Canada PM Justin Trudeau Fun in Media: कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के सितारे फिलहाल गर्दिश में चल रहे हैं। पहले उन्हें जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान मुंह की खानी पड़ी। समिट समाप्त होने के बाद उनका प्लेन खराब हो गया। इसके लिए 2 दिनों तक उन्हें भारत में ही रूकना पड़ा। अब जब वे अपने देश पहुंच गए है तो कनाडाई मीडिया के निशाने पर है।
कनाडाई पीएम जब जी-20 में बोल रहे थे उस समय खालिस्तानी समर्थक कनाडा के अलग-अलग शहरों में नारेबाजी कर रहे थे। वहीं ट्रूडो इसे अभिव्यक्ति की आजादी मानते हैं। इसलिए उनकी पुलिस चुपचाप वो प्रदर्शन देखती रही। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब से ट्रूडो कनाडा की सत्ता में आए हैं तब से कनाडा में खालिस्तानियाें को शह मिल रहा है। हालांकि इस मामले पर भारत बार-बार नाराजगी भी जताता रहा है। जी-20 सम्मेलन में भारत ने खालिस्तानी प्रदर्शन को लेकर ट्रूडो को खरी-खोटी सुनाई थी।
मोदी 140 करोड़ की आबादी का नेतृत्व कर रहे हैं
कनाडाई पीएम ट्रूडो की वहां की मीडिया भी जमकर आलोचना कर रहा है। उन्हें विदेश नीति के मोर्चे विफल करार दे रही है। टोरंटो सन अखबार में राजनीति स्तंभ लिखने वाले लोर्ने गुंटर बताते हैं कि ट्रूडो भारतीय पीएम के साथ एक छोटे भाई तरह व्यवहार कर रहे थे। गुंटर ने कहा कि ट्रूडो भूल गए कि मोदी 140 करोड़ की आबादी वाले देश के पीएम हैं, वहीं ट्रूडो 4 करोड़ की आबादी वाले देश का नेतृत्व करते हैं। गुंटर ने आगे लिखा कि भारत दुनिया की पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था है जिसका जीडीपी 3 ट्रिलियन डाॅलर से ज्यादा है।
विदेश नीति के मोर्चे पर रहे विफल
उन्होंने कहा कि ट्रूडो से ज्यादा प्रभावी तो कोरोमोस के राष्ट्रपति अजाली ओसुमानी रहे जिनका पीएम मोदी ने गर्मजोशी से स्वागत किया और ट्रूडो से ज्यादा समय उनको दिया। गुंटर ने कहा कि जब ट्रूडो ने 2015 में सत्ता संभाली तो लगा कि वे देश में बड़ा बदलाव लाएंगे। वे विदेश नीति के मोर्चे पर बुरी तरह विफल रहे। उन्होंने कहा कि ट्रूडो ने खालिस्तानियों को अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर खुली छूट दे रखी है। जो कि भारत के साथ संबंधों को लेकर ठीक नहीं है।