First Animal in Space Laika Story: आजकल अंतरिक्ष में इंसान जाने लगे हैं। स्पेस एजेंसियां तो चंद्रमा पर इंसानों की बस्ती बसाने के सपने देख रही है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि अंतरिक्ष में इंसानों को भेजे जाने का रास्ता एक जानवर ने प्रशस्त किया था। जी हां, आज से 67 साल पहले एक कुत्ते को अंतरिक्ष में भेजा गया था, जिसका नाम पृथ्वी की कक्षा में जाने वाले पहले जीवित प्राणी के रूप में दर्ज है, लेकिन वह कुत्ता वापस धरती पर लौटकर नहीं आया।
सोवियत रूस के कुत्ते लाइका को 3 नवबर 1957 को स्पूतनिक-2 में लॉन्च किया गया था। उसके मिशन का उद्देश्य जीवित प्राणियों पर अंतरिक्ष यात्रा के प्रभाव का अध्ययन करना था, लेकिन दुख की बात यह है कि लॉन्चिंग के कुछ समय बाद ही लाइका की अत्यधिक गर्मी और तनाव के कारण मौत हो गई थी, लेकिन लाइका नाम का यह कुत्ता अंतरिक्ष से जुड़ी रिसर्च के इतिहास में विशेष स्थान रखता है।
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सोवियंत संघ और अमेरिका के बीच रेस का नतीजा
मॉस्को का यह बहादुर कुत्ता पृथ्वी की परिक्रमा करने वाला पहला जीवित प्राणी बन गया, जो अंतरिक्ष की यात्रा में मील का पत्थर साबित हुआ। उस समय उपलब्ध सीमित तकनीकों और शोध के कारण मनुष्यों के लिए अंतरिक्ष यात्राएं करना संभव नहीं था, इसलिए सोवियत संघ के वैज्ञानिकों ने जानवरों को अंतरिक्ष में भेजने की योजना बनाई, ताकि भविष्य की संभावनाओं पर काम किया जा सके।
लाइका की अंतरिक्ष यात्रा सोवियत संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच प्रतिस्पर्धा के दौर में हुई, जिसे स्पेस रेस के नाम से जाना जाता है। पहले कृत्रिम उपग्रह स्पूतनिक-1 के सफल प्रक्षेपण के बाद, सोवियत संघ के नेता निकिता ख्रुश्चेव अक्टूबर क्रांति की 40वीं वर्षगांठ के अवसर पर एक और बड़ी उपलब्धि की तलाश में थे। उस समय इंसानों को अंतरिक्ष में भेजना संभव नहीं था, इसलिए जानवर को अंतरिक्ष में भेजने का प्रस्ताव रखा गया और उसे मंजूरी देकर फायदा उठाया गया।
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कैसे हुआ लाइका का चयन एवं ट्रेनिंग?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, लाइका मॉस्को की सड़कों पर रहने वाली 3 साल की मोंगरेल ब्रीड की कुतिया थी। वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में जानवर को भेजने के अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए किसी के पालतू कुत्ते की बजाय आवारा कुत्ते को प्राथमिकता दी, ताकि अगर जानवर को अंतरिक्ष में कुछ हो जाए तो किसी की भावनाएं आहत न हों। अंतरिक्ष की यात्रा के लिए लाइका को काफी सख्त प्रशिक्षण दिया गया था। उसे विशेष जेली वाला भोजन खाने, अंतरिक्ष यान की दमघोंटू जगह को सहन करने और किसी प्रकार के गुरुत्वाकर्षण को झेलने के लिए प्रशिक्षित किया गया था।
3 नवंबर 1957 को स्पूतनिक-2 पर लाइका की अंतरिक्ष यात्रा शुरू हुई थी। दुनिया का ध्यान इस उड़ान की ओर आकर्षित हुआ, क्योंकि इस उपलब्धि को अंतरिक्ष यात्रा के रिकॉर्ड में दर्ज किया गया। हालांकि यह ख़ुशी अल्पकालिक थी, क्योंकि इस मिशन का और लाइका का दुखद अंत हो गया था। क्योंकि लाइका की यात्रा एक तरफा था। उसे वापस लाने का कोई प्लान नहीं था। पृथ्वी पर उसकी सुरक्षित वापसी के लिए कोई इंतजाम नहीं थे।
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