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Canada: चुनावी जंग में इस शख्स ने रचा इतिहास, जीरो वोट पाने के बाद दिया ऐसा रिएक्शन

Canadian Federal Election News: कनाडा के संघीय चुनाव में एक शख्स के नाम अनोखा रिकॉर्ड दर्ज हो गया है। इस शख्स को एक भी वोट नहीं मिला। ऐतिहासिक पोल में शून्य मिलने पर इस आदमी ने जबरदस्त रिएक्शन दिया है। अपनी उम्मीदवारी का श्रेय शख्स ने चुनावी सुधार वकालत समूह को दिया है।

Edited By : Parmod chaudhary | Updated: Jun 28, 2024 22:36
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Felix Antoine Hamel
फेलिक्स एंटोनी हैमेल।

Canadian Federal Election: कनाडा के एक व्यक्ति ने संघीय चुनाव में एक अनोखा रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है। इस व्यक्ति का नाम उस ऐतिहासिक कैंडिडेट के तौर पर दर्ज हो गया है, जिसे एक भी वोट नहीं मिला है। इस शख्स ने हाल ही में टोरंटो सेंट पॉल के उपचुनाव में अपनी उम्मीदवारी जताते हुए चुनाव लड़ा था। लेकिन यह एक भी वोट हासिल नहीं कर पाया। इस 45 वर्षीय शख्स का नाम फेलिक्स एंटोनी हैमेल है। जिसे सोमवार को रिजल्ट आने के बाद 0 वोट मिले। कनाडा के इतिहास में संघीय चुनाव में यह पहला ऐसा उम्मीदवार बन गया है, जिसे जीरो वोट मिले हैं। लेकिन व्यक्ति ने इसके बाद भी रिएक्शन दिया है। हैमेल का कहना है कि हर कोई मुझे वोट नहीं देने पर सहमत है। क्योंकि मैं एक सच्चा और निरपेक्ष इंसान हूं।

पहले भी जीत हासिल कर चुके हैं जीरो वोट वाले उम्मीदवार

लाइब्रेरी ऑफ़ पार्लियामेंट डेटाबेस की रिपोर्ट के अनुसार पहले भी कई ऐसे उम्मीदवार रहे हैं, जिनको कोई वोट नहीं मिले। लेकिन ये लोग फिर भी अपनी सीटें बचाने में कामयाब हो गए, क्योंकि इन लोगों ने निर्विरोध चुनाव लड़ा था। 1957 में ओंटारियो सीट से लानार्क को विजेता घोषित किया गया था। हालांकि उनको एक भी वोट नहीं मिला था। लेकिन निर्विरोध होने के कारण उनको विजेता घोषित किया गया था। चुनाव की नौबत ही नहीं आई थी। हैमेल के अनुसार उनके दोस्त ने उनको चुनाव मैदान में उतरने के लिए प्रेरित किया था। उनका यह दोस्त लॉन्गेस्ट बैलट कमेटी के साथ काम करता है। यह कमेटी चुनावी सुधार वकालत समूह के तौर पर अपनी पहचान रखती है। हैमेल के अनुसार कनाडा के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है। लेकिन उनको ऐसी उम्मीद नहीं थी कि वे ऐसा रिकॉर्ड कायम कर जाएंगे।

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हैमेल को मलाल है कि वे अपने लिए भी वोट नहीं डाल पाए। क्योंकि वे टोरंटो सेंट पॉल के स्थाई निवासी नहीं हैं। उनको वोटिंग का अधिकार ही नहीं था। उन्होंने स्वीकार किया कि प्रचार करने में भी कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई थी। वे खुद को ऐसा आखिरी व्यक्ति मानते हैं, जो इस तरह की हिस्ट्री क्रिएट कर पाया हो। वे कहते हैं कि लोकतंत्र में सबको अपनी बात रखने, मत देने का अधिकार है। कुछ भी हो सकता है, लेकिन मुझे खुशी है कि मैंने चुनावी सुधार के लिए लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा। वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र के मूल्यों में आ रही गिरावट को लेकर हैमेल ने चिंता जाहिर की। उन्होंने निष्पक्ष लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेने के लिए मिले मौके की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि जब तक मुझे लोकतंत्र में शून्य वोट मिलने का अधिकार रहेगा, तब तक मैं समझूंगा कि देश में लोकतंत्र है।

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Edited By

Parmod chaudhary

First published on: Jun 28, 2024 10:36 PM

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