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50 साल में गायब हो गया पूरा का पूरा समुद्र! पढ़िए हैरान कर देने वाली कहानी

Sea Disappeared In 50 Years : कजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान के बीच एक समय में एक समुद्र हुआ करता था जो अब पूरी तरह से सूख चुका है। जानिए ऐसा क्यों हुआ।

Edited By : Gaurav Pandey | Updated: Feb 9, 2024 12:30
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Dried Aral Sea
सूख गया अरल सागर

Sea Disappeared In 50 Years : पूरी दुनिया इस समय क्लाइमेट चेंज यानी जलवायु परिवर्तन की वजह से बढ़ते तापमान के खतरनाक प्रभावों का सामना कर रही है। जनवरी 2024 लगातार दूसरा ऐसा महीना रहा है जिसमें वैश्विक तापमान सामान्य के निशान से ऊपर रहा है। उल्लेखनीय है कि पहली बार वैश्विक औसत तापमान 1.5 डिग्री से ऊपर चला गया है। लेकिन एक दशक से अधिक समय पहले भी इस तरह के असर देखने को मिल रहे थे जब एक पूरा का पूरा समुद्र गायब हो गया था।

कभी पानी से लबालब रहने वाला कजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान के बीच स्थित अरल सागर (Aral Sea) 2010 तक सूख गया था। बता दें कि पूरे समुद्र को सूखने में महज 50 साल का समय लगा था। अरल सागर एक समय में दुनिया की चौथी सबसे बड़ी इनलैंड वाटर बॉडी हुआ करता था। यह 68,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला था। 1960 के दशक में इससे मिलने वाली नदियों को सोवियत सिंचाई प्रोजेक्ट्स के चलते डाइवर्ट कर दिया गया था जिसके चलते इसके सिकुड़ने की शुरुआत हुई थी।

रेगिस्तान में बने खेत पर सूख गया समुद्र

1960 के दशक में सोवियत यूनियन ने सिंचाई के उद्देश्य से कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान के सूखे मैदानों पर एक बड़े वाटर डायवर्जन प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी। क्षेत्र की दो प्रमुख नदियों (उत्तर में सिर दार्या और दक्षिण में अमू दार्या) का इस्तेमाल इस रेगिस्तान को कॉटन व अन्य फसलों के लिए खेत में तब्दील करने के लिए किया गया था। लेकिन इसकी वजह से अरल सागर में पानी पहुंचना बंद हो गया था। इस प्रोजेक्ट ने सिंचाई को तो बेहतर किया सागर को तबाह कर दिया था।

नहीं सफल हो पाई बचाने की कोशिश

एक समय में अरल सागर उत्तर से दक्षिण की ओर करीब 270 किलोमीटर और पूर्व से पश्चिम की ओर 290 किलोमीटर तक फैला था। लेकिन नदियों को डायवर्ट करने के बाद इसमें कमी आती चली गई और धीरे-धीरे पूरा समुद्र ही गायब हो गया। हालांकि, इसके कुछ हिस्से को बचाने के लिए कजाकिस्तान ने अरल सागदर के उत्तरी और दक्षिणी हिस्सों के बीच एक बांध बनाया था। लेकिन, समुद्र को वापस उसी स्वरूप में पहुंचाना लगभग असंभव हो गया है। यह हमारे भविष्य के लिए बहुत बड़ी चेतावनी है।

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Written By

Gaurav Pandey

First published on: Feb 09, 2024 12:30 PM

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