेदभाव, नस्लीय उत्पीड़न, यातना, वेतन-धोखाधड़ी, गलत तरीके से नौकरी से निकाले जाने का शिकार रहा हूं. मुझे इस मामले में न्याय नहीं मिला.

रेसिस्ट सोच का अंत होना ही चाहिए- निजामुद्दीन
उन्होंने आगे लिखा, आज मैंने तमाम मुश्किलों के बावजूद अपनी आवाज उठाने का फैसला किया है. बहुत हो गया, श्वेत वर्चस्व/नस्लवादी श्वेत अमेरिकी मानसिकता का अंत होना ही होगा. कॉर्पोरेट तानाशाहों का उत्पीड़न बंद होना चाहिए और इसमें शामिल सभी लोगों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए.
EPAM सिस्टम्स के जरिए Google में काम करते हुए मुझे बहुत ज़्यादा दुश्मनी, खराब माहौल, नस्लीय भेदभाव और नस्लीय उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है. इसके अलावा, कंपनी ने वेतन में धोखाधड़ी भी की. मुझे उचित वेतन नहीं दिया गया.
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परिवार ने विदेश मंत्रालय से लगाई मदद की गुहार
निजामुद्दीन मोहम्मद के पिता मोहम्मद हसनुद्दीन ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से अपने बेटे के शव को भारत वापस लाने की मांग की है. उन्होंने कहा, ये घटना 3 सितंबर की है लेकिन परिवार को इसकी जानकारी काफी समय बाद दी गई.
वहीं, मजलिस बचाओ तहरीक के प्रवक्ता अमजद उल्लाह खान ने निजामुद्दीन मोहम्मद के परिवार से मुलाकात की है. उन्होंने पिता मोहम्मद हसनुद्दीन और अन्य रिश्तेदारों से बातचीत की. अमजद ने विदेश मंत्रालय को पत्र लिखकर मदद मांगी है. वे पार्थिव शरीर को भारत लाना चाहते हैं. उन्होंने पत्र में यह भी लिखा है कि इस मामले की गंभीरता के साथ जांच की जाए.
निजामुद्दीन के छोटे भाई मोइनुद्दीन ने बताया कि, एक जवान व्यक्ति की जान चली गई. इससे भी बुरी बात यह है कि अमेरिकी अधिकारियों को परिवार की जानकारी होने के बावजूद हमें सूचना देने में 15 दिन लग गए.
मोइनुद्दीन ने कहा, हमें 18 सितंबर को इस घटना के बारे में जानकारी मिली, जबकि घटना 3 सितंबर की सुबह हुई थी. मेरे भाई का शव वहां एक अस्पताल के मुर्दाघर में पड़ा है. हमारे माता-पिता समझ नहीं पा रहे हैं कि क्या हुआ है. गोलियां लगने से उसकी मौत की खबर सुनकर मेरी माँ पूरी तरह से टूट गई हैं.
निजामुद्दीन ने 2021 से 2024 तक EPAM सिस्टम्स में नौकरी करते हुए गूगल में काम किया था. मोइनुद्दीन ने बताया, उन्होंने नौकरी छोड़ दी थी और दूसरी नौकरी की तलाश कर रहे थे. वह दो अन्य रूममेट्स के साथ एक फ्लैट शेयर कर रहे थे, जो अमेरिकी नागरिक हैं.










