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हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की बढ़ीं मुश्किलें, फर्जी केस में फंसाया, कुछ दिन पहले मिली थी जमानत

ISKCON के पूर्व पुजारी चिन्मय कृष्ण दास को सोमवार को चटगांव की एक अदालत ने हत्या के 4 मामलों में गिरफ्तार बताया है, जबकि चिन्मय कृष्ण दास को बांग्लादेश की एक हाई कोर्ट द्वारा देशद्रोह के मामले में कुछ दिन पहले ही जमानत दी गई थी।

Author Edited By : Satyadev Kumar Updated: May 5, 2025 18:04
Hindu priest Chinmoy Krishna Das
बांग्लादेश के हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास।

बांग्लादेश हाई कोर्ट द्वारा देशद्रोह के आरोप में जमानत दिए जाने के बाद सोमवार को चटगांव की एक अदालत ने हत्या के 4 मामलों में हिंदू पुजारी चिन्मय कृष्ण दास को गिरफ्तार बताया है। यह जानकारी वकीलों ने दी है। चटगांव बार एसोसिएशन के महासचिव अशरफ हुसैन रज्जाक ने फोन पर न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया कि ‘चटगांव के एक न्यायाधीश ने वकील सैफुल इस्लाम अलिफ की हत्या के सिलसिले में दर्ज 4 मामलों में चिन्मय कृष्ण दास को गिरफ्तार कर लिया है।’

चिन्मय कृष्ण दास 25 नवंबर को किया गया था गिरफ्तार

पिछले साल 26 नवंबर को चटगांव कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले वकील सैफुल इस्लाम अलिफ पर चिन्मय कृष्ण दास की रिहाई की मांग को लेकर हुए विरोध-प्रदर्शन के दौरान अज्ञात हमलावरों ने धारदार हथियारों से जानलेवा हमला किया था। इससे ठीक एक दिन पहले चिन्मय कृष्ण दास को 25 नवंबर को देशद्रोह के आरोप में ढाका एयरपोर्ट पर पुलिस ने गिरफ्तार किया था। बता दें कि शेख हसीना के शासन के खात्मे के बाद चिन्मय दास बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं के लिए एक प्रमुख आवाज के रूप में उभरे थे। इसके बाद उन्हें 25 नवंबर को देशद्रोह के आरोप में ढाका पुलिस की जासूसी ब्रांच ने गिरफ्तार कर लिया था।

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चिन्मय कृष्ण दास को फर्जी केस में फंसाया

बांग्लादेश के चिटगांव की जेल में बंद हिन्दू संत चिन्मय कृष्ण दास को अब एक ऐसे वकील के मर्डर केस में आरोपी बना दिया गया है जिनकी हत्या मॉब लिचिंग में हुई थी। इस नए फर्जी मामले से पहले देशद्रोह के मामले में 6 महीने से चिटगांव की जेल में बंद चिन्मय दास को जमानत मिल गई थी। हत्या के अलावा चिन्मय दास पर कुछ और फर्जी मामले भी जोड़े गए हैं। सभी नए मामलों की सुनवाई मंगलवार को होगी।

30 अप्रैल को मिली थी जमानत

बुधवार (30 अप्रैल) को बांग्लादेश हाई कोर्ट ने आध्यात्मिक नेता चिन्मय कृष्ण दास को देशद्रोह के एक मामले में जमानत दे दी थी। जस्टिस अताउर रहमान और जस्टिस एमडी अली रजा की पीठ ने यह आदेश पारित किया था। जमानत आदेश जारी होने के तुरंत बाद सरकार ने आदेश पर रोक लगाने के लिए चैंबर कोर्ट में एक आवेदन दायर किया था। चैंबर कोर्ट ने जमनात पर रोक तो नहीं लगाई, लेकिन सुनवाई की तारीख तय कर दी थी।

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‘अभियोजन पक्ष ने एकतरफा सुनवाई की’

दास के वकील अपूर्व कुमार भट्टाचार्जी ने कहा, ‘चिन्मय प्रभु को रिहा होने से रोकने के लिए हाई कोर्ट द्वारा जमानत दिए जाने के बाद भी उन्हें चटगांव कोर्ट में गिरफ्तार दिखाया गया है। उन्होंने कहा, ‘चिन्मय की तरफ से कोई भी वकील चटगांव कोर्ट में पेश नहीं हो पाए। अभियोजन पक्ष ने एकतरफा सुनवाई की।’ इस बीच चिन्मय के वकील अपूर्व कुमार भट्टाचार्जी ने एएनआई को बताया कि हमारे नेता चिन्मय कृष्ण दास के खिलाफ आरोप पूरी तरह से झूठे हैं। 7 महीने पहले, उन्हें 25 नवंबर, 2024 को गिरफ्तार किया गया था।

चिन्मय कृष्ण दास पर क्या है आरोप?

बांग्लादेश सनातनी जागरण जोते के प्रवक्ता और इस्कॉन के पूर्व नेता चिन्मय कृष्ण दास पर बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप लगाया गया है और वे देशद्रोह के आरोपों का सामना कर रहे हैं। भट्टाचार्जी ने कहा, ‘उनके खिलाफ झंडे के अपमान का कोई विशेष आरोप नहीं है। हमने उनके पक्ष में सभी दस्तावेजों के साथ बहस की। इसके बाद अदालत ने संतुष्ट होने के बाद जमानत दी थी यह नियम के मुताबिक था। हम इस फैसले से खुश हैं।’

उन्होंने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि चटगांव मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अदालत में आदेश पहुंचने के बाद उन्हें एक सप्ताह के भीतर चटगांव सेंट्रल जेल से रिहा कर दिया जाएगा।’ भट्टाचार्जी ने कहा, ‘सरकार जमानत पर स्टे लगाने की कोशिश कर रही है, लेकिन उनके भाषण या प्रेरणा या चिन्मय प्रभु के खिलाफ देशद्रोह का कोई संकेत नहीं है और 7 महीने बाद भी पुलिस ने कोई जांच रिपोर्ट पेश नहीं की है।

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Edited By

Satyadev Kumar

First published on: May 05, 2025 04:46 PM

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