Cipher Case on Imran Khan: ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट के तहत स्थापित एक विशेष अदालत ने ‘साइफर मामले’ में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के अध्यक्ष इमरान खान की न्यायिक हिरासत 13 सितंबर तक बढ़ा दी। इसकी सुनवाई अटक जिला जेल में हुई। सुनवाई करने के लिए न्यायाधीश अबुअल हसनत जुल्करनैन ने लापता साइफर के मामले में फैसला सुनाया। इसके बाद इमरान खान की मुश्किलें बढ़ गई हैं। खास बात यह है कि कल ही इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री को तोशाखाना मामले में मिली तीन साल की सजा को निलंबित किया था। हाईकोर्ट ने राहत देते हुए उनकी रिहाई का आदेश दिया था। हालांकि अब साइफर मामले में उनका जेल से निकलना मुश्किल हो गया है।
आखिर ये साइफर मामला क्या है?
साइफर मामला एक राजनयिक दस्तावेज से संबंधित है, जिसे कथित तौर पर इमरान खान ने पिछले साल कार्यालय से बाहर होने से पहले अपनी राजनीतिक सभा के दौरान लहराया था। इमरान खान पर आरोप है कि ये कथित तौर पर उनके प्रधानमंत्री रहते हुए गायब हो गया था। पिछले साल संसद में अविश्वास मत के बाद उन्हें पद से हटा दिया गया था, हालांकि तब से खान ने बार-बार आरोप लगाया है कि साइफर या राजनयिक केबल में सबूत है कि उन्हें हटाने के लिए पाकिस्तान की शक्तिशाली सेना के साथ अमेरिका के नेतृत्व में साजिश रची गई। हालांकि अमेरिका ने बार-बार ऐसी किसी भी संलिप्तता से इनकार किया है। एफआईए ने पूर्व प्रधानमंत्री को आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के तहत मामला दर्ज करने के बाद इस महीने की शुरुआत में साइफर मामले में आधिकारिक तौर पर गिरफ्तार कर लिया था।
तोशाखाना मामले में राहत के बावजूद बढ़ीं मुश्किलें
इससे पहले आंतरिक मंत्रालय की ओर से सुरक्षा चिंता जताई गई थीं। कानून मंत्रालय की मंजूरी के बाद मामले की सुनवाई अटक जिला जेल में हुई। इससे पहले पद पर रहते हुए मिले उपहारों की घोषणा करने में विफल रहने की वजह से तोशाखाना मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद से इमरान खान 5 अगस्त से जेल में बंद हैं। इसके बाद पीटीआई प्रमुख को साइफर मामले में 30 अगस्त तक न्यायिक रिमांड पर भेज दिया गया। इसी समय वह अटक जेल में तोशाखाना मामले में अपनी सजा काट रहे थे। यानी इमरान खान एक ही समय में दो मामलों की सजा काट रहे थे। इसमें से एक में उन्हें राहत मिल गई है, जबकि दूसरे में उनकी मुश्किल बढ़ गई है।
इसलिए नहीं हो पाए रिहा
पाकिस्तान की मीडिया के अनुसार, पीटीआई प्रमुख के वकील ने बाद में गिरफ्तारी के बाद जमानत याचिका दायर की, साथ ही मामले की सुनवाई खुली अदालत में करने का अनुरोध किया। इससे पहले, अदालत ने अटक जेल के अधीक्षक को पूर्व पीएम को न्यायिक अभिरक्षा में रखने और रिमांड अवधि पूरी होने पर पेश करने का भी निर्देश दिया था। इसलिए तोशाखाना मामले में ट्रायल कोर्ट की सजा को निलंबित करने के आईएचसी के आदेशों के बावजूद उन्हें तुरंत जेल से रिहा नहीं किया गया। इस बीच, अदालत द्वारा खान की न्यायिक हिरासत बढ़ाए जाने के बाद पीटीआई के वकीलों ने कई जमानत याचिकाएं दायर की हैं।
वकीलों ने दिए ये तर्क
वकील ने तो यहां तक कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री को यह भी नहीं पता था कि संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) ने साइफर मामले में उनकी गिरफ्तारी भी की है। वकील ने कहा कि उन्होंने साइफर मामले में खान की जमानत के लिए एक आवेदन दायर किया है, जिसकी सुनवाई 2 सितंबर को होगी। वकील ने साइफर को गलत तरीके से रखने के आरोपों पर खान के विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि राजनयिक दस्तावेज की मूल प्रति विदेश कार्यालय के पास थी और यह कभी खोई नहीं थी। उन्होंने यह भी कहा कि 2022 में तत्कालीन इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा साइफर के डिक्लासिफकेशन के बाद इस मामले में आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम लागू नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस अधिनियम को जासूसी और अन्य संवेदनशील मामलों से संबंधित मामलों में लागू किया जा सकता है।