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कौन थी अतेफेह सहालेह? लोग बोले- ईरान पर लगा है जिसका ‘श्राप’!

ईरान की नाबालिग लड़की अतेफेह राजाबी सहालेह को 2004 में ‘शुद्धता के खिलाफ अपराध’ के आरोप में सार्वजनिक रूप से फांसी दी गई थी। आज जब ईरान-इजराइल युद्ध में देश को भारी नुकसान हो रहा है, सोशल मीडिया पर दावा है कि सहालेह की मौत का श्राप ईरान को तबाह कर रहा है।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Avinash Tiwari Updated: Jun 18, 2025 16:41
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ईरानी लड़की अतेफेह रजाबी सहालेह (फोटो सोर्स- सोशल मीडिया)

ईरान और इजराइल के बीच युद्ध चल रहा है। दोनों देश एक-दूसरे पर जमकर हमले कर रहे हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति का कहना है कि ईरान के तथाकथित सर्वोच्च नेता को सरेंडर कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें पता है कि ईरान के तथाकथित सर्वोच्च नेता कहां छुपे हुए हैं। हम उन्हें अभी मारना नहीं चाहते हैं, हालांकि अब हमारा धैर्य खत्म हो रहा है। ईरान को इस युद्ध में भयंकर नुकसान हुआ है। अब ईरान की एक महिला अतेफेह राजाबी सहालेह की खूब चर्चा हो रही है, जिसे साल 2004 में इस नाबालिग लड़की को क्रेन के जरिए सरेआम फांसी पर चढ़ा दिया गया था। कहा जा रहा है कि उसके श्राप के कारण ईरान में तबाही मची हुई है।

कौन थी अतेफेह राजाबी सहालेह?

सहालेह का जन्म ईरान के नेका में हुआ था। सहालेह के जन्म के कुछ समय बाद ही उसका परिवार मशहद शिफ्ट हो गया था। वह छोटी ही थी, तभी उसके मां-बाप के बीच मतभेद हो गया और दोनों अलग हो गए। इसके बाद उसकी मां ने दूसरी शादी कर ली। वह किसी तरह मां के साथ रह रही थी लेकिन इसके बाद उस पर एक और दुःख का पहाड़ टूटा जब उसकी मां की मौत हो गई।

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मां की मौत के बाद बिखर गया जीवन

जब सहालेह की उम्र 5 साल थी, तभी एक दुर्घटना में उसकी मां की मौत हो गई। इसके बाद कहा गया कि उसका भाई भी नदी में डूबकर मर गया। पिता नशे के आदी हो गए थे। ऐसे में अब वह अकेली पड़ गई थी, उसकी देखभाल और उसे संभालने वाला कोई नहीं था। ऐसे में उसे उसके 80 साल के दादा के पास भेज दिया गया, जिन पर इसकी देखभाल की जिम्मेदारी दी गई। हालांकि दादा ने उसकी देखभाल ठीक से नहीं की और उसे नजरअंदाज कर दिया।

जब पहली बार पकड़ी गई, मारे गए 100 कोड़े

जब सहालेह की उम्र 13 साल हुई तो उसे ‘शुद्धता के खिलाफ अपराधों’ (Crimes Against Chastity) के लिए दोषी ठहराया गया। बताया जाता है कि पुलिस को वह एक कार में एक लड़के के साथ पकड़ी गई थी। इसके बाद उसे जेल में डाल दिया गया और 100 कोड़े मारे गए। जेल में उसे खूब प्रताड़ित किया गया और उसका बलात्कार किया गया। इसके बाद भी, इसी आरोप के चलते, उसे दो बार और गिरफ्तार किया गया। दोनों बार उसे कोड़े मारे गए और जेल की सजा दी गई।

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51 साल के शख्स के साथ बनाये थे शारीरिक संबंध

हालांकि, साल 2003 में सहालेह को पुलिस उसके घर से ही गिरफ्तार कर अपने साथ ले गई। इस बार उस पर ‘किसी और के साथ यौन संबंध बनाने’ और ‘सामाजिक, नैतिक या कानूनी मानदंडों का उल्लंघन’ करने का आरोप लगाया गया। उसे कोर्ट में पेश किया गया। मामले की सुनवाई न्यायाधीश हाजी रेजाई कर रहे थे। जब जज रेजाई ने सहालेह से पूछताछ की तो उसने 51 साल के शादीशुदा पूर्व क्रांतिकारी गार्ड द्वारा बार-बार संबंध बनाए जाने की बात कबूल कर ली। वह टैक्सी ड्राइवर था।

जज पर भड़की और फेंक दी चप्पल

गुनाह कबूल किए जाने के बाद जब सहालेह को लगा कि वह अपना केस हार रही है, तो उसने अपना हिजाब हटा दिया। इसे कोर्ट ने गंभीर अवमानना माना और कहा कि उसे नहीं, बल्कि दरबी (बलात्कार करने वाले 51 साल के शख्स) को भी दंडित किया जाना चाहिए। सुनवाई के दौरान गुस्से में सहालेह ने अपने जूते उतारे और उन्हें जज पर फेंक दिया। इसके बाद जज रेजाई ने सहालेह को मौत की सजा सुनाई।

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2004 में सहालेह को दी गई फांसी

15 अगस्त 2004 को सहालेह को नेका में एक क्रेन से सार्वजनिक रूप से फांसी पर लटका दिया गया। सहालेह की फांसी पर खूब बवाल हुआ। नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय वाचा (International Covenant on Civil and Political Rights) के तहत हुई डील में यह बात कही गई थी कि ईरान 18 साल से कम उम्र के किसी भी व्यक्ति को मौत की सजा नहीं देगा। एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा जारी 2004 के बयान में कहा गया कि सहालेह दसवीं ऐसी नाबालिग थी जिसे ईरान ने 1990 के बाद से मृत्युदंड दिया था। सहालेह को दी गई फांसी को मानवता और दुनिया के बच्चों के खिलाफ अपराध घोषित किया गया।

सहालेह की उम्र को लेकर भी विवाद

रिपोर्ट्स की मानें तो सहालेह की सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई अपील में उसकी उम्र 22 साल बताई गई, लेकिन उसके जन्म प्रमाण पत्र और मृत्यु प्रमाण पत्र में कहा गया है कि वह 16 वर्ष की थी। जबकि एक शख्स ने दावा किया था कि सुनवाई के दौरान जब जज ने शरीर को देखा, तो उसके विकसित शरीर के कारण उसे 22 साल का घोषित कर दिया। परिजनों का दावा है कि कोर्ट और अधिकारियों ने उसकी उम्र की जांच के लिए कोई कदम नहीं उठाया था।


सहालेह की फांसी के बाद दावा किया गया कि सहालेह को फांसी देने वाले जज रेजाई और कैप्टन जबीही और कैप्टन मोलाई को कई लोगों ने गिरफ्तार कर लिया। कहा जाता है कि अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण ईरान के सुप्रीम कोर्ट ने सहालेह को फांसी दिए जाने के बाद माफ करने का आदेश दिया था।

अब जब इजराइल और ईरान के बीच युद्ध चल रहा है और ईरान को भारी नुकसान पहुंच रहा है, ऐसे में लोग अब सोशल मीडिया पर सहालेह का जिक्र कर कह रहे हैं कि उसके श्राप से ईरान बर्बाद हो रहा है और उसकी मौत के बाद ईरान कभी शांति से नहीं रह पाया।

First published on: Jun 18, 2025 04:32 PM

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